Menu Close

ज्वालामुखी मंदिर (हिमाचल प्रदेश) यहां कलियुग में भी मिलता है सत्य का प्रमाण, लोटे में दर्शन देती हैं ज्वाला मां !

ज्वालामुखी मंदिर : विश्व विख्यात शक्तिपीठ ज्वालामुखी मंदिर में कलियुग में भी सत्य का प्रमाण सिद्ध होता है। मंदिर में लोटे में भी ज्वाला मां के दर्शन होते हैं। पानी व दूध को लोटे में डाल कर ज्वाला के मुख में लगाते हैं तो ज्वाला मां लोटे में दर्शन देती हैं ! पुजारी अविनेदर शर्मा ने बताया कि ज्वालामुखी मंदिर में आज भी लोटे में ज्वाला मां के दर्शन करवाए जाते हैं। कलियुग में यह सत्य का प्रमाण साबित होता है ! जले ज्वाला, स्थले ज्वाला, ज्वाला आकाश मंडले, तरलोए व्यापनी ज्वालामुखी देवाई नम:। यह मंत्र आज के युग में यथार्थ है। ज्वालामुखी मंदिर में आकर भक्त पानी और दूध को लोटे में डालकर मां को भोग लगाते हैं और लोटे में ज्वाला मां के दर्शन होते हैं। ज्वालामुखी के १४० किलोमीटर दूर स्थित श्रीनयनादेवी शक्तिपीठ मंदिर में आकाश मंडलद्वारा ज्योतियां आती हैं और अपने भक्तों को दर्शन देती हैं !

मां नयनादेवी के नेत्र को स्पर्श करती हैं ज्योतियां

श्रीनयनादेवी मंदिर के ऊपर त्रिशूल स्थित है। ये ज्योतियां उसके ऊपर जाकर मां नयनादेवी के नेत्र को स्पर्श करती हैं, उसके बाद मंदिर में स्थित पीपल के पेड़ के पत्ते-पत्ते पर ज्योतियों के दर्शन होते हैं। उस दौरान मंदिर में इतनी हवा होती है कि वहां कोई आदमी खड़ा नहीं हो सकता है और मंदिर में मौजूद सभी भक्तों ने जो फूल व मिठाई ली होती है, उन सब पर ज्योतियों के दर्शन होते हैं। जिस दिन ज्योतियां श्रीनयनादेवी मंदिर जाती हैं, उस दिन मौसम बारिशवाला व खराब होता है। उस दिन ज्वालामुखी मंदिर में ज्योतियां शांत हो जाती हैं और ज्वाला मां की मुख्य ज्योति के ही दर्शन होते हैं। इसका कोई दिन निश्चित नहीं होता है। यह साल में २-४ बार जाती हैं। यह नजारा एक या दो मिनट का होता है !

पुजारी अविनेदर शर्मा

शास्त्रों में ये है कथा

इसके पीछे शास्त्रों में कथा है कि नयनादेवी माता महिषासुर मर्दनी के रूप स्थापित हैं। यह अपने स्थान से उठ नहीं सकतीं। अगर यह उठेंगी तो वो राक्षस, जिसके हड्डियों के ढांचे पर मां नयना ने अपना आसन रखा हुआ है, उठकर दोबारा फिर से युद्ध करने को आतुर हो जाएगा। इस वजह से महामाई वहां से नहीं उठती हैं !

स्त्रोत : पंजाब केसरी

Related News

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *