काशी में चल रही परम धर्म संसद १००८ में हिस्सा ले रहीं साध्वी ब्रह्मवादिनी देवी स्कंद गूगल की नौकरी और लाखों का सैलरी पैकेज छोडकर साध्वी बनीं। साध्वी ब्रह्मवादिनी देवी स्कंद धर्म संसद में सबसे कम उम्र प्रतिनिधि हैं।
देहली में पली बढी साध्वी ब्रह्मवादिनी देवी स्कंद एक बडे कारोबारी की बेटी हैं। शुरू से ही इंग्लिश मीडियम से पढाई की। इसके बाद देहली यूनिवर्सिटी से बीकॉम किया, फिर सीएस की पढाई की। शिक्षा के बल पर ही गूगल जैसी कंपनी में नौकरी लगी। करीब एक साल तक नौकरी की।
उन्होंने बताया कि पढाई के दौरान वह माता-पिता के साथ मंदिरों और गुरुमाता के यहां आती जाती रहीं हैं। इस दौरान ही मां के साथ गुरु माता के यहां आईं। उनके द्वारा ईश्वर को लेकर बताए गए मार्ग से बहुत प्रभावित हुईं।
घर में जब वैराग्य लेने की बात कही तो मां तो मान गई, लेकिन पिता को मनाना मुश्किल था। गुरु माता के आदेश से फैसला अटल हो गया था। मेरी इच्छा को देखते हुए पिता और भाई ने भी अनुमति दे दी।
इसके बाद मैं गुरु माता आशुतोशांवरी की शरण में गोरखपुर के मुंडेरवा स्थित परब्रह्म संयोज्य शरणमेमि आश्रम आ गई। वहां मेरा नाम ब्रह्मवादिनी देवी स्कंद पड़ा।
स्त्रोत : अमर उजाला