मुंबई/नई दिल्ली : एसबीआई फंड्स मैनेजमेंट का एसबीआई शरिया इक्विटी फंड टाल दिया गया है। फंड लाने की जानकारी मिलते ही भास्कर ने सभी संबंधितों से प्रश्न पूछे थे। भास्कर के रिपोर्टरों द्वारा व्यक्तिगत रूप से संपर्क करने के बावजूद जब स्पष्ट उत्तर नहीं मिले तो सभी से मेल, मैसेज और फोन पर भी पूछा गया। मूल प्रश्न था क्या सरकारी क्षेत्र की सबसे बड़ी हिस्सेदारी वाली कंपनी किसी धर्म विशेष को ध्यान में रखकर फंड लॉन्च कर सकती है? क्या इस्लामिक फंड के बाद जैन, सिख, ईसाई फंड भी लाए जाएंगे? १ दिसंबर को अंतत: जवाब आया कि इसे टाल दिया गया है। एसबीआई शरिया इक्विटी फंड 1 दिसंबर को लॉन्च होना था। बैंकिंग सूत्रों का मानना है कि विवाद के कारण इसे टाल दिया गया है।
अगर फंड लॉन्च होता तो ब्रिटेन के बाद भारत विश्व में दूसरा ऐसा गैर-इस्लामिक देश बन जाता, जिसके किसी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक की सहायक कंपनी शरिया बॉन्ड लेकर आती। वर्तमान में देश में निजी क्षेत्र में अमेरिका की गोल्डमैन सैक्स, टोरस और टाटा के ऐसे फंड हैं। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया शुरू से ही कहता रहा कि यह फंड वह नहीं, बल्कि एसबीआई एफएम ला रही है। यह एसबीआई की ही सहयोगी कंपनी है, जो एसबीआई फंड्स मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड के नाम से रजिस्टर्ड है। यह संयुक्त भागीदारी वाली कंपनी है। इसमें स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की ६३ फीसदी और फ्रांस की कंपनी अमूंडी की ३७ फीसदी हिस्सेदारी है। इसके साथ ही एसबीआई की सीएमडी अरुंधति भट्टाचार्य एसबीआई एफएम कंपनी की बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स- एएमसी (असेट मैनेजमेंट कंपनी) की चेयरपर्सन और एसोसिएट डायरेक्टर हैं।
फंड की साइट पर भी एक मात्र स्पॉन्सर के रूप में एसबीआई का नाम है। इस तरह से यह कंपनी सरकारी फंड से ही निर्मित हुई है। इसके साथ ही एसबीआई एफएम के द्वारा लाया जाने वाला म्यूचुअल फंड का नाम भी ‘एसबीआई शरिया इक्विटी फंड’ रखा गया है।
एसबीआई एफएम के वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक निवेशकों के लिए और अधिक आकर्षक बनाने के चलते इसकी लांचिंग रोकी गई है। एसबीआई एफएम के ईडी और चीफ मार्केटिंग ऑफिसर डीपी सिंह ने भास्कर को बताया कि हमने ओपन इंडेक्स शरिया म्यूचुअल फंड को लाने के लिए इस वर्ष मई २०१४ में सेबी को एप्लाई किया था। जुलाई २०१४ में हमें सेबी से अनुमति मिल गई थी। इसके बाद हमने एक दिसंबर को इसे लाने का फैसला किया था।
आरबीआई के गवर्नर पद पर रहते हुए डी. सुब्बाराव कह चुके हैं कि भारत में इस्लामिक बैंकिंग सिस्टम मौजूदा स्वरूप में असंभव है क्योंकि अभी देश में बैंकों का लेन-देन ब्याज में ही होता है। इस्लामिक बैंकिंग के लिए अलग से विशेष नियामक नियुक्त करना पड़ेगा।
इस्लामिक नियमों के तहत एसबीआई एफएम ‘एसबीआई शरिया इक्विटी फंड’ लॉन्च करने जा रही थी। २००६ में पेश सच्चर कमेटी की रिपोर्ट में कहा गया था कि देश के आधे मुस्लिम ही फाइनेंशियल सिस्टम यानी शेयर बाजार, म्यूचुअल फंड, बैंकिंग आदि से जुड़े हैं।
इसका अर्थ क्या है?
भारत के साथ ही कई देशों के शेयर बाजारों में शरिया के नियम लागू हैं। इसमें कंपनियां शरिया फंड ला सकती हैं, जो इसके अनुसार काम करती हों।
पैसा कैसे कमाया जाए?
इसके लिए रास्ता निकाला गया कि शरिया का पालन करने वाले फंड्स शेयर मार्केट में लाए जाएं।
दूसरे फंड से अलग कैसे?
ये भी दूसरे फंड जैसे ही रहते हैं। लेकिन शरिया फंड्स का पैसा उन कंपनियों में ही लगता है, जो इस्लाम के नियमों का पालन करती हैं।
इन्वेस्टर को क्या फायदा?
जो इन्वेस्टर ब्याज नहीं लेना चाहता, उनके लिए डिविडेंट यानी लाभांश रहता है। और जो दोनों ही नहीं चाहते, उनको ग्रोथ का ऑप्शन मिलता है, जिससे नेट असेट वैल्यू बढ़ती जाती है।
ये कैसे काम करती हैं?
ये कंपनियां न तो ब्याज आधारित हैं, न ही शराब, केसिनो और गैर हलाल फूड प्रोडक्ट्स के क्षेत्रों में हाथ डालती हैं। ये फंड्स ज्यादा डेबिट इक्विटी रेशो वाली कंपनियों में भी निवेश नहीं करते हैं।
पता कैसे चलेगा?
बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में शरिया आधारित कंपनियों का अलग से इंडेक्स है। ये कंपनियां एस एंड पी बीएसई ५०० शरिया इंडेक्स में लिस्टेड हैं। एनएसई में सीएनएक्स निफ्टी शरिया इंडेक्स भी है।
रिटर्न कम या ज्यादा?
हां, शरिया इंडेक्स की ग्रोथ बीएसई में बेहतर है। ईडी एसबीआई एफएम डीपी सिंह के अनुसार जहां बीएसई के अन्य इंडेक्स ने रिटर्न करीब १४ फीसदी दिया है। वहीं शरिया इंडेक्स का रिटर्न १८ फीसदी रहा है।
२६ नवंबर से एक दिसंबर तक ये प्रमुख सवाल पूछे भास्कर ने
१. क्या किसी धर्म विशेष को ध्यान में रखकर सरकारी हिस्सेदारी वाली कंपनी कोई प्रोडक्ट लॉन्च कर सकती है?
२. सरकार में किसने और कब इस म्यूचुअल फंड को मंजूरी दी?
३. यूपीए सरकार ने इस पर फिजिबिलिटी रिपोर्ट बनाने को कहा था। क्या एनडीए सरकार भी इसी लीक पर चल रही है?
४. एसबीआई चेयरमैन के नाते क्या आप इस फंड को लाने के लिए सहमत थीं?
५. क्या यह बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स का एकमत फैसला था? या असहमति भी थी?
– कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स – एएमसी में इंडीपेंडेंट डायरेक्टर प्रो. एचके प्रधान ने असहमति के प्रश्न पर कहा कि मैं इस पर सार्वजनिक टिप्पणी नहीं दे सकता।
एक लाइन में आया जवाब
एसबीआई सीएमडी अरुंधति भट्टाचार्य, एसबीआई एफएम डायरेक्टर्स सहित संबंधित सभी पक्षों से सवाल पूछे- जवाब एक दिसंबर को एसबीआई सीएमडी के ऑफिस से आया ‘फंड टाल दिया गया है।’
मंत्रालय का लेना-देना नहीं
कोई भी बैंक आरबीआई के मानकों के मुताबिक कैसी भी योजना शुरू कर सकता है। मैं यह भी साफ कर देना चाहता हूं कि वित्त मंत्रालय का इस प्रोजेक्ट विशेष से कोई लेना-देना नहीं है।
– अरुण जेटली, वित्तमंत्री
यह कानून के खिलाफ
मुझे आश्चर्य है कि ऐसा बॉन्ड या पेपर एसबीआई की कोई कंपनी ला रही है। धर्म या संप्रदाय के आधार पर फंड लाना कानून के खिलाफ भी होगा। सेबी को भी इसे देखना चाहिए और इसे प्रोत्साहित नहीं करना चाहिए।
– यशवंत सिन्हा, पूर्व वित्तमंत्री
रिटर्न के कारण टला
एसबीआई एफएम सरकारी म्यूचुअल फंड कंपनी है। मीटिंग में रिटर्न, कंपनी कमीशन आदि मुद्दों को दोबारा देखने की आवश्यकता के कारण शरिया फंड डेफर किया गया है।
– डीपी सिंह, ईडी, एसबीआई एफएम
स्रोत : दैनिक भास्कर
शरिया के अनुसार स्टेट बैंक ऑफ इंडिया इस्लामी इक्विटी फंड लॉन्च करेगा, गैरइस्लामी राष्ट्रोंमें एेसे करनेवाला भारत दूसरा देश
नवंबर २९, २०१४
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया अगले महीने इस्लामिक इक्विटी फंड जारी करने जा रहा है। देश भर के १७ करोड़ मुसलमानों के लिए यह निवेश का अच्छा अवसर होगा। सिक्योरिटी ऐंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) ने हाल ही में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया और चीन अन्य म्युचुअल फंडों को शरिया फंड जारी करने की इजाजत दी।
बुधवार को स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के एक अधिकारी ने कहा कि बैंक को उम्मीद है कि वह इस फंड में एक अरब रुपये की राशि का निवेश होगा। यह पहली दिसंबर से लॉन्च होगा।
इस समय काफी तादाद में मुसलमान अपने धन का निवेश नहीं करते क्योंकि शरिया कानून के मुताबिक ब्याज लेना हराम माना जाता है।
इस फंड में उन कंपनियों के शेयर नहीं रखे जाएंगे जो शराब, तंबाकू, जुए और कसीनो वगैरह के काम में लगे हुए हैं। इतना ही नहीं वे वित्तीय संस्थान जो ब्याज का धंधा करते हैं, इससे दूर रखे जाएंगे।
एसबीआई म्युचुअल फंड के सीईओ दिनेश खारा ने कहा कि यह ऐसा इक्विटी फंड होगा जिसमें छोटे, मध्यम और बड़े आकार के कैपिटल फंड होंगे। उन्होंने कहा कि शरिया के मानदंड पर खरे उतरने वाले फंडों की हम पहचान करेंगे। भारत के स्टॉक एक्सचेंजों में ६०० से ७०० ऐसी कंपनियां हैं जो शरिया कानून के तहत काम करती हैं।
इस फंड को ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड से अनुमति मिली हुई है।
पिछले साल मई में बांबे स्टॉक एक्सचेंज ने देश का पहला शरिया इंडेक्स लॉन्च किया था जो शरिया के अनुसार चलने वाली कंपनियों के स्टॉक से जुड़ा था। इन कंपनियों ने ४६ प्रतिशत का रिटर्न दिया था जबकि बीएसई इंडेक्स ने ४१ फीसदी का।
इस्लामी देशों के बाहर भारत दूसरा देश है जिसने शरिया से जुड़ा एक फंड जारी किया है। इसके पहले इंग्लैंड ने इस्लामी बांड जारी किया था।
स्त्रोत : आज तक