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‘धर्मनिरपेक्षता’ हिन्दुआें के धार्मिक अस्तित्व को ही मिटाने का षड्यंत्र ! – श्री. मनोज खाडये, हिन्दू जनजागृति समिति

हिन्दू जनजागृति समिति के ‘हिन्दू राष्ट्र संपर्क अभियान’ के अंतर्गत आंबडस में परिचर्चा का आयोजन

आंबडस मे आयोजित परिचर्चा में बाईं ओर से श्री. संतोष घोरपडे, श्री. मनोज खाडये एवं धर्मप्रेमी

चिपळूण (जिला रत्नागिरी, महाराष्ट्र) : हमारे देश को जब स्वतंत्रता मिली, तब के कुल ५६८ संस्थानों में से केवल २ ही संस्थान मुसलमान शासकों के नियंत्रण में थे। शेष सभी संस्थान हिन्दू शासकों के थे। इसलिए इस देश के संविधान को बनाते समय इस देश को धर्मनिरपेक्ष घोषित किया जाए, यह नेहरू का हठ सरदार वल्लभभाई पटेल, एवं डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर की वस्तुनिष्ठ दृढनिष्ठा के कारण पूर्ण नहीं हो सका ! इन दोनों नेताआें ने नेहरू को यह चेतावनी देते हुए कहा था कि बहुसंख्य हिन्दुआें के इस देश में इस देश को धर्मनिरपेक्ष घोषित किया गया, तो देश को पुनः एक बार विभाजन का सामना करना पडेगा। इसलिए उस समय देश को धर्मनिरपेक्ष घोषित करने का षड्यंत्र सफल नहीं हुआ; परंतु नेहरू की इस इच्छा को वर्ष १९७६ में तात्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने संविधान में ४२वां संशोधन कर पूर्ण की !

हिन्दुआें को यह समझ लेना चाहिए कि संविधान में ‘धर्मनिरपेक्षता’ यह शब्द घुसेड़ कर हिन्दुआें के धार्मिक अस्तित्व को ही मिटाने का यह षड्यंत्र था ! हिन्दू जनजागृति समिति के पश्‍चिम महाराष्ट्र, कोंकण, साथ ही गुजरात राज्य के समन्वयक श्री. मनोज खाडये ने ऐसा प्रतिपादन किया।

हिन्दू राष्ट्र संपर्क अभियान के अंतर्गत यहां के आंबडस में श्री. जयंत मोरे के मंगल कार्यालय में वहां के चुनिंदा हिन्दू संगठकों के लिए एक परिचर्चा का आयोजन किया गया था। इस परिचर्चा में आंबडस, चिरणी, भेलसई, साखर, धामणंद एवं काडवली गांवो से आए धर्मप्रेमी उपस्थित थे।

इस परिचर्चा में सरपंच श्री. रमेश पांडुरंग मजलेकर, धर्मप्रेमी सर्वश्री आनंद कदम, गणेश उतेकर, सुरेश देवरूखकर, अनिकेत म्हापदी, दयानंद म्हापदी, वसंत रामाणे एवं संतोष कालप इन्होने सहभाग लिया। इन धर्मप्रेमियों ने इसके आगे परिसर में हिन्दू राष्ट्र संगठन कार्य के प्रसार हेतु प्रधानता लेकर कार्य करने का निर्धार व्यक्त किया।

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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