रांची : फॉरेन कंट्रीब्यूशन रेगुलेशन एक्ट (एफसीआरए), २०१० के तहत पंजीकृत गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) ने करोडों रुपये के विदेशी फंड का दुरुपयोग किया। इसका पर्दाफाश सीआइडी की जांच में हुआ है। सरकार के आदेश पर झारखंड के ८८ एनजीओ की जांच कर रही सीआइडी ने १० एनजीओ की प्रारंभिक जांच पूरी कर ली है। सीआइडी के एडीजी अजय कुमार सिंह ने इन सभी १० एनजीओ की जांच रिपोर्ट पुलिस मुख्यालय व सरकार को भेजी है। रिपोर्ट में यह पर्दाफाश हो गया है कि विदेशी फंड की राशि का दुरुपयोग हुआ है और इसकी राशि से धर्म परिवर्तन कराया गया है। अब भी ७८ एनजीओ की जांच जारी है।
एडीजी अजय कुमार सिंह ने अपनी अनुशंसा में लिखा है कि प्रारंभिक तौर पर जिन १० संस्थाओं की जांच की गई है, उनमें गंभीर त्रुटियां मिली हैं। यह स्पष्ट तौर पर करोडों रुपये की हेराफेरी, भुगतान की संदिग्ध स्थिति, ईसाई धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए निधि का उपयोग व सरकार को गलत सूचना दिए जाने को प्रमाणित करती है। एफसीआरए के तहत यह दंडनीय अपराध है। चूंकि इन संस्थाओं की संख्या झारखंड में ८८ है और इनके द्वारा किए गए लेनदेन विभिन्न राज्यों व अंतरराष्ट्रीय स्तर से संबंधित हैं, इसलिए एफसीआरए के तहत इसकी जांच सीबीआइ से कराने के बिंदु पर विचार किया जा सकता है।
१० एनजीओ, जिनकी प्रारंभिक जांच पूरी कर रिपोर्ट सौंपी गई
- लुथेरन गर्ल्स हॉस्टल
- रांची कैथोलिक आर्कडायोसिस
- डॉउटर्स ऑफ संत अन्ना
- रांची कार्मेलाइट सोसाइटी
- इंस्टीट्यूट ऑफ क्रिश्चियन डॉक्ट्रीन फादर्स सोसाइटी
- हॉली फेथ ट्राइबल वेलफेयर एंड डेवलपमेंट ट्रस्ट
- इंस्टीट्यूट ऑफ ओबलेट सिस्टर्स ऑफ नाजारेथ सोसाइटी
- संत अलबर्ट्स कॉलेज
- सिस्टर्स ऑफ संत चार्ल्स सोसाइटी
- सिस्टर्स ऑफ चेरिटी ऑफ विंसेंट डी पॉल
जांच में क्या पाया गया ?
१. लुथेरन गर्ल्स हॉस्टल ने २०१६-१७ का रिटर्न ही दाखिल नहीं किया। इसमें करोडों रुपये की अनियमितता की आशंका है।
२. गैर सरकार संगठनों से बडी राशि का नकद भुगतान भी किया गया है। जबकि, एफसीआरए के तहत अधिकतम २० हजार रुपये तक ही नकद भुगतान किया जा सकता है।
३. संस्थाओं ने एफसीआरए खाते को घरेलू फंड के खाते के साथ घालमेल किया है। यह एफसीआरए में पूरी तरह वर्जित है।
४. एफसीआरए कोष को नन एफसीआरए कोष में स्थानांतरित नहीं किया जा सकता है, परंतु रांची कार्मेलाइट सोसाइटी ने इसका उल्लंघन किया है।
५. एफसीआरए के अनुसार एक करोड रुपये से अधिक की विदेशी सहायता की राशि को पब्लिक डोमेन पर अपलोड करना है, परंतु इन संगठनों ने इसका पालन नहीं किया।
स्त्रोत : जागरण