Menu Close

‘हिन्दू राष्ट्र’ में ही तीर्थस्थलों को उर्जितावस्था प्राप्त होगी ! – सदगुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगळेजी

सदगुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगळेजी की नेपाल यात्रा

पाल्या के काली गंडकी ज्ञानविज्ञान प्रतिष्ठान की ओर से आयोजित दामोदर मास उत्सव में सदगुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगळेजी का मार्गदर्शन

सदगुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगळे

पाल्या (नेपाल) : यहां के काली गंंडकी ज्ञान विज्ञान के अध्यक्ष श्री. चैतन्य कृष्ण ने दामोदर मास में प्रथम ही हर दिन अलग-अलग गांवों में जाकर सामूहिक रुप से दामोदर मास उत्सव मनाने का निश्चय किया था। इसका शुभारंभ २४ अक्तूबर को यहां की पवित्र उत्तर वाहिनी काली गंडकी नदी के किनारे पर हुआ। इस अवसर पर हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सदगुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगळेजी ने मार्गदर्शन किया।

दामोदर मास उत्सव में उपस्थित भक्त

मार्गदर्शन करते हुए सदगुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगळेजी ने कहा कि, . . . 

१. वर्तमान में धर्मसंस्थापना हेतु अर्थात ‘हिन्दू राष्ट्र’ स्थापित करने हेतु कार्य करना यही गंडकी माता, भगवान हिमालय एवं ईश्वर की आज्ञा होने के कारण सभी को इस कार्य में सक्रिय होना चाहिए; क्योंकि केवल ‘हिन्दू राष्ट्र’ ही तीर्थस्थलोंं को उर्जितावस्था प्राप्त करा सकता है !

२. महोत्सव अर्थात महाउत्सव. आध्यात्मिक दृष्टि से हम व्यापक होते जाते हैं तथा महत् तत्व से एकरुप होते हैं। यहां गंडकी नदी का प्रवाह उत्त्तर दिशा में है। माता गंडकी पंच तत्वों में से एक है, जो सगुण उपासना के माध्यम से ईश्वर के पास ले जाने का एक साधन है !

३. धन २ प्रकार का होता है। एक व्यावहारिक धन एवं दुसरा गुरुकृपा का धन ! उसी प्रकार जागृति भी दो प्रकार की होती है। एक स्थूल रूप से होना एवं दूसरा स्वस्वरुप से जागृत होना। जागऱण का अर्थ है स्वयं के ईश तत्व को जागृत करना है। ऐसी जागृति के लिए केवल गृरुकृपा का धन ही उपयोगी है। कोजागिरी पूर्णिमा की रात्रि में स्वस्वरुप से जागृत रहकर महालक्ष्मी के चरणों में हमें गृरुकृपा का धन प्राप्त हो, ऐसी प्रार्थना करें !

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

Related News

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *