श्रीनगर – पाकिस्तान का राष्ट्रपति हो या प्रधानमंत्री या कोई अन्य नेता, जो जितना ज्यादा भारत के खिलाफ अच्छा जहर उगले और कश्मीर की बात करे इस देश का सबसे अच्छा और बड़ा नेता कहा जाता है। पाकिस्तान से जन्म से लेकर अब तक यहां जितने भी लोग देश के इन ओहदे पर रहे हैं। उन सबकी राजनीति भारत को दुश्मन देश और कश्मीर को पाकिस्तान का बता कर ही चमकी है। नेपाल में चल रहे सार्क सम्मेलन में वर्तमान प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने जो भाषण दिया है उसमें उनकी शराफत तो कतई नहीं झलकती। अगर सउदी अरब सरकार की दखलंनदाजी पाकिस्तान में नहीं होती तो नवाज का हाल भी जुल्फिकार अली भुट्टो की तरह हो गया होता। लंबे समय तक पाकिस्तान से निर्वासित रहे नवाज शारीफ ने अपने प्यारे वतन लौटने के लिए पाकिस्तानी सेना से क्या-क्या समझौते किए हैं यह तो वही जाने।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की नीयत में भी हमेशा से भारत, और कश्मीर के प्रति भारी खोट रहा है। अमेरिका द्वारा पाकिस्तान को आतंकवाद का प्रायोजक राष्ट्र घोषित किए जाने की चेतावनी दिए जाने के बावजूद प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने मई 1992 में आईएसआई से कश्मीर में अपने गुप्त अभियानों को जारी रखने को कहा था।
पाकिस्तानी राजनायिक का पुस्तक में खुलासा
पाकिस्तानी राजनयिक द्वारा लिखी गई पुस्तक मैग्नीफिशिएंट डिल्यूशन में इस पूरी योजना का खुलासा सिलसिलेवार किया गया है। किताब में कहा गया है कि अपने रूख में बदलाव लाने के बजाय, शरीफ ने जासूसी एजेंसी आईएसआई और सेना का इस तथ्य के साथ समर्थन किया था कि पाकिस्तान भारत के खिलाफ सैन्य अभियानों को बंद नहीं कर सकता और अमेरिका की ओर से मिली ऐसी कड़ी चेतावनी की काट के लिए शरीफ ने अमेरिकी मीडिया तथा कांग्रेस से संपर्क साधने के लिए पहले कदम के तौर पर 20 लाख डालर की राशि आवंटित करने का फैसला किया था।
१९९२ के घटनाक्रम का किया गया है खुलासा
किताब में कहा गया है कि वास्तव में, शरीफ ने अपने तत्कालीन विशेष सहायक हुसैन हक्कानी को अमेरिका में लाबिंग के प्रयासों की जिम्मेदारी सौंप दी, जिसे हक्कानी ने नामंजूर कर दिया और वह राजदूत के पद पर नियुक्ति के लिए श्रीलंका जाने को राजी हो गए। अमेरिका में पाकिस्तान के पूर्व दूत हक्कानी द्वारा लिखी गई किताब ‘मैग्नीफिशिएंट डिल्यूशन’ में यह खुलासा किया गया है। पुस्तक में मई 1992 के घटनाक्रम का आंखों देखा हाल बयान करते हुए किताब में बताया गया है कि अमेरिका के तत्कालीन विदेश मंत्री जेम्स बेकर ने इस संबंध में एक पत्र शरीफ को लिखा था। लेकिन शरीफ ने पहले इस पत्र की अनदेखी की।
अमेरिका ने दी थी चेतावनी
दस मई 1992 को लिखे पत्र में बेकर ने चेतावनी दी थी कि अगर पाकिस्तान कश्मीर में आतंकवाद को अपना समर्थन बंद नहीं करता है तो अमेरिका उसे आतंकवाद का प्रायोजक देश घोषित कर सकता है। किताब में हक्कानी ने दस मई के पत्र का उल्लेख करते हुए लिखा है, हमारे पास ऐसी सूचना जो संकेत देती हैं कि आईएसआई तथा अन्य आतंकवाद में शामिल समूहों को लगातार साजो सामान का समर्थन मुहैया करा रहे हैं।
स्त्राेत : दैनिक भास्कर