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बांग्लादेशमें किए जानेवाले अत्याचारोंके विरोधमें अल्पसंख्यकोंद्वारा मानवी अधिकार ब्यौरा प्रस्तुत

dharmantar_320ढाका – यहांके बांग्लादेश माइनॉरिटी वॉच (बीडीएम्डब्ल्यु)तथा बांग्लादेश सेंटर फॉर राईट्स ऐण्ड डेवलपमेंट (बीसीएच्आर्डी)की ओरसे यहांके ढाका राष्ट्रीय प्रेस क्लबमें आयोजित एक पत्रकार परिषदमें बांग्लादेशके अल्पसंख्यकोंद्वारा मानवी अधिकार ब्यौरा हाल ही में प्रस्तुत किया गया । पत्रकार परिषदमें बांग्लादेशके अल्पसंख्यक पीडितोंने पत्रकारोंके समक्ष उपस्थित रहकर उनपर किए गए अपहरण, बलात्कार, सामूहिक बलात्कार, हत्या, बलपूर्वक धर्मपरिवर्तन, भूमिपर किए जानेवाले अतिक्रमण, निरन्तरके कष्टोंके कारण घरोंमें विस्थापित होना, इस प्रकारके भीषण अत्याचार कथन किए ।

इस पत्रकार परिषदका अध्यक्षपद बांग्लादेशके सर्वोच्च न्यायालयके अधिवक्ता तथा बांग्लादेश हिन्दू, बौद्ध, ईसाई ऐक्य परिषदके सदस्य श्री. सुब्रत चौधरीने भूषित किया । इसके अतिरिक्त इस पत्रकार परिषदमें अनेक मान्यवर उपस्थित थे तथा उन्होंने अपने विचार प्रस्तुत किए । उनमें बांग्लादेश सर्वोच्च न्यायालयके बार एसोसिएशनके अध्यक्ष, बांग्लादेश बार कॉन्सिलके उपाध्यक्ष तथा सर्वोच्च न्यायालयके वरिष्ठ अधिवक्ता श्री. खांडकर महबूब हुसेन, विख्यात स्वतंत्रता सेनानी तथा गायक श्री. मनोरंजन घोषाल, सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. बेनू भूषण चौधरी तथा अर्थशास्त्रके प्राध्यापक तथा बीडीएम्डब्ल्यु उपाध्यक्ष डॉ. चंदनकुमार सरकार सम्मिलित थे । अल्पसंख्यकोंद्वारा व्यक्त की गई कुछ प्रत्यक्ष प्रतिक्रियाएं इस प्रकार हैं ।

१. श्री मनमोहन घोशाल : हिन्दू राष्ट्रप्रेमी हैं तथा बांग्लादेशको वे अपनी जन्मभूमि मानते हैं । बांग्लादेशकी स्वतंत्रताके पश्चात हिन्दुओंमें कोई भी रजाकार नहीं हैं । अपितु उनके लिए अत्याचार एवं अमानवीय व्यवहारके कारण देशका त्याग करना बाध्य हो रहा है । उनपर अत्याचार करनेवाले नए रजाकार हैं ।

२. डॉ. बेनू भूषण चौधरी : जहां हिन्दूबहुल क्षेत्र है, वहां हिन्दुओंका प्रतिनिधित्व हिन्दुओंको करना चाहिए तथा संसदमें भी उस क्षेत्रका संसद सदस्य हिन्दू ही होना चाहिए । ऐसा हुआ, तो ही अल्पसंख्यकोंके अधिकार अबाधित रहेंगे ।

३. प्रा. चंदन सरकार : बांग्लादेशमें धर्मके नामपर हिन्दुओंपर केवल राजनेता नहीं, अपितु विरोधी दल भी अत्याचार करते हैं । मोहम्मद पैगम्बरके नामसे हिन्दुओंके मंदिर उद्ध्वस्त किए जाते हैं तथा उनकी संपत्ति लूटी जाती है । यदि हिन्दुओंने एकत्रित आकर इसका विरोध नहीं किया, तो एक दिन हिन्दू केवल राष्ट्रीय संग्रहालयमें पाए जाएंगे ।

४. श्री. सुब्रत चौधरी : यदि शासनने हिन्दुओंकी सुरक्षा नहीं की, तो जागतिक मानवाधिकार आयोगके पास न्याय मांगना बाध्य होगा । अपने मूल अधिकारोंकी सुरक्षा करना ही हमारा कर्तव्य है । हिन्दुओंकी प्रतिष्ठा, सम्मान तथा जीवनकी दिनबदिन हानि ही हो रही है । उसके लिए हिन्दुओंकी सुरक्षा करना तथा उन्हें त्वरित न्यायकी मांग करना आवश्यक है । पत्रकार परिषदके आरम्भमें अधिवक्ता रवींद्र घोषने सन २००७ से २०१४ तकका ब्यौरा प्रस्तुत किया । इस ब्यौरेके अनुसार अबतक बांग्लादेशके अल्पसंख्यकोंके १ सहस्र ६९९ मन्दिर उद्ध्वस्त किए गए हैं, ५ सहस्र परिवारोंको उनका घर तथा भूमिसे विस्थापित किया गया, ४०६ लोगोंका बलपूर्वक धर्मपरिवर्तन किया गया, ३०२ अल्पसंख्यंकाकी हत्या की गई, ३९२ महिलाओंपर बलात्कार किए गए, २ सहस्र ९०० व्यक्तिओंको शारीरिक चोट पहुंचाई गई, ५० व्यक्तिओंकी बन्दीगृहमें पिटाई की गई तथा एककी पुलिस कोठरीमें मृत्यु हुई । सभी पीडितोमेंसे अधिकांश लोगोंने पत्रकार परिषदमें अपने अनुभव कथन किए ।

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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