Menu Close

‘अंनिस वार्तापत्र’द्वारा लाखों रुपए की पेटूगिरी कर मिला हुआ काला धन किसकी जेब में पहुंचा ? – अंनिसवालो, जवाब दो !

  • अंनिस के आर्थिक घोटाले उजागर करने के लिए हिन्दुत्वनिष्ठ संगठन रस्ते पर

  • भ्रष्टाचारी अंनिस पर कठोर कानूनी कार्यवाही करें !

पुणे – वैज्ञानिक दृष्टि और विवेकवाद का दिखावाकर धर्मविश्‍लेषण का ढिंढोरा पीटनेवाली अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के (अंनिस) विवेकवाद और आर्थिक लेन-देन का विश्‍लेषण करने का अब समय आ गया है । विवेकवाद, वैज्ञानिक दृष्टि, अंधश्रद्धा निर्मूलन, धर्मविश्‍लेषण आदि शब्दों का उपयोग कर समाज को भ्रमित करनेवाली अंनिस के भ्रष्टाचारी और नास्तिकतावादी कारनामे दिन-प्रतिदिन उजागर हो रहे हैं । सूचना के अधिकारों के अंतर्गत मिली वर्तमान जानकारी के आधार पर अंनिस की मासिक पत्रिका ‘अंधश्रद्धा निर्मूलन वार्तापत्र’ और दीपावली विशेषांक के माध्यम से मिलनेवाली लाखों रुपयों की आय अंनिस ने वित्तीय बैलेंस शीट में न दिखाकर शासन और समाज को ठगने की घटना उजागर हुई है । इससे पूर्व भी उजागर हुए प्रकरणों में अंनिस के आर्थिक घोटाले देखें, तो‘अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति’ को ‘घूसखोर समिति’ कहना अधिक उचित होगा । भ्रष्टाचार में आकंठ डूबी अंनिस पर कठोर कानूनी कार्यवाही करने की मांग करते हुए जनपद के विविध हिन्दुत्वनिष्ठ, आध्यात्मिक, सामाजिक संगठन, संप्रदाय, हिन्दुत्वनिष्ठ राजकीय दल सडक पर उतरे । पुणे जिलाधिकारी कार्यालय के सामने १६ नवंबर को अंनिस के विरोध में आंदोलन किया गया ।

सरलता का दिखावा कर रुपए खानेवाली भ्रष्टाचारी अंनिस पर कठोर कार्यवाही की जाए, समिति पर प्रशासन नियुक्त कर अभी तक हुए सभी आर्थिक घोटालों की पूछताछ की जाए, ऐसी मांगे इस समय की गईं । ‘अंनिस वार्तापत्र’द्वारा लाखों रुपए की पेटूगिरी कर मिला हुआ काला धन किसकी जेब में पहुंचा है ? अंनिसवालो, जवाब दो !’ ऐसे नारे लगाकर अंनिस का भ्रष्टाचार उजागर किया गया । इससे संबंधित निवेदन भी जिलाधिकारी को दिया गया ।

‘अंधश्रद्धा निर्मूलन वार्तापत्र’ के नवंबर-दिसंबर २०१२ के दीपावली विशेषांक के विज्ञापनों के मूल्यपत्रक के अनुसार दीपावली विशेषांक के विज्ञापनों की आय न्यूनतम रु. २०,५६,५०० तथा सदस्यों से मिलनेवाली आय न्यूनतम १४ लाख रुपयों से अधिक है । इसके अतिरिक्त वर्षभर मिलनेवाले अन्य विज्ञापन एवं फुटकर विक्रय की आय मिलाकर वर्ष के अंत में मिलनेवाली लाखों रुपयों की आय अंनिस ने वर्ष २०१२-१३ के आर्थिक कागजातों में नहीं दिखाई है तथा ऐसा अनेक वर्ष हुआ है । इससे पूर्व भी अंनिस ने स्वयं का वित्तीय बैलेंस शीट और कामकाज के परिवर्तन शासन में प्रविष्ट नहीं किए हैं । पुस्तकों के विक्रय से मिली हुई राशि भी हिसाब में नहीं दिखाई है । अंनिस की शाखाआें की आय हिसाब में नहीं दिखाई है । धर्मादाय आयुक्त की अनुमति न लेकर स्थाई संपत्तियां बेची हैं तथा शासन को कर (अंशदान) न देकर शासन को आर्थिक हानि पहुंचाई है । विदेशी दान प्राप्त छिपाने के प्रकरण में ‘फीसीआरए’ कानून के अंतर्गत भी अंनिस रडार पर थी । कानून का खुलेआम उल्लंघन कर यह समिति ‘संविधान बचाओ’ का ढोल पीटती है, इसे अंनिसवालों का पाखंड ही कहना पडेगा । इतने आर्थिक घोटालों का‘जवाब’ देने के स्थान पर अंनिस ने इन घोटालों के संबंध में टालनेवाले उत्तर देकर उनका (अ)विवेक दिखाया है । इस अवसर पर हिन्दू जनजागृति समिति के महाराष्ट्र और छत्तीसगढ राज्य संगठक सुनील घनवट ने प्रश्‍न किया है कि अंनिस के घोटालों की संपूर्ण जानकारी उपलब्ध होते हुए भी शासन उन पर कार्यवाही क्यों नहीं करता ?

सम्मिलित संगठन और मान्यवर – अखिल राजस्थान समाज संघ के अध्यक्ष श्री. ओमसिंह भाटी, अधिवक्ता मोहन डोंगरे, अधिवक्ता नीलेश निढाळकर,स्वातंत्र्यवीर सावरकर युवा मंच के डॉ. नीलेश लोणकर, हिन्दू एकता आंदोलन पक्ष के पुणे शहर उपाध्यक्ष श्री. शैलेंद्र दीक्षित, श्री शिवप्रतिष्ठान हिन्दुस्थान के श्री.मुकुंद मासाळ, अधिवक्ता संभाजी यादव, रणसंग्राम ग्रुप के श्री. राजेश शुक्ला, जय भवानी माता ट्रस्ट के श्री. सचिन बाबर, फुरसुंगी स्थित शिववंदना संघ के श्री.नीलेश पवार, सरनौबत हंबीरराव मोहिते गोशाला के संस्थापक पंडित दादा मोडक, शिवसमर्थ कोकण ट्रस्ट के श्री. गणेश पवार, अखिल भारतीय ब्राह्मण समाज के श्री. मनोहरलाल उनेचा, रणरागिनी शाखा की कु. क्रांती पेटकर, सनातन संस्था के प्रा. विठ्ठल जाधव, हिन्दू जनजागृति समिति के श्री. पराग गोखले सहित 120से अधिक धर्माभिमानी उपस्थित थे ।

Related News

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *