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धार्मिक परंपराआें की रक्षा के संबंध में सरसंघचालक मोहनजी भागवत की भूमिका स्वागत योग्य

सरसंघचालक की भूमिका का आदर करते हुए शनीशिंगणापुर सहित राज्य के सर्व मंदिरों की धार्मिक परंपराआें की रक्षा के लिए सरकार आगे आए ! : हिन्दुत्वनिष्ठों की मांग

नगर के अपर जिलाधिकारी बी. एच्. पालवे को ज्ञापन देते समय हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों का प्रतिनिधीमंडल

नगर – सर्वोच्च न्यायालय ने केरल स्थित शबरीमला मंदिर में सभी आयुवर्ग की महिलाआें को प्रवेश करने के संबंध में निर्णय दिया है । तत्पश्‍चात इस निर्णय के विरोध में देशभर में गूंज उठने लगी है । केरल सहित भारतभर में भगवान अय्यप्पा के करोडों भक्त, हिन्दुत्वनिष्ठ संगठन, सामान्य नागरिक और अधिकांश राजनीतिक दल इस निर्णय के विरोध में मोर्चे, आंदोलन आदि द्वारा निषेध कर रहे हैं । इस पृष्ठभूमि पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहनजी भागवत ने विजयादशमी को मार्गदर्शन करते हुए शबरीमला मंदिर की परंपरा की रक्षा करनी चाहिए !, यह कहते हुए हिन्दू परंपराआें की रक्षा के अभियान को बल दिया है । सरसंघचालक की यह भूमिका स्वागत योग्य है । हिन्दू जनजागृति की भूमिका भी पहले से यही रही है । सरसंघचालक की इस भूमिका का आदर करते हुए महाराष्ट्र की सरकार को राज्य के मंदिर की परंपराआें की रक्षा करने के लिए आगे आना चाहिए ।

शनिशिंगणापुर स्थित शनी मंदिर का शनि चबूतरा, नाशिक का त्र्यंबकेश्‍वर मंदिर, कोल्हापुर स्थित श्री महालक्ष्मी मंदिर सहित हजारों मंदिरों में जिन परंपराआें पर आघात करने का प्रयास गत कुछ वर्षों से हुआ है, वह निष्फल करने के लिए राज्य सरकार हिन्दू परंपराआें की रक्षा के लिए कानून बनाए, ऐसी मांग हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से जिलाधिकारी को निवेदन द्वारा की गई है । इस अवसर पर हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों के प्रतिनिधियों ने अपर जिलाधिकारी बी. एच. पालवे से भेंट की । इस प्रतिनिधिमंडल में श्री शिवप्रतिष्ठान हिन्दुस्थान, विश्‍व हिन्दू परिषद, सनातन संस्था, हिन्दू जनजागृति समिति के कार्यकर्ता और हिन्दू धर्माभिमानी उपस्थित थे ।

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