एेसे जलद गति से न्याय भारत में कब मिलेगा ? पीडितों को अगर जल्दी न्याय मिले तो ही उसे न्याय कह सकते है, नहीं तो वह अन्याय ही है !
पाक ने इस पूरे मामले में केवल नौ माह के अंदर कार्रवाई को अंजाम दिया है। बच्ची के पिता ने दोषी को सरेआम फांसी पर लटकाने की याचिका दायर की थी जिसे न्यायालय ने खारिज कर दिया था। २४ साल के इमरान ने लाहौर से ५० किलोमीटर दूर कसूर क्षेत्र में बच्ची से दुष्कर्म के बाद उसकी हत्या की थी। बच्ची का शव ९ जनवरी को कूडेघर के पास मिला था। जानकारी के अनुसार बुधवार तडके ५.३० बजे इमरान अली को फांसी पर लटकाते समय जेल परिसर में पीडिता के पिता और मजिस्ट्रेट समेत अली के परिवार के कुछ लोग भी उपस्थित थे। फांसी से पहले प्रशासन ने अली को ४५ मिनट का समय दिया, जिसमें वह अपने परिवार से मिला और उनसे बातें की। फांसी के बाद बच्ची के पिता अमीन अंसारी ने मीडिया से कहा कि वह संतुष्ट हैं। उन्होंने कहा, ‘मैंने अपनी आंखों से उसका अंत होते हुए देखा। उसे फांसी दे दी गई और उसका शव आंधे घंटे तक लटका रहा।’ इसके बाद एंबुलेंस में इमरान का भाई और दो दोस्त भी शव लेने के लिए मौके पर आए।
नौ अन्य मामलों में भी शरीक था दुष्कर्मी अली
पिछले सप्ताह आतंकवाद निरोधी न्यायालय ने इमरान अली को १७ अक्टूबर को लाहौर जेल में फांसी पर लटकाने का आदेश दिया था। इमरान दुष्कर्म और हत्या के नौ अन्य मामलों में भी शामिल था। न्यायालय ने उसे पांच मामलों में सजा सुनाई। फांसी के बाद अंसारी ने पाक चीफ जस्टिस साकिब निसार का आभार जताया। उन्होंने कहा कि दोषी को उसके किए की सजा मिल गई।
स्त्रोत : अमर उजाला