सदगुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगळेजी की नेपाल यात्रा
राष्ट्रीय धर्मसभा नेपाळ की ओर से आयोजित पंचम राष्ट्रीय पंडित सम्मेलन में हिन्दू जनजागृति समिति का सहभाग
काठमांडु : राष्ट्रीय धर्मसभा नेपाळ की ओर से आयोजित पंचम राष्ट्रीय पंडित सम्मेलन के लिए हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सदगुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगळेजी प्रमुख अतिथी के रूप में उपस्थित थे। उस समय उन्होंने ऐसा मार्गदर्शन किया कि, ‘‘यदि ब्राह्मण के रूप में हम अपने कर्म की फलश्रुति यजमानों को अथवा स्वयं को देने में असमर्थ रहें, तो अपने ब्राह्मणत्व में, पांडित्य में कुछ न्यूनता है, यह बात ध्यान में रखते हुए हमें उसका चिंतन-मनन करना चाहिए ! क्योंकि ब्राह्मण को व्यक्तित्व स्तर पर व्यक्ति की इच्छा पूर्ण करने के लिए धर्म-कर्म दिया है एवं समष्टि स्तर पर राष्ट्र के उत्कर्ष का दायित्व भी दिया है !’’
सदगुरु (डॉ.) पिंगळेजी ने आगे कहा कि,
१. ब्राह्मण वर्ण चारों वर्णों का प्रतिनिधित्व करता है। सभी वर्णों की क्षमता उसमें रहती है। इस प्रश्न पर चिंतन-मनन होना चाहिए कि, जो व्यक्ति चारों वर्णों को समाविष्ट करते हुए उससे एकरूप होकर विराट समाजपुरुष का एक संगठित अंग निर्माण नहीं कर सकता, क्या उसे ब्राह्मण कह सकते हैं ?
२. समाज में ‘धर्म एवं धर्मनिरपेक्षता’ इन शब्दों से उथल पुथल हो गई है ! अतः धर्म की परिभाषा का अभ्यास करना चाहिए। यदि इस संदर्भ में समाज को मार्गदर्शन नहीं किया गया, तो क्या उस पाप में हम जिम्मेदार नहीं होंगे ?
३. आद्य शंकराचार्यजी ने धर्म की जो अंतिम परिपूर्ण परिभाषा की है, वह इस प्रकार है कि, जिससे व्यक्ति की भौतिक एवं पारलौकिक उन्नति होती है, समाजव्यवस्था उत्तम रहती है, वही धर्म है ! धर्म से हर व्यक्ति ने किसी के साथ कैसा आचरण करना चाहिए, यह बताया है। उदा. किसी पुरुष का आचरण उसकी पत्नी, बहन, मां के साथ विभिन्न प्रकार का होता है। वह उनके साथ एक ही प्रकार का आचरण नहीं कर सकता !
उसी प्रकार यदि सर्व धर्म समान रहेंगे, तो समाज में अराजकता निर्माण होगी ! व्यक्ति, समाज एवं राष्ट्र कभी भी धर्मनिरपेक्ष नहीं हो सकता !
आज ‘सेक्युलॅरिजम’ का अर्थ धर्मनिरपेक्ष किया जाता है; किंतु वह अनुचित है। सेक्युलॅरिजम का अर्थ है, पंथनिरपेक्षता ! यह समाज को बताने का दायित्व हमारा है। आज धर्मशासन की आवश्यकता है। व्यक्ति, समाज एवं राष्ट्र से हम धर्म को पृथक नहीं कर सकते !
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात