मराठी समाचारवाहिनी ‘जय महाराष्ट्र’ पर आयोजित चर्चासत्र ‘जय रावण’ में हिन्दू जनजागृति समिति के प्रवक्ता का प्रतिपादन !
मुंबई : नागपुर के जनार्दन मूल नामक एक व्यक्ति ने न्यायालय में रावणदहन का विरोध करनेवाली याचिका प्रविष्ट की थी। न्यायालय ने याचिकाकर्ता को फटकार लगाते हुए कडे शब्दों में यह कहा कि यह याचिका अत्यंत अयोग्य एवं मूल्यहीन है, साथ ही यह याचिका प्रसिद्धि के लालच में आकर प्रविष्ट की गई है ! न्यायालय ने याचिकाकर्ता से यह भी प्रश्न किया कि क्या आप केवल और केवल हिन्दुआें की धार्मिक भावनाआें पर हाथ डालने के लिए ही याचिका प्रविष्ट करते हैं ? न्यायालय ने याचिकाकर्ता की याचिका को निरस्त करते हुए उसे २५ सहस्र रुपए का दंड भी किया है ! हिन्दू जनजागृति समिति के प्रवक्ता श्री. सतीश कोचरेकर ने इस चर्चासत्र में अपना मत प्रदर्शन करते हुए कहा कि, क़ानूनी दृष्टि से भी ऐसी मांग करना अत्यंत अयोग्य है ! फिर भी भीम आर्मी संगठन ने ऐसी मांग करना इसे कोई अर्थ नहीं है, साथ ही अनेक वर्षों से चली आ रही रावणदहन की यह परंपरा किसी भी स्थिति में बंद नहीं होगी !
भीमआर्मी संगठन की ओर से विद्यालयीन पाठ्यक्रम में रावण से संबंधित जानकारी का अंतर्भाव किया जाए, साथ ही दशहरे के दिन रावणदहन नहीं किया जाना चाहिए, ऐसी मांगे की गई हैं। इस पार्श्वभूमि पर समाचार वाहिनी ‘जय महाराष्ट्र’पर इस चर्चासत्र का आयोजन किया गया था। इस कार्यक्रम में हिन्दू जनजागृति समिति के प्रवक्ता श्री. सतीश कोचरेकर एवं भीम आर्मी संगठन के महासचिव श्री. सुनील थोरात उपस्थित थे।
श्री. सतीश कोचरेकर ने आगे कहा कि,
१. महिलाआें के साथ रावण का आचरण अत्यंत अयोग्य था। इस प्रकार के षड्विकार से युक्त राजा का प्रतीकात्मक दहन किया जाता है, जो आगे भी किया जाएगा !
२. ऐसा लगता है कि उपर्युक्त मांग कर भीम आर्मी संगठन भारत के संविधान पर ही आपत्ति दर्शा रहा है ! यह संगठन डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के नाम से बनाया गया है। उसी डॉ. आंबेडकर ने हर किसी को अपने-अपने धर्मपालन का अधिकार प्रदान किया है !
३. ऐसी मांग कर रावण का उदात्तीकरण करना अत्यंत अयोग्य है। जिसने स्वयं के कुल का नाश किया, उस राजा को ‘महात्मा’ कहना सर्वथैव अयोग्य है !
४. विद्यालयीन पाठ्यक्रम में रावण की जानकारी अंतर्भूत करने से छात्रों को कोई लाभ नहीं होगा; इसलिए इस मांग को हमारा विरोध रहेगा !
अपने कार्यक्रम में रावण का उदात्तीकरण करनेवाली तलपट्टियां प्रसारित करनेवाली ‘जय महाराष्ट्र’ वाहिनी
चर्चासत्र का संपूर्ण प्रसारण होनेतक ‘रावण खलनायक नहीं है’, ‘रावण पराक्रमी और तत्त्वशील राजा’, ‘आदिवासियों की कुलदेवता लंकापति रावण’, ‘रावण दशग्रंथी ब्राह्मण’, ‘रावण ने स्व-बल पर राज्य स्थापन किया’, इस प्रकार की तलपट्टियां दिखाई जा रही थीं ! (रावण का उदात्तीकरण करनेवाली ऐसी समाचारवाहिनीयां क्या कभी समाज का हित कर सकेंगी ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
‘दशहरे के दिन रावणपूजन कर के रहेंगे !’ – सुनील थोरात, महासचिव, भीम आर्मी संगठन
ऐसी अनुश्रुति है कि रावण ने लक्ष्मण को सबक सिखाने के लिए सीता का हरण किया; परंतु उसने कभी भी सीता का अनादर और शीलभंग नहीं किया ! (रावण को श्राप था; इसलिए उसने सीता को हाथ नहीं लगाया। रामायण में उसकेद्वारा महिलाआें पर किए गए अत्याचार के अनेक उल्लेख मिलते हैं ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात) रावण ने सीता का हरण किया; इसलिए राम ने रावण की हत्या की। रावण के १० सिर थे, वह राक्षस था, ऐसी प्रतिमा बनाकर उसे एक ‘खलनायक’ के रूप में दर्शाया जाता है। भीम आर्मी संघठन की ओर से हम इसका विरोध करते हैं। साथ ही रावण के महात्मा होने के कारण हम दशहरे के दिन रावण का पूजन करेंगे !
सच्चे इतिहास को छिपा कर काल्पनिक इतिहास रचनेवाला भीम आर्मी संगठन !
१. मध्य प्रदेश, झारखंड, छत्तीसगढ, श्रीलंका और विगत १२ वर्षों से महाराष्ट्र के अमरावती में रावण का पूजन किया जाता है। रावण यदि बुरा होता, तो उसका पूजन नहीं किया जाता। रावण आदिवासी समुदाय का पूर्वज है और वह हमारे लिए एक शूर महामानव, महानायक और वीरपुरुष है; इसलिए उसका पूजन किया जाता है। हम रावण का अभिवादन कर उसे श्रद्धांजली देते हैं !
२. रावण उच्च कोटि का विद्वान था और दशग्रंथी ब्राह्मण था। सांस्कृतिक संघर्ष में अपनी संस्कृति को बचाने के लिए मोंड आदिवासी भी एक संघर्ष करनेवाले नायक के रूप में रावण का पूजन करते हैं !
३. महात्मा राजा रावण समृद्ध, शिल्पकार एवं न्यायप्रिय राजा थे। उनका अयोग्य पद्धति से प्रस्तुतिकरण किया गया है। रावण के १० सिर दिखाने से लोगों के मन में अत्यंत घृणा उत्पन्न हुई है ! (इतिहास को विकृत पद्धति से रखने से क्या हो सकता है, इसका यह उदाहरण है ! आज प्रभु रामचंद्र के स्थान पर रावण का उदात्तीकरण करनेवाला समुदाय उत्पन्न होता है, यह इस लोकतंत्र की असफलता है ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
श्री. सतीश कोचरेकर ने किया ऐसा दृढ़तापूर्वक प्रतिपादन !
रावण विश्व ऋषी एवं कैकसी का पुत्र और दशग्रंथी ब्राह्मण था। उसे संस्कृत का ज्ञान था। उसकी मृत्यु के पश्चात सामवेद का पठन किया गया था। सभी सत्त्वशील बातें थीं; परंतु इसके साथ ही उसकी, महिलाआें के साथ अत्याचार करना एवं उनके साथ हीनता का व्यवहार करना इस सच्चाई को भी सामने रखना चाहिए ! इसमें ‘मुझे क्या लगता है’, इसे कोई महत्त्व नहीं है ! दुर्जनता के प्रतीक के रूप में जो रावणदहन किया जाता है, वह योग्य ही है ! न्यायालय ने इनकी याचिका पर टिप्पणी करते हुए कहा है कि इन लोगों को हिन्दू धर्म पर बोलने का एवं हिन्दू धर्म परंपराआें में हस्तक्षेप का कोई अधिकार ही नहीं है !
हिन्दू यथायोग्य एवं उत्साह के साथ अपने धर्म का पालन करें ! कल कदाचित दाऊद इब्राहिम और हाफीज सईद की जानकारी का पाठ्यक्रम में अंतर्भाव करने की मांग भी की जाएगी; क्योंकि ये लोग पाकिस्तानियों की सहायता करते हैं; परंतु ऐसा होते हुए भी उनकेद्वारा भारत पर किए गए आतंकी आक्रमण की सच्चाई छिपी नहीं रह सकती !
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात