एक भारत है जहां अल्पसंख्यांकों पर सेक्युलरिज्म के नाम से सुविधाआें की बरसात की जाती है तो बहुसंख्य हिन्दुआें का दमन किया जाता है। शायद विश्व में चीन एेसा पहला देश होगा जिसने अल्पसंख्यकों की धार्मिक कट्टरता को पहचानकर उसपर शिकंजा कसना शुरु किया हो। – सम्पादक, हिन्दुजागृति
चीन में अल्पसंख्यकों पर सख्ती बढती ही जा रही है। अब चीन सरकार ने देश में मुस्लिम समुदाय के बीच होने वाली हलाल प्रोडक्ट्स की बिक्री पर रोक लगा दी है। सरकार का तर्क है कि इससे धार्मिक कट्टरता को बढावा मिल रहा है। बता दें कि चीन का शिनजियांग प्रांत मुस्लिम बहुल इलाका है और काफी समय से चीन वहां दमनकारी नीतियां चला रहा है। इन्ही नीतियों के तहत चीन ने हलाल प्रोडक्ट्स पर भी रोक लगा दी है। बता दें कि मुस्लिम धर्म में हलाल प्रोडक्ट्स को ही तरजीह दी जाती है। चीन का शिनजियांग प्रांत प्राकृतिक संसाधनों के मामले में काफी धनी माना जाता है। लेकिन यह क्षेत्र मुस्लिम बहुल है और पिछले कुछ समय से यहां धार्मिक कट्टरपंथ का भी प्रभाव बढा है।
शुरुआत में चीन ने यहां चीनी हान समुदाय को बसाया और फिर शिनजियांग प्रांत में रहने वाले उइगर, कजाख और हुई समुदाय के मुस्लिम लोगों की धार्मिक आजादी पर तरह तरह की पाबंदियां लगा दी हैं। बता दें कि शिनजियांग प्रांत में चीन सरकार ने मुस्लिमों के दाढी रखने, सिर ढकने और बुर्का पहनने जैसी चीजों पर भी रोक लगा दी है। इसके साथ ही सरकार यहां इंटरनेट आदि के माध्यम से भी काफी सर्विलांस करता है।
चीन ने अपनी इसी रणनीति के तहत अब हलाल प्रोडक्ट पर भी शिनजियांग में रोक लगा दी है। चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने अपने एक लेख में लिखा है कि हलाल प्रोडक्ट के प्रति लगाव सेक्यूलर और धार्मिक जीवन के बीच की दीवार को कमजोर कर रहा है, जिससे धार्मिक कट्टरता से इसे आसानी से गिराया जा सकता है। चीन ने प्रतिबंध हलाल मीट, हलाल डेयरी प्रोडक्ट समेत सभी उत्पादों पर लगा दिया है। माना जा रहा है कि चीन और पाकिस्तान जिस सीपेक प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं, उसका उद्देश्य भी चीन के शिनजियांग प्रांत में विकास को गति देना है। ताकि वहां धार्मिक कट्टरता के प्रभाव को कम किया जा सके। हैरानी की बात है कि जहां चीन एक तरफ अपने ही एक प्रांत में मुस्लिम समुदाय के लोगों पर जुल्म कर रहा है, वहीं वह खूंखार आतंकी मसूद अजहर को ग्लोबल टेरेरिस्ट घोषित कराने की भारत की कोशिशों का विरोध कर रहा है।
स्त्रोत : जनसत्ता