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नगर – २८ नवम्बरके दिन छत्रपति शिवाजी महाराजने क्रूरकर्मी अफजलखानकी हत्या की, अतः यह दिन पूरे महाराष्ट्रमें बडे उत्साहसे मनाया जाता था; किन्तु नगरकी पुलिसको वह स्वीकार नहीं था; इसलिए उन्होंने अहमदके पाईकके समान कृत्य किया । इस दिनके निमित्त पृथक हिन्दूनिष्ठ संगठनोंद्वारा हिन्दुओंको आतंकवादके विरोधमें शक्तिकी अपेक्षा युक्तिसे लडनेकी प्रेरणा देनेवाला अफजलखानका फ्लेक्स फलक यहांके बसस्थानकके निकट छत्रपति शिवाजी महाराजकी प्रतिमाके पास प्रसारित किया गया था ।
उस समय ध्येयमन्त्र तथा प्रेरणामन्त्रका उच्चार किया गया था । आरती भी की गई थी । तदुपरान्त कोतवाली पुलिसकर्मियोंने तानाशाही भाषाका उपयोग कर फ्लेक्स निकाल दिया । (यदि ऐसी हिन्दुद्रोही पुलिसकर्मी आतंकवादियोंके हाथमें आए, तो क्या हिन्दू उन्हें कभी बचाएंगे ? अफजलखान हत्याके छायाचित्रसे पुलिस क्यों भयभीत होती है ? क्या उन्हें छत्रपति शिवाजी महाराजके इस कृत्यका अभिमान नहीं है ? जिन्हें इस छायाचित्रपर आपत्ति है, उन्हें इस देशमें रहनेका क्या अधिकार है ? इस स्थितिमें परिवर्तन लाने हेतु हिन्दु राष्ट्रकी स्थापना अनिवार्य है ! – सम्पादक, दैनिक सनातन प्रभात) पुलिसने इस फलकपर आपत्ति उठाई । साथ ही किसीकी अनुमतिके बिना ऐसे फलक प्रसारित नहीं कर सकते, ऐसा बताकर उन्होंने सर्वश्री दिगंबर गेंट्याल, संदीप खामकर, सागर ठोंंबरे, संदीप गायकवाड, अनिल देवरावपर परिवाद(चैप्टर केस) प्रविष्ट किया । (यदि ऐसे पुलिसवाले धर्मान्धोंकी हिंसाका शिकार हुए, तो उन्हें बचानेके लिए कोई आगे आएगा क्या ? – सम्पादक, दैनिक सनातन प्रभात) इस समय फलकका चित्रीकरण कर उसे निकालकर अधिकारमें लिया गया । हिन्दू राष्ट्र सेना तथा शिवप्रतिष्ठान हिन्दुस्थान इन संगठनोंके कार्यकर्ताओंको बन्दी नहीं बनाया गया है । ऐसा धर्माभिमान कितने हिन्दुओंमें है ?
इस सन्दर्भमें बन्दी बनाए गए धर्माभिमानियोंने बताया कि अफजलखानका छायाचित्र प्रसारित करनेके लिए किसी भी प्रकारका प्रतिबन्ध नहीं है । ऐसा होते हुए भी यदि पुलिस हमपर याचिका प्रविष्ट करेगी अथवा अन्य कोई कार्रवाई करेगी, तो यह धर्मकार्य है, ऐसा समझकर हम उसके लिए भी सिद्ध हैं !