हिन्दुओं के परंपराओं की रक्षा के लिए विशेष कानून बनाने की ‘मंदिर और धार्मिक संस्था महासंघ’ की मांग !
मुंबई – केरल के शबरीमला मंदिर में सर्व आयुवर्ग की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश करने के संबंध में सर्वोच्च न्यायालय ने निर्णय दिया है । इसके उपरांत देशभर में इस निर्णय के विरोध में आवाज उठने लगी है । न्यायालय के इस निर्णय के कारण ८०० वर्षों से अधिक समय से चल रही शबरीमला मंदिर की परंपरा को आघात पहुंचा है । संविधान ने प्रत्येक नागरिक को धर्मपालन का संवैधानिक अधिकार दिया है, तब भी दूसरी ओर इस निर्णय के कारण श्रद्धालुओं की श्रद्धा पर हमला किया जा रहा है । धर्मपरंपराओं की रक्षा के लिए केरल में लाखों श्रद्धालु ‘सेव शबरीमला’ अभियान द्वारा मार्ग पर उतरे हैं । शबरीमला मंदिर की परंपराओं की रक्षा के लिए वैधानिक मार्ग से चल रहे आंदोलन का हम समर्थन करते हैं । गत कुछ वर्षों से हमारे सैकडों मंदिरों की परंपराओं पर हमला करने का प्रयत्न हुआ है, वह निष्फल करने के लिए केंद्र सरकार हिन्दू परंपराओं की रक्षा के लिए कानून बनाए अन्यथा सर्वत्र वैध मार्ग से तीव्र आंदोलन करेंगे । इस आंदोलन के एक भाग स्वरूप हम आवाहन करेंगे कि ‘सरकारीकरण किए हुए मंदिरों की दानपेटी में अर्पण न करते हुए, उसके स्थान पर ‘मंदिर सरकारीकरण निरस्त करें, हिन्दू परंपराओं की रक्षा करें’ यह लिखी हुई चिट्ठियां डालें, ऐसी चेतावनी बदलापुर (ठाणे) के श्री रामदास मिशन (युनिव्हर्सल सोसायटी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष प.पू. स्वामी कृष्णानंद सरस्वतीजी ने पत्रकार परिषद में दी । ‘मंदिर और धार्मिक संस्था महासंघ’ की ओर से आज मुंबई मराठी पत्रकार संघ में आयोजित पत्रकार परिषद में वे बोल रहे थे |
इस पत्रकार परिषद में गौड सारस्वत ब्राह्मण (जी.एस.बी.) मंदिर ट्रस्ट (मुंबई) के न्यासी श्री. प्रवीण कानविंदे, केरलीय क्षेत्र परिपालन ट्रस्ट मुंबई के न्यासी श्री. पी.पी.एम. नायर, पनवेल स्थित जैन मंदिर संघ के न्यासी श्री. मोतीलाल जैन, सनातन संस्था की प्रवक्ता श्रीमती नयना भगत और हिन्दू जनजागृति समिति के मुंबई प्रवक्ता श्री. नरेंद्र सुर्वे आदि मान्यवर उपस्थित थे ।
शबरीमला मंदिर परंपरा के समान ही भाजपा देशभर में सभी मंदिरों की परंपराओं के संबंध में एक ही भूमिका रखे ! – श्री. प्रवीण कानविंदे
शबरीमला मंदिर की धर्मपरंपरा की रक्षा के लिए अभियान केरल तक सीमित नहीं रह गया है, वह देहली, मुंबई, अहमदाबाद, पणजी सहित देशभर में हो रहा है । हिन्दुओं की मंदिरों की धर्मपरंपराओं पर हमला किया जा रहा है, इसलिए हम राज्य के सर्व मंदिरों के माध्यम से परंपराओं की रक्षा के लिए जनजागृति करेंगे । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मा. मोहनजी भागवत और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री. अमित शहा ने शबरीमला मंदिर प्रकरण में ‘हिन्दुओं की परंपराओं की रक्षा के लिए’ भूमिका ली है । यही भूमिका भाजपा देशभर के सर्व हिन्दू मंदिरों की परंपराओं के संबंध में रखे । हिन्दुओं ने भाजपा शासन को चुना है, अतः भाजपा शासन हिन्दू धर्मपरंपराओं के लिए विशेष कानून बनाए ।
शबरीमला की परंपराओं के समान ही राज्य के मंदिरों की परंपराओं की रक्षा करें ! – श्री. नरेंद्र सुर्वे
तथाकथित आधुनिकतावादी, धर्मनिरपेक्षतावादी, कम्युनिस्ट आदि की हिन्दू धर्म, धर्म के तत्त्व और देवताओं पर श्रद्धा नहीं है, ऐसे लोग हिन्दुओं की धार्मिक बातों में हस्तक्षेप करते हैं, यह गलत है । जिस प्रकार राज्यसत्ता में निर्णय लेने का अधिकार राज्यकर्ताओं को है, उसी प्रकार धर्मक्षेत्र के निर्णयों का अधिकार धर्माचार्यों को है । हिन्दुओं के मंदिरों में क्या करना है, यह न्यायालय निश्चित करेगा ! हिन्दुओं के मंदिरों के धन का क्या करना है, यह शासन निश्चित करेगा ! यह क्या चल रहा है ? हिन्दुओं के मंदिर अधिग्रहित करनेवाले, देवनिधि में भ्रष्टाचार करनेवाले, मंदिरों के धन का उपयोग सामाजिक कारणों के लिए करनेवाले क्या चर्च और मस्जिद अधिग्रहित करने का साहस करेंगे ? क्या चर्च और मस्जिदों का सरकारीकरण करेंगे ? केवल हिन्दुओं के मंदिरों की परंपराओं में शासन और न्यायालय हस्तक्षेप कर रहे हैं, यह निंदनीय है । महाराष्ट्र शासन ने श्री साईबाबा संस्थान (शिरडी), श्री सिद्धिविनायक मंदिर (मुंबई), श्री विठ्ठल-रुक्मिणी मंदिर (पंढरपुर), पश्चिम महाराष्ट्र देवस्थान समिति, श्री शनि देवस्थान (शनिशिंगणापुर) आदि हिन्दुओं के मंदिर अधिग्रहित कर वहां की धर्मपरंपराओं में भी हस्तक्षेप किया है । शबरीमला की परंपराओं की रक्षा के आधार पर राज्य के मंदिरों की परंपराओं की रक्षा के लिए शासन पहल कर कानून बनाए, ऐसी मांग हिन्दू जनजागृति समिति के श्री. नरेंद्र सुर्वे ने की ।