१. ब्रिटीशकाल से अबतक किए गए भूख हडतालों से राष्ट्र एवं धर्म के संदर्भ में कुछ भी साध्य नहीं हुआ !
२. प्रभु श्रीराम, भगवान श्रीकृष्ण एवं छत्रपति शिवाजी महाराज शत्रु के सामने कभी भी भूख हडताल के लिए नहीं बैठें ! उन्होंने शत्रुआें से क्षात्रवृत्ति से संघर्ष कर ही उन्हें पराजित किया था !
३. प्रभु श्रीराम जैसे सुसंस्कृत एवं आदर्श राज्यकर्ता हो, तो उसके सामने ‘भूख हडताल करना’ उचित है; परंतु राज्यकर्ता सुसंस्कृत एवं आदर्श न हों, तो भूख हडताल का संज्ञान भी नहीं लिया जाता अथवा किया हुआ भूख हडताल व्यर्थ हो जाता है !
४. राष्ट्र एवं धर्म के संदर्भ में किसी तात्कालीन समस्या का समाधान निकालने के लिए भूख हडताल जैसे मार्ग का अवलंब कर व्यर्थ बलि जाने का अर्थ है ईश्वरद्वारा प्रदान किए गए मनुष्यजन्म का मूल्य ही न समझना ! ‘साधना कर ईश्वरप्राप्ति करने’ में ही मनुष्यजन्म की वास्तविक सार्थकता है !
५. परात्पर गुुरु डॉ. जयंत आठवलेजीद्वारा बताए अनुसार राष्ट्र एवं धर्म से संबंधित सभी समस्याआें का एकमात्र समाधान है सभी राष्ट्रबंधुआें ने संगठित होकर आदर्श एवं धर्माधिष्ठित हिन्दू राष्ट्र (ईश्वरीय राष्ट्र) की स्थापना करना ! ‘संघे शक्तिः कलौयुगे।’ इस शास्त्र वचन के अनुसार कलियुग में संगठित होकर संघर्ष करने में ही सामर्थ्य है ! परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी जैसे महान संतोंद्वारा बताए अनुसार हिन्दू राष्ट्र स्थापना के लिए संगठितरूप से प्रयास करने से निश्चितरूप से सफलता प्राप्त होगी, साथ ही काल के अनुसार साधना होकर ईश्वरप्राप्ति भी शीघ्र होगी !
सनातन संस्था एवं हिन्दू जनजागृति समिति हिन्दू राष्ट्र स्थापना के लिए अविरत कार्यरत हैं, आप भी उनके कार्य में सहभागी हों !
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात