बेळगाव (कर्नाटक) में पत्रकार परिषद
हिन्दू धर्म में फूट डाल कर लिंगायत समाज को अलग करने का कांग्रेसी षड्यंत्र उजागर !
बेळगाव : कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या ने विधानसभा चुनाव की पार्श्वभूमि पर हिन्दू धर्म में फूट डालने के लिए शिव-उपासक लिंगायत समाज को हिन्दू धर्म से अलग करने का आैर उनका अलग धर्म घोषित करने का षड्यंत्र रचा था; परंतु वास्तव में लिंगायतों को उनका यह षड्यंत्र ध्यान में आने से उससे कांग्रेस की हानि ही हुई आैर चुनाव में उन्होंने कांग्रेस को अस्वीकार किया ! अब यह बात ध्यान में आने से कांग्रेस के नेता डी.के. शिवकुमार ने लिंगायत स्वतंत्र धर्म होने की घोषणा करना, हमारी बहुत बड़ी गलती है आैर इसके लिए जनता हमें क्षमा करे, एेसा वक्तव्य दिया है !
इस संदर्भ में डी.के. शिवकुमार ने चाहे कितने भी खुलेपन से स्वीकार किया हो; परंतु केवल क्षमायाचना करने से बात नहीं बनेगी, अपितु इस षड्यंत्र के प्रमुख पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या एवं कांग्रेसी हायकमांड बसवेश्वरजी की मूर्ति के सामने खडे रहकर उनसे क्षमायाचना कर उनकेद्वारा केंद्र को भेजी गई सिफारिश को वापस लें ! हिन्दू जनजागृति समिति के कर्नाटक राज्य समन्वयक श्री. गुरूप्रसाद गौडा ने ऐसी मांग की। वे यहां के कन्नड साहित्य भवन में आयोजित पत्रकार परिषद को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर लिंगायत समाज की प्रतिनिधि एवं धर्माभिमानी श्रीमती मनीषा कनकनमेली एवं हिन्दू जनजागृति समिति के श्री. हृषिकेश गुर्जर उपस्थित थे।
इस अवसर पर श्री. गुरूप्रसाद गौडा ने आगे कहा, ‘‘केवल उपर से क्षमायाचना करना पर्याप्त नहीं है; क्योंकि हिन्दू जनता अब इस षड्यंत्र में नहीं फंसेगी आैर कांग्रेस को क्षमा भी नहीं करेगी ! कांग्रेस की अबतक की परंपरा को देखा जाए, तो उसकी नीति भी ब्रिटीशों की भांति ‘तोडो आैर राज्य करो’ की ही दिखाई देती है ! अब जाति आैर प्रांतवाद के आधार पर हिन्दुआें को तोडने का षड्यंत्र सहन नहीं किया जाएगा; इसलिए कांग्रेस ने, सिद्धरामय्या को बसवेश्वरजी की मूर्ति के सामने खड़ा करवा कर उनसे क्षमायाचना करने पर बाध्य करे आैर केंद्र को भेजा हुआ प्रस्ताव वापस ले, ऐसी हमारी मांग है !’’
इस अवसर पर लिंगायत समाज की प्रतिनिधि एवं धर्माभिमानी श्रीमती मनीषा कनकनमेली ने कहा, ‘‘१२वीं शताब्दी में बसवेश्वरजी ने हिन्दू समाज में विद्यमान सभी घटकों को संगठित करने के लिए अनुभव मंटप की स्थापना की थी आैर अब आप उसे तोडने का प्रयास कर रहे हैं ! हिन्दू धर्म एक विशाल वृक्ष है। उसकी यदि शाखाएं काटी गईं, तो उससे वृक्ष को पीडा होना स्वाभाविक ही है !’’
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात