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मंदिरों को दानधर्म करनेवाले छत्रपति शिवाजी महाराज के महाराष्ट्र में सरकारद्वारा की जा रही मंदिरों की लूट निषेधजनक ! – श्री. सुनील घनवट

केवल हिन्दू मंदिरों का धन लूटनेवाली सरकार सूखा निवारण करने हेतु मस्जिदों एवं चर्चों से धन क्यों नहीं लेती ?

मुंबई : शिर्डी के श्री साईबाबा संस्थान ट्रस्टद्वारा मुख्यमंत्री कोष के लिए ५० करोड रुपए देने का निर्णय निषेधजनक है ! इससे पूर्व भी श्री साईबाबा संस्थान ने राज्य शासन को जलशिवार योजना के लिए करोडों रुपए दिए हैं। वास्तव में राज्य का विकास और सूखा निवारण करना, सरकार का दायित्व है ! राज्य में सूखा पडने पर सरकार को उसके निवारण के लिए केंद्र सरकार और धनी उद्योगपतियों को आवाहन कर धनराशि जुटानी चाहिए थी। ऐसा न कर सरकार केवल हिन्दू मंदिरों को श्रद्धालुआें एवं भाविकोंद्वारा श्रद्धापूर्वक अर्पित किया गया धन, सूखा निवारण के लिए ले रही है, यह देवता के धन की लूट है !

सरकार ने अभी तक केवल हिन्दुआें के मंदिरों का धन लिया है, तो सूखा निवारण के लिए मस्जिदों एवं चर्चों से धन क्यों नहीं लेती ?, ऐसा प्रश्‍न हिन्दू जनजागृति समिति के महाराष्ट्र एवं छत्तीसगढ राज्य संगठक श्री. सुनील घनवट ने राज्य सरकार से पूछा है !

संस्थान ने कुछ वर्ष पूर्व तत्कालीन राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभाताई पाटिल की शिर्डी यात्रा के लिए एवं हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी के श्री साईबाबा शताब्दी महोत्सव की यात्रा हेतु ३ करोड रुपए खर्च किए थे ! प्रधानमंत्री मोदीजी ने इससे पूर्व केरल की चेरामन जुमा मस्जिद को भेंट दी थी। उस समय उस भेंट का खर्च केंद्र सरकार ने क्या मस्जिद से वसूल किया था ? छत्रपति शिवाजी महाराज अपने काल में मंदिरों को भेंट देकर उन्हें धार्मिक कृत्य अथवा मंदिरों के विकास हेतु दानधर्म करते थे; परंतु उन्हीं छत्रपति शिवाजी महाराज का नाम लेकर राजकाज करनेवाले आज के राज्यकर्ता, मंदिरों को दानधर्म करने के स्थान पर मंदिरों का ही धन इस तरह से लूट रहे हैं !

श्रद्धालुआें एवं भाविकोंद्वारा श्रद्धापूर्वक अर्पित किये गए धन का उपयोग धार्मिक कारणों के लिए ही होना चाहिए; परंतु सरकारीकरण हुए मंदिरों के संदर्भ में ऐसा नहीं होता, क्यों ? सरकारीकरण हुए मंदिर शासन को जो धन देते हैं, उसका उपयोग करते समय भी उसमें भ्रष्टाचार हो रहा है, ऐसा पाया गया है !

इसलिए सरकार अधिग्रहित सभी के सभी मंदिरें पुनः भक्तों के हाथों में सौंपे, यही हमारी मांग है !

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