लवेल (खेड, जिला रत्नागिरी, महाराष्ट्र) में हिन्दू राष्ट्र संपर्क अभियान के अंतर्गत परिचर्चा
चिपळूण : व्यावहारिक जीवन मे सफल व्यक्ति अपनी सफलता का श्रेय स्वयं के पुरुषार्थ को देता है; परंतु उसके जीवन में यदि कोई दुखद घटना होने पर ‘ईश्वर ने इसे मेरे पल्ले में ही क्यों डाला ?’, ऐसा कहकर अप्रसन्नता व्यक्त करता है ! मनुष्य केवल ईश्वरीय शक्ति के आधार से ही स्वयं के जीवन में संतुष्टी प्राप्त कर सकता है एवं व्यावहारिक सफलता-असफलता प्रारब्ध के अधीन है। धर्म, अर्थ, काम एवं मोक्ष इन ४ पुरुषार्थों में से अर्थ एवं काम प्रारब्धाधीन हैं, तो धर्म एवं मोक्ष प्राप्ति के लिए क्रियमाण की आवश्यकता होती है; परंतु मनुष्य अपने संपूर्ण जीवन में केवल अर्थ एवं काम के लिए ही क्रियमाण का उपयोग कर धर्म एवं मोक्ष को प्रारब्ध पर सौंप देता है ! वास्तव में व्यक्तिगत जीवन में आनंद एवं त्याग पर आधारित हिन्दू राष्ट्र निर्माण के लिए साधना का बल आवश्यक है ! इसके लिए हर हिन्दू ने साधना का निर्धार करना चाहिए। हिन्दू जनजागृति समिति के पश्चिम महाराष्ट्र, कोंकण, साथ ही गुजरात राज्य के समन्वयक श्री. मनोज खाडये ने ऐसा प्रतिपादित किया।
खेड तहसिल के लवेल गांव में आयोजित परिचर्चा में वे ऐसा बोल रहे थे। श्री मालशे सभागार में संपन्न इस परिचर्चा में असगणी के सर्वश्री चंद्रकांत गोसावी, अशोक बुरटे, लवेल शेलारवाडी के गोपाल शेलार, अनंत शिंदे, सात्विणगांव के अनंद जोयशी, संदीप चांदीवडे, मेटे के जगन्नाथ कदम, चंद्रकांत पाटिल, आष्टी के अमित गुुरव, दाभिळ की श्रीमती संध्या गुणदेकर, मोरवंडे के सर्वश्री काशिनाथ भुवड, विजय भुवड आदि २३ धर्मप्रेमी, साथ ही हिन्दू जनजागृति समिति के सर्वश्री मधुकर मोरे, दत्ताराम घाग एवं विष्णु साळुंके उपस्थित थे।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात