एक इस्लामिक शिक्षक दो स्कूली छात्राओं को अरबी पढ़ाने के नाम पर उनका यौन शोषण करता रहा। ४६ साल के इमाम फारुक अहमद को इस मामले में १४ साल की जेल की सजा सुनाई गई है ! उस पर आरोप साबित हुआ है कि साल २००९ से साल २०११ के बीच उसने दो बच्चियों के साथ रेप किया है। इंग्लैंड की वूल्वरहैम्प्टन क्राउन कोर्ट (Wolverhampton Crown Court) में इस मामले की सुनवाई की गई। सुनवाई के दौरान यह भी पता चला कि यह इस्लामिक टीचर इन बच्चियों को धमकाता भी था। वेबसाइट ‘डेली मेल’ के अनुसार इस घिनौनी करतूत का खुलासा साल २०१६ में उस वक्त हुआ जब एक पीड़ित बच्ची ने मेंटल हेल्थ नर्स को अपने साथ हुई इस भयानक वारदात के बारे में बताया। हालांकि शुरू में इस टीचर ने पुलिस के सामने यह तो कबूल कर लिया कि उसने इन दोनों बच्चियों को शिक्षा दी है लेकिन उसने यौन शोषण के आरोपों से इनकार कर दिया !
इसके बाद साल फरवरी २०१७ में इमाम फारुक अहमद को इसी महीने में इन दोनों लड़कियों को १० बार गलत तरीके से छूने और उनका यौन शोषण करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। जांच में धीरे-धीरे इस पूरे मामले की भयानक सच्चाई सामने आई और फिर बीते शुक्रवार को इस शख्स को अदालत ने १४ साल कारावास की सजा सुनाई। स्थानीय काउंसलर मोहम्मद परवेज इसी मस्जिद में अक्सर जाया करते थे उन्होंने इसे एक शर्मनाक घटना बताया है। उन्होंने इमाम फारुक अहमद के बारे में बताया कि वो स्टोक-ऑन-ट्रेंट (Stoke-on-Trent) प्रांत के कोब्रिज (Cobridge) इलाके में स्थिति मस्जिद में रहता था। वो ज्यादा किसी से बातचीत नहीं करता था और खुद को व्यस्त रखता था। उन्होंने कहा कि जेंटलमैन की तरह व्यवहार करनेवाले इस शख्स की ऐसी घिनौनी करतूत में संलिप्ता परेशान करनेवाला है !
इस केस की जांच कर रही वेस्ट मिडलैंड्स पुलिस की डिटेक्टिव कॉन्स्टेबल सारा वेस्ट ने कहा है कि इन लड़कियों के साथ भयानक घटना हुई है और इस मामले में अब उन्हें इंसाफ मिला है। उन्होंने कहा कि जिस वक्त यह स्कॉलर उन्हें अरबी पढ़ाता था उसी वक्त डाइनिंग टेबल के नीचे वो उनके साथ ऐसी घिनौनी करतूत को अंजाम दिया करता था। उस वक्त वो काफी डरी हुई थीं। इन बच्चियों को यौन व्यवहार के बारे में कुछ भी नहीं मालूम था और यही वजह थी कि कुछ दिनों तक तो उन्हें कुछ समझ ही नहीं आया कि उनके साथ हुआ क्या है ? धीरे-धीरे इन बच्चियों को यह समझ आया कि वो एक वहशी दरिंदे के हाथों में पड़ गई हैं। जिसके बाद उन्होंने इस जुल्म के खिलाफ आवाज उठाई और उन्हें न्याय मिल सका !
स्त्रोत : जनसत्ता