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ISIS से आरिब मज़ीद के संबंध, मध्य प्रदेश के शख्स ने दिया था पैसा

नई दिल्ली – तुर्की से भारत लाए गए आरिब मज़ीद के बारे में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने अमेरिका समेत कई देशों से जानकारी मांगी हैं। मुंबई के पास कल्याण के रहने वाला 23 वर्षीय आरिब इस्लामिक स्टेट में शामिल होने के लिए इराक गया था। आरिब की ओर से एक मेल मध्य प्रदेश के एक शख्स को भेजा गया था। समझा जाता है कि इसी शख्स ने आरिब को आईएसआईएस में शामिल होने के लिए विदेश भेजने का खर्च उठाया था ।

सूत्रों के मुताबिक आपसी क़ानूनी सहायता संधि (एमएलएटी) के तहत साइबर सबूत उपलब्ध कराने के लिए अमेरिका, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया के अधिकारियों से एनआईए ने संपर्क किया है।आरिब के बयानों पर जांच एजेंसियों को शुरू से ही शक है। इसीलिए अब दूसरे देशों से जानकारी जुटाई जा रही है। आरिब ने दावा किया था कि उसने आईएसआईएस में रहने के दौरान कभी किसी आतंकी गतिविधि में हिस्सा नहीं लिया था।

साइबर आतंकवाद से जुड़े मामलों में अमेरिका दूसरे देशों की हमेशा मदद करता आया है। अमेरिका आरिब की ओर से इस्तेमाल किए गए इंटरनेट प्रोटोकॉल से जुड़े प्रारंभिक सबूत पहले ही भारत को सौंप चुका है। इसमें उस मेल के बारे में भी जानकारी है जो आरिब ने मध्य प्रदेश के एक शख्स को भेजा था। समझा जाता है कि इसी शख्स ने आरिब को आईएसआईएस में शामिल होने के लिए विदेश भेजने का खर्च उठाया था।

सूत्रों के मुताबिक एनआईए केस को मज़बूत बनाने के लिए इराक और सीरिया को भी चिट्ठी भेज सकता है। आरिब के पासपोर्ट में एंट्री के तौर पर इराक और निकासी के तौर पर सीरिया का हवाला दिया गया है।

आईएस के टि्वटर एकाउंट और जबलपुर के ई-मेल का संबंध

याद रहे कि कुछ दिनों पहले आतंकी संगठन आईएस के टि्वटर एकाउंट में जबलपुर के रामपुर इलाके से ई-मेल भेजे गए थे। मेल भेजने वालों में तीन सिमी कार्यकर्ताओं के नाम सामने आए थे जिनकी धरपकड़ के लिए एटीएस की टीम ने विद्युत मंडल मुख्यालय शक्ति भवन रामपुर के समीप स्थित पटेल मोहल्ला स्थित एक मकान में छापा मारा था ।

सूत्रों की मानें तो एटीएस को ये जानकारी बेंगलुरू में पकड़े गए मेहदी मसरूर विस्वास के टि्वटर एकाउंट को चेक करने के बाद बेंगलुरू पुलिस के जरिए मिली थी। मेल भेजने वालों के नाम और उनकी गिरफ्तारी फिलहाल उजागर नहीं की गई है। लेकिन सूत्रों का दावा है कि एटीएस टीम ने कुछ संदिग्धों को कस्टडी में लेकर गोपनीय स्थान में ले जाकर विस्तृत पूछताछ की है।

13 दिसम्बर को बेंगलुरू पुलिस ने आतंकी संगठन आईएस का टि्वटर एकाउंट चलाने वाले कोलकाता निवासी मेहदी मसरूर विस्वास को आतंकी गतिविधि संचालित करने के आरोप में गिरफ्तार किया था। सूत्र बताते हैं कि चार दिन की पूछताछ और मेहदी से जब्त किए गए उसके लैपटाप व मोबाइल की छानबीन करने के बाद देश के कई शहरों से उसके मेल अकाउंट पर री-ट्वीट के साथ फ्रेश मेल भेजे गए थे, जिनमें देश विरोधी बातें और भड़काऊ शब्दों का प्रयोग किया गया था।

सूत्रों के अनुसार रामपुर पटेल मोहल्ला से मेहदी मसरूर के अलावा आईएस संगठन से जुड़े कई आतंकियों को 50 से ज्यादा मेल भेजे गए थे, इनमें कुछ मेलों में कोडवर्ड का इस्तेमाल भी किया गया था। जिसके कारण एटीएस ने पहले उन मेल को संचालित करने वालों के संबंध में जानकारियां जुटाईं, जिससे पता चला कि मेल करने वाले प्रतिबंधित संगठन सिमी से जुड़े हुए थे। लिहाजा छापेमारी की गई।

सूत्र बताते हैं कि इस संबंध में एटीएस टीम ने जबलपुर सेन्ट्रल जेल में बंद सिमी कार्यकर्ताओं से भी पूछताछ की गई थी। हालांकि इस बात पर जेल प्रशासन पूरी तरह से इंकार कर रहा है।

स्त्रोत : पलपल इण्डिया


अद्ययावत


२३ दिसंबर २०१४

मजीद के दोस्तों को भारत लाने की कोशिश

मुंबई – इराक में आईएसआईएस के लिए लड़ने गए कल्याण के चार युवकों में से वापस आए मजीद की सहायता से अब जांच एजेंसी बाकी तीन को भारत लाने की कोशिश जुटी है। मई में इराक गए चार युवकों में से एक मजीद नवंबर में वापस भारत लौट आया था, जो अब बाकी तीन शाहीन उर्फ फहीम टंकी, अमान टंडेल और फहद शेख को वापस भारत लाने में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की मदद कर रहा है। एनआईए ने तीनों युवकों से संपर्क भी साध लिया है।

एनआईए ने तीनों युवकों को प्रस्ताव दिया है कि यदि वे भारत वापस आते हैं तो उन्हें नौकरी दी जाएगी और उनकी काउंसलिंग भी कराई जाएगी। साथ ही यह भी कहा गया है कि जांच एजेंसी या पुलिस द्वारा उन्हें परेशान नहीं किया जाएगा। सूत्रों का कहना है कि दो युवक भारत आने के लिए तैयार भी हो गए हैं, लेकिन तीसरा युवक अब भी टस से मस नहीं हुआ है। लगातार दो सप्ताह की बातचीत के बाद एनआईए दो युवकों को भारत वापस लौटने के लिए राजी कर पाई है। एनआईए ने मजीद को इस बात का जिम्मा सौंपा है कि वह तीनों युवकों को स्वदेश लौटने के लिए राजी करे।

कुछ रिपोर्ट में यह भी कहा जा रहा है कि फहीम, अमान और फहद ने मजीद के भारत लौटने के बाद से ही उससे संपर्क तोड़ दिया था। हालांकि हमारे सहयोगी अखबार, ‘मुंबई मिरर’ को एनआईए के एक अधिकारी ने बताया कि तीनों युवक इराक के एक टेलिफोन बूथ से अपने परिवार और भारतीय एजेंसियों से बात कर रहे हैं। जांचकर्ताओं का कहना है कि फहीम मोसुल के एक टेलिफोन बूथ से एक अंतराल के बाद अपने माता-पिता से बात करता है। जांच एजेंसी का कहना है कि जब मजीद इराक में था तो उसने मोसुल के टेलिफोन बूथ के मालिक से दोस्ती कर ली थी और बाकी तीनों भारतीयों को उससे परिचित करा दिया था।

मजीद ने एनआईए को वे फोन नंबर मुहैया कराए, जिसके सहारे तीनों भारतीय युवकों से संपर्क किया जा सके। इसके बाद जांच एजेंसी ने इन टेलिफोन नंबर पर कॉल कर बातचीत आगे बढ़ाई। एनआईए के अधिकारी का कहना है, ‘यह बेहद जरूरी है कि इससे पहले तीनों युवकों का दिमाग बदल जाए, उन्हें पहले ही वापस लाया जाए। हम लगातार उनके बात कर रहे हैं। उन्हें जल्द ही भारत लाने के प्रयास किए जाएंगे। ‘

जांच एजेंसी इस मामले में ज्यादा खुलासा नहीं करना चाहती, क्योंकि इससे इराक में तीनों युवकों की जान को खतरा हो सकता है।

स्त्रोत : नवभारत टाइम्स


२२ दिसंबर २०१४

ISIS में शामिल होने गए मजीद ने उगला सच, बोला – ‘खास मकसद से आया हूं भारत’

मुंबई – चार दोस्तों के साथ इराक भागकर आतंकी संगठन आईएसआईएस में शामिल हुआ आरिफ मजीद अब धीरे-धीरे सच उगलने लगा है। जांच अधिकारियों को आरिफ ने जो ताजा जानकारियां दी हैं, उससे लगता है कि उसकी भारत वापसी एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है। पूछताछ में पता चला है कि वह शादी करने और आईएसआईएस में शामिल होने के लिए और युवकों को तैयार करने के मकसद से आया है। शुरुआती पूछताछ में आरिफ ने जांच एजेंसियों को बताया था कि उसे गोली लगी थी। सही इलाज नहीं मिल पाने के कारण वह वापस लौटने पर मजबूर हुआ।

साथ ही, उसने बताया था कि जिस तरह का काम उससे कराया जा रहा था, उससे वह खुश नहीं था। लेकिन अब जांच में यह बात सामने आ रही है कि उसकी वापसी का मकसद कुछ और ही है। अब वह स्वीकार कर रहा है कि एक खास मकसद के साथ वह देश वापस लौटा है। आरिफ ने बताया कि 28 नवंबर को उसे चार लोगों ने इस्तांबुल के हवाई अड्डे के पास छोड़ा था। उसे 2 हजार डॉलर भी दिए थे। उसने अपने पिता को फोन कर वापस लौटने की जानकारी दी। आरिफ के पिता ने एनआईए को उसकी वापसी की बात बताई। इसके बाद उसे इस्तांबुल से भारत लाया गया और प्रतिबंधित आतंकी संगठन में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया।

छह महीने रहा लड़ाई में

आरिफ ने बताया कि उसने आईएसआईएस की तरफ से छह महीने लड़ाई में हिस्सा लिया। मोसूल बांध को कब्जे में लेने के लिए आईएसआईएस ने जो हमला किया था, वह उसमें भी शामिल था। इराक के भैजी और तालअफर तेल शुद्धिकरण संयत्र पर किए गए हमले में भी वह शामिल था। आरिफ ने जांच एजेंसी को बताया कि सीरियाई सेना के दो पूर्व अधिकारी अबू अनास और अबू मरियम भी आईएसआईएस में शामिल हैं।

उसने बताया कि आईएसआईएस में भारतीय मूल के चार ब्रिटिश नागरिक शामिल हैं, लेकिन भारत से उसके और कल्याण के तीन और दोस्तों के अलावा कोई नहीं है। आरिफ ने आईएसआईएस द्वारा बंधक बनाए गए 39 मजदूरों के बारे में कोई जानकारी होने से इनकार किया है।

स्त्रोत : दैनिक भास्कर


भारत में लड़कों की भर्ती करता है डॉक्टर : अारीफ

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मुंबई : हिंदुस्तान में फैले आईएसआईएस के आतंकी नेटवर्क को खोजने में जुटी जांच एजंसियों को अब तलाश है मौलाना अब्दुल रहमान उर्फ़ डॉक्टर नाम के एक आतंकी की। खुफियां एजंसियों का कहना है की डॉक्टर ही आईएसआईएस के भारतीय रिक्रुटमेंट सेल का प्रमुख है। और अबतक ९ भारतीय युवकों को इराक़ भेज चुका है और २५ युवक डॉक्टर के संपर्क में है। अरीब माजीद ने पुछताछ में डॉक्टर के नाम का ख़ुलासा किया।

आईएसआईएस के संदिग्ध आतंकी अरीब माजीद ने पूछताछ में सनसनीखेज खुलासा किया है। अरीब ने जांच एजंसियों को उस सख्श का नाम बताया है जो आईएसआईएस के लिए भारतीय लड़कों की भर्ती करता है। इस सख्स का नाम है डॉक्टर उर्फ़ मौलाना अब्दुल रहमान। अरीब के दावों को सच माने तो इसी डॉक्टर ने ना सिर्फ अरीब और उसके साथियों को बल्कि देश के कई अन्य राज्यों से लड़कों को आईएसआईएस में भर्ती होने का लालच दिया।

अरीब के मुताबिक, डॉक्टर अब्दुल रहमान पहले सिमी का सदस्य था। २००७ में सिमी पर शिकंजा कसे जाने के बाद वो भाग कर खाड़ी देश चला गया। हाल के सालों में वो इस्लामिक स्टेट के संपर्क में आया और अब वो इस आतंकी संगठन के लिए फंडिंग जुटाने का भी काम करता है।

डॉक्टर का नाम सबसे पहले २००७ में तब आया था जब जांच एजेंसियों में सिमी पर कार्यवाही शुरू की थी। अदीब का कहना है कि खाड़ी देर में रहते हुए डॉक्टर अब्दुल रहमान ने अपना नेटवर्क बहुत मजबूत कर लिया था। खाड़ी के नौ देशों से वो आतंकी संगठनों के लिए पैसे जुटाता था। जब इस्लामिक स्टेट के आकाओं को भारत के लड़कों को अपने संगठन से जोड़ने की जरूरत महसूस हुई तो उन्होंने डॉक्टर अब्दुल रहमान से संपर्क साधा।

एजेंसियों के मुताबिक, डॉक्टर अब्दुल रहमान भारतीय लड़कों को नौकरी का झांसा देकर पहले खाड़ी देश बुलाया करता था। वहां पहुंचने के बाद लड़कों को जेहाद के नाम पर भड़काया जाता था।।।खुद को कुर्बान होने के लिए कहा जाता था। सूत्रों की मानें तो डॉक्टर लड़कों को शहीद होने पर परिवार को लाख रुपये देने का वादा करता था। डॉक्टर ने पिछले कुछ महीनों में हैदराबाद, कर्नाटक, जयपुर और महाराष्ट्र से ९ लड़कों को आईसिस में शामिल होने के लिए भर्ती किया। अब भी २५ से ज्यादा लड़के इस डॉक्टर के संपर्क में हैं।

एनआईए की पुछताछ मे आरिब में ख़ुलासा किया है की डॉक्टर लड़कों का ब्रेन वाश करनें का काम करता है। पिछले दिनों पश्चिम बंगाल से पकड़े गए हैदराबाद के चार लड़कों से पूछताछ में भी इसी डॉक्टर का नाम सामने आया था। जांच के बाद एजेंसियों को ये भी पता चला है कि आईएसआईएस में डॉक्टर को नदवी अल हिंदी के नाम से जाना जाता है। आईएसआईएस के भारतीय भर्ती सेल की कमान उसी के हाथ में है। डॉक्टर रहमान आईएसआईएस की सायबर आर्मी का भी सक्रिय सदस्य है। ये डॉक्टर सोशल मीडिया के जरिए भी लड़कों को अपने जाल में फंसाता है।

डॉक्टर रहमान चैट रूम के जरिए ही कल्याण के लड़कों के संपर्क में आया था। चैट रूम में कई बार अरीब और उसके दोस्तों ने डाक्टर से बात भी की थी। अरीब ने जांच एजेंसियों को बताया है कि आईएसआईएस के डॉक्टर ने कल्याण के चारों लड़कों से वादा किया था कि इराक़ में इस्लामिक स्टेट के लिए लड़ने से उनकी ज़िन्दगी बदल जाएगी। परिवार को बड़ी रकम दिए जाने का भी वायदा किया गया था। डॉक्टर के इसी वादे की वजह से अरीब और उसके साथियों का हौसला इतना बढ़ गया कि वो इराक चले गए। सूत्रों की मानें तो आतंक का ये डॉक्टर और युवकों को इराक भेजने के लिये देश की कुछ ट्रेवेल एजेंसियों के भी संपर्क में है। ऐसे में जांच एजेंसियों ने डॉक्टर और उससे से जुड़े लोगों की जानकारी जुटाने में दिन-रात एक कर दिया है।

स्त्रोत : आईबीएन


भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने की तैयारी करने लौटा है आरिफः NIA

मुंबईआईएसआईएस के कैंप से लौटे कल्याण के इंजिनियरिंग स्टूडेंट आरिफ मजीद दोबारा आईएसआईएस जॉइन करना चाहता है। एनआईए को उसने कहा कि अगर उसे मौका दिया जाए तो उसे दुबारा  आईएसआईएस जॉइन करने में कोई हिचक नहीं होगी। आरिफ ने स्वीकार किया कि आईएसआईएस ने उससे भारत में युद्ध छेड़ने की तैयारी करने को लिए कहा था।

एनआईए सूत्रों ने बताया कि आरिफ ने पूछताछ में कहा कि आईएसआईएस ने उससे कहा था कि भारत में जल्दी ही खलीफा का शासन स्थापित किया जाएगा। एनआईए सूत्रों के मुताबिक, आरिफ चैट रूम बातचीत में मध्य-पूर्व के एक डॉक्टर के बहकावे में आ गया। उसे आईएसआईएस में दूसरों को भी शामिल करने के लिए कहा गया। पूछताछ में एनआईए से आरिफ ने कहा, ‘हमारे समुदाय के लोगों के साथ अन्याय हुआ है। मैंने जो किया है उससे मुझे जन्नत में जगह जरूर मिलेगी और मुझे फक्र है अपने आप पर।’

एनआई सूत्र बताते हैं, ‘आरिफ का ताजा बयान नवंबर 28 को उसकी मुंबई वापसी पर दिए गए बयान से उलट है। हालांकि, इराक में उसके साथ जो व्यवहार हुआ, उससे वह खुश नहीं था। लेकिन, वह आईएसआईएस के मकसदों से कभी पीछे नहीं हटा। वह मुंबई सिर्फ इसलिए लौटा क्योंकि उसे यहां के लड़कों को संगठन में शामिल कर भारत में युद्ध छेड़ने की तैयारी करने को कहा गया था।’ मजीद के रिमांड वाले दस्तावेज में एनआईए की ओर से कहा गया है कि आरिफ न केवल इराक और सीरिया में आतंकी गतिविधि की योजना बना रहा था बल्कि वह अपने देश भारत में भी इसकी तैयारी कर रहा था।

आरिफ ने एनआईए को बताया कि वह सोशल नेटवर्किंग साइट के जरिए मध्य पूर्व के एक पुरुष डॉक्टर और एक औरत के संपर्क में आया। मजीद ने माना कि वह उस औरत के प्रति आकर्षित हो गया था। उसे उस औरत से इराक में मिलने का ऑफर दिया गया। हालांकि, इराक पहुंचने पर उसे तीन दिनों तक औरत का इंतजार करना पड़ा। बाद में डॉक्टर के निर्देश पर साथियों सहित वह आईएसआईएस लड़ाकों से मिला।

आरिफ के शरीर में तीन जगह गोलियों के निशान हैं। एक सीने के ऊपरी कोने में, दूसरा दाहिने पैर में और तीसरा दाएं कांख के पास हैं। लेकिन, वह इन जख्मों के बारे में एनआईए को कुछ भी बताने से इनकार कर दिया। उसने कहा कि ये जख्म हादसे के हैं। एनआईए अब 8 दिसंबर को स्पेशल कोर्ट में उसे पेश करेगी और कस्टडी बढ़ाने की मांग करेगी।

स्त्रोत : नवभारत टाइम्स


इस्लामिक स्टेट आतंकी आरिफ माजिद ने घर वापसी को बताया भूल

 

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नई दिल्ली – आइएस (इस्लामिक स्टेट) आतंकी आरिफ माजिद ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) से पूछताछ के दौरान कहा है कि उसने घरवालों के दबाव में वापस लौटकर भूल की है। उसे नहीं लौटना चाहिए था। ये भी खबर है कि अमेरिकी खुफिया एजेंसियां माजिद से पूछताछ कर सकती हैं। माजिद के खुलासों को देखते हुए एनआइए अब उसका नार्को टेस्ट कराना चाहती है।

सूत्रों के मुताबिक पूछताछ के दौरान माजिद ने यह दावा भी किया कि ”आतंकी पहले हम लोगों को खुफिया एजेंसियों का एजेंट समझ रहे थे और इसीलिए आइएस में शामिल करने से पहले घंटों पूछताछ की गई थी।” बकौल माजिद पूरी तरह संतुष्ट होने के बाद ही चारों लोगों को आइएस में शामिल किया गया था।

पूछताछ के दौरान आरिफ माजिद ने बताया कि मुंबई के तीन युवाओं के अलावा खाड़ी देश से आए भारतीय मूल के एक अन्य युवक से भी उसकी मुलाकात हुई थी। बकौल माजिद आइएस की ओर से लडऩे के लिए इराक और सीरिया जाने का उसे कोई मलाल नहीं है। परिवार के दबाव में घर वापस लौटने को उसने अपनी भूल बताया। मुंबई के तीन युवाओं के बारे में माजिद ने बताया कि उन्हें अन्य शहरों में भेज दिया गया। उसने तीनों के ठिकानों के बारे में भी जानकारी दी और दावा किया कि उनसे आइएस आतंकियों के लिए खाना बनवाने का काम लिया जा रहा है। इलाज के लिए तुर्की जाने पर माजिद ने परिजनों से बात की थी।

सूत्रों ने बताया कि अमेरिका आइएस की गतिविधियों के बारे में जानने के लिए उत्सुक है। माजिद आतंकी गुट द्वारा कब्जाए गए क्षेत्रों की जमीनी हकीकत के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दे सकता है। तुर्की से लाए गए माजिद से पूछताछ का सिलसिला सोमवार को भी जारी रहा। उसने एनआइए अधिकारियों को बताया कि सिविल इंजीनियर होने के बावजूद उसे रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण दजला नदी पर स्थित मोसुल बांध पर राजमिस्त्री का काम करने के लिए भेजा गया था, जहां एक हवाई हमले में वह घायल हो गया था। इराक के सबसे बड़े बांध पर आइएस ने कब्जा कर लिया था। 17 अगस्त को आतंकियों को वहां से खदेडऩे में कामयाबी मिली थी।

माजिद के अनुसार, मोसुल बांध पर काम करने के बाद उसे सीरियाई शहर रक्का भेजा गया था, जहां आतंकियों ने लडऩे के लिए उसे एक-47 राइफल दी थी। हालांकि, रक्का में वह दूसरी बार घायल हो गया। फिलहाल इस शहर पर आइएस का कब्जा है।

हो सकती हैं और गिरफ्तारियां

आरिफ के मामले में पत्रकारों के पूछने पर केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि इस मामले की जांच चल रही है। आने वाले दिनों में कुछ और लोग गिरफ्तार किए जा सकते हैं।

स्रोत : जागरण


बलात्‍कार करते है आइएसआइएस के लड़ाके : आरिफ

मुंबई : आइएसआइएस संगठन में शामिल होकर वापस भारत लौटे संदिग्‍ध सदस्‍य आरिफ मजिद ने बहुत सारे खुलासे किए है। आरिफ ने इराक में चल रही लड़ाई में शामिल होने के लिए भड़काने वाले उन युवकों के नामों का खुलाया किया है।

एनआइए की पूछताछ में आरिफ ने और भी कई खुलासे किए। उसने बताया कि इराक में न तो कोई पवित्र युद्ध चल रहा है और न पवित्र पुस्‍तकों में लिखी किसी बातों का पालन हो रहा है। वहां आइएसआइएस के लड़ाके महिलाओं और बच्चियों से बलात्‍कार कर रहे है। उसके अनुसार अभी 13 भारतीय आइएसआइएस के तरफ से लड़ रहे है। उन लोगों को संगठन ने बहुत ट्रेनिंग दे दी है।

आरिफ ने बताया कि लड़ाई के बजाय उनसे शौचालयों कि सफाई करवाई जाती थी और लड़ाई लड़ रहे लड़ाकों को पानी भेजवाने का काम करवाया जाता था।

एनआइए के एक अधिकारी ने कहा, आरिफ के मन में कट्टरपंथी भावना जगाने वाले इसके तीन दोस्‍तों की हम लोग तलाश कर रहे है। इसे लेकर हमने आरिफ से कई घंटो तक पूछताछ भी की है।

स्रोत : प्रभात खबर


 ISIS तक पहुंचने के लिए 20000 साइट्स खंगालने वाले आरिफ का होगा नार्को, जानें पूरी कहानी

ज्यादा समर्पित मुसलमान होनेकी खोजमें आईएसआईएस के बारे में पता चला और इस संगठन से काफी प्रभावित हुआ माजिद

मुंबई: आतंकी संगठन आईएसआईएस के लिए जंग लड़ने इराक गए आरिफ माजिद ने बताया है कि 13 भारतीय अभी भी आईएसआईएस के लिए इराक और सीरिया में लड़ रहे हैं। ये भारतीय एके 47 चलाने और रॉकेट से हमले करने में माहिर हो गए हैं। खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट भी बताती है कि 20 भारतीय आईएसआईएस में शामिल हुए हैं।

आरिफ ने एनआईए की पूछताछ में कई अहम जानकारियां मिली हैं। एनआईए अब उसका नार्को टेस्ट कराने की योजना बना रही है। शुक्रवार को गिरफ्तार किए जाने के बाद 8 दिसंबर तक के लिए रिमांड में भेजे गए आरिफ ने बताया है कि आईएसआईएस तक पहुंचने के लिए उसने 20 हजार से ज्यादा वेबसाइट्स को खंगाला। एक अंग्रेजी अखबार ने आरिफ द्वारा एनआईए को दी गई जानकारी को सूत्रों के हवाले से प्रकाशित किया है।

ऐसे हुई शुरुआत

आरिफ और उसके 6 दोस्त शाम की नमाज के वक्त मस्जिद पर इकट्‌ठे होते थे और वहां ज्यादा समर्पित मुसलमान बनने के तरीकों के बारे में चर्चा किया करते थे। आरिफ ने इस मकसद को पूरा करने के लिए वेबसाइट्स सर्च करने शुरू किए। इस दौरान उसे आईएसआईएस के बारे में पता चला और वह इस संगठन से काफी प्रभावित हुआ। इसके बाद, आरिफ आईएसआईएस से संपर्क करने की कोशिश करने लगा। आखिरकार एक वेबसाइट पर उसे अपने काम का एक नंबर मिल ही गया। आरिफ ने बताया कि इस नंबर को पाने के लिए उसने 20 हजार से ज्यादा साइट्स खंगाले।

आईएसआईएस से मिला लोकल कॉन्टैक्ट

इस नंबर पर बातचीत करने के बाद आरिफ को कल्याण के पास भिवंडी के रहने वाले एक शख्स का नंबर मिला। इसके बाद, आरिफ ने यह सारा घटनाक्रम अपने दोस्तों को बताया। फहाद शेख, अमन टंडेल और शाहीन टंकी उसके साथ इराक जाने के लिए तैयार हो गए। भिवंडी के लोकल कॉन्टैक्ट ने आरिफ को यात्रा के लिए जरूरी रकम देने के लिए हामी भरी। इसके बाद, ये सभी राहत ट्रेवेल्स नाम की ट्रैवल एजेंसी के संपर्क में आए। इस एजेंसी ने इनके इराक जाने का बंदोबस्त किया। इराक के हालात उस वक्त तक काफी बिगड़ चुके थे, इसलिए इन्होंने बहाना बनाया कि वे तीर्थयात्रा पर जा रहे हैं।

लोकल कॉन्टैक्ट ने दी ढाई लाख से ज्यादा की रकम

लोकल कॉन्टैक्ट से मिले पैसों से 60 हजार रुपए प्रति यात्री के हिसाब से पेमेंट करने के बाद ये चारों इराक के लिए 25 मई के लिए निकले। आरिफ ने दक्षिणी मुंबई के डोंगरी स्थित अजमेरी टूर्स एंड ट्रेवेल से वीजा और अन्य दस्तावेज हासिल किए। चारों कल्याण से अलग-अलग घर से निकले और लोकल ट्रेन से मुंब्रा स्टेशन पहुंचे। मुुंब्रा में भिवंडी के लोकल कॉन्टैक्ट ने उन्हें और पैसे दिए। इसके बाद, ये चारों मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट पहुंचे और इत्तिहाद एयरलाइंस की फ्लाइट से अबू धाबी पहुंचे। अबू धाबी से ये इराक गए। 27 मई को कर्बला, फिर 30 मई को बगदाद पहुंचे। यहां तक वे तीर्थयात्रियों के साथ आए थे। 31 मई को ये स्थानीय बाजार में गए और वहां से अपने लोकल गाइड को धता बताते हुए फरार हो गए।

मिला साफ सफाई और महिलाओं की पहरेदारी का काम

आरिफ के दोस्त शाहीन टंकी को आईएसआईएस के एक शख्स का फोन आया और उसने उन्हें फल्लुजाह से टैक्सी हायर करने को कहा। यह जगह मोसुल के काफी करीब है। मोसुल में ही 40 भारतीय मजदूरों को अगवा किया गया था। मोसुल पहुंचने के बाद इन्होंने इराकी संपर्क से कॉन्टैक्ट किया। उसकी मदद से आईएसआईएस के हिंद कैंप पहुंचे। इस कैंप ने उन्हें आईएसआईएस की विचारधारा, मिशन आदि के बारे में जानकारी दी गई। यहीं पर इनका ब्रेनवॉश किया गया। इसके बाद इन्हें ट्रेनिंग कैंपों में भेज दिया गया। यहां इन्हें बताया गया कि आईएसआईएस चीफ बगदादी भारतीय पुरुषों को जंग के लिहाज से बेहद कमजोर मानता है और उन्हें मैदान ए जंग में नहीं भेजा जाएगा। यहां सिर्फ शाहिद टंकी ही शारीरिक परीक्षा पास कर पाया, जिसके बाद उसे हथियारों की ट्रेनिंग दी गई। आरिफ समेत बाकी तीन को आईएसआईएस के सोशल मीडिया टीम में भेज दिया गया। इसके अलावा, इन्हें सफाई, पानी भरने और बंधक बनाई गई महिलाओं की पहरेदारी काम दिया गया।

आरिफ को जंग के मैदान में जाने पर मनाही थी। इस बात को लेकर उसे काफी कोफ्त होती थी। यहीं से उसका मूड बदलना शुरू हुआ। उसने देखा कि कुरान की नसीहतों का आईएसआईएस का कोई लेना-देना नहीं है। अातंकी लोगों की बेरहमी से कत्ल कर रहे थे और महिलाओं के साथ बलात्कार। जल्द ही ये चारोें अवसाद के शिकार हो गए। जिस जिहादी जन्नत का सपना लेकर वे गए थे, वो नर्क में तब्दील हो चुका था। जुलाई में आरिफ फायरिंग में घायल हो गया। उसकी हालत लगातार बिगड़ती गई क्योंकि कैंप में इलाज या खाने-पीने की समुचित सुविधा नहीं थी। आरिफ ने किसी तरह अपने आकाओं को इस बात के लिए राजी कर लिया कि वे उसे इलाज के लिए तुर्की जाने दें। तुर्की पहुंचने के बाद उसने अपने परिवार से संपर्क किया। इसके बाद आरिफ के पिता ने गृह मंत्रालय को जानकारी दी और उसे वहां से लाने का इंतजाम किया गया।

स्रोत : दैनिक भास्कर


 आरिफ को ISIS ने दिए 1।25 लाख और घर भी जाने दिया, NIA को मिली साजिश की बू

मुंबई: आईएसआईएस आतंकियों के लिए जंग लड़ने इराक गए मुंबई के कल्याण इलाके के रहने वाले युवक आरिफ माजिद को आतंकियों ने 2 हजार डॉलर (करीब सवा लाख रुपए) इलाज कराने के लिए दिया। इसके अलावा, उसे घर जाने के लिए भी मंजूरी दी। ऐसे में उससे पूछताछ कर रहे एनआईए अधिकारियों को शक है कि कहीं आईएसआईएस ने उसे भारत में किसी मिशन पर तो नहीं भेजा?
एक अंग्रेजी अखबार ने जांच अधिकारियों के हवाले से बताया है कि आरिफ ने पूछताछ में कबूला है कि हवाई हमले में घायल होने के बाद आतंकियों ने उसे इलाज कराने के लिए आर्थिक मदद की और जाने भी दिया। आईएसआईएस की चंगुल से छूटे कुछ युवा पहले यह दावा कर चुके हैं कि एक बार संगठन ज्वाइन करने के बाद युवकों को वापस लौटने नहीं दिया जाता। ऐसे में जांच अधिकारियों को शक है कि कहीं आतंकियों के कहने पर आरिफ ने अपने पिता से संपर्क तो नहीं किया? बता दें कि आरिफ को अपनी हरकत को कोई पछतावा नहीं है। जांचकर्ताओं ने जब उससे पूछा कि वह घर से क्यों भागा तो उसने जवाब दिया- अल्लाह के काम से गया था।

गौरतलब है कि 20 नवंबर को आरिफ ने तुर्की से अपने पिता को फोन करके अपने बारे में जानकारी दी थी। इसके बाद, पिता ने गृह मंत्रालय के अधिकारियों से संपर्क किया। भारत सरकार की कोशिशों के बाद आरिफ को तुर्की से डिपोर्ट करके भारत लाया गया और शुक्रवार को मुंबई एयरपोर्ट पर गिरफ्तार कर लिया गया। आरिफ फिलहाल 8 दिसंबर तक एनआईए की कस्टडी में है। आरिफ के खिलाफ एनआईए ने Unlawful Activities (Prevention) Act और देश के खिलाफ जंग छेड़ने की धाराओं में मामला दर्ज किया है। आरिफ माजिद अपने तीन दोस्तों शाहीन टंकी, फहाद शेख और अमन टंडेल के साथ मई महीने में इराक भाग गया था।

सभी को मिली हथियारों की ट्रेनिंग

अधिकारियों के मुताबिक, इराक में आईएसआईएस आतंकी इन सभी युवाओं को अपने गढ़ अल-रक्का ले गए, जहां इन्हें एके 47 चलाने और विस्फोटकों की ट्रेनिंग दी गई। बता दें कि एनआईए उस ट्रैवेल एजेंसी की भी जांच कर रही है, जिन्होंने इन युवकों को वीजा दिलाया। इस ट्रैवेल एजेंसी की पूरे भारत में शाखाएं हैं।

स्रोत : दैनिक भास्कर


ISIS के लिए जंग लड़ने इराक गया आरिफ NIA से बोला -‘अल्लाह के काम पर गया था’

मुंबई : आतंकी संगठन आईएसआईएस के लिए लड़ने इराक गए आरिफ माजिद से नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) की पूछताछ में कुछ अहम जानकारी मिली है। एजेंसी ने पूछताछ में पाया कि उसका पूरी तरह से ब्रेनवॉश किया जा चुका है और उसे आईएसआईएस के लिए जंग लड़ने पर कोई अफसोस नहीं है। एक अंग्रेजी अखबार में छपी खबर के मुताबिक, जांचकर्ता ने जब उससे पूछा कि घर से क्यों भागे थे, तो उसका जवाब था- ”अल्लाह के काम पर गया था।”

कल्याण का रहने वाला 23 साल का आरिफ 6 महीने बाद शुक्रवार को मुंबई लौटा, जहां एनआईए ने उसे गिरफ्तार कर लिया। आरिफ को तुर्की से डिपोर्ट करके लाया गया है। आरिफ के पिता एजाज माजिद के मुताबिक, इराक में लड़ाई के दौरान आरिफ तुर्की भागा था और वहीं से उसने घर पर 20 नवंबर को संपर्क किया। आरिफ के फोन के बाद आरिफ के पिता ने इस बारे में गृह मंत्रालय को जानकारी दी और गृह मंत्रालय ने उसे भारत लाने की तैयारी की।

घायल होने की वजह से लौटा

सूत्रों के मुताबिक, वह इसलिए नहीं लौटा क्योंकि आईएसआईएस के प्रति उसका भ्रम टूट गया, बल्कि इसलिए वापस आया क्योंकि वह घायल हो गया था।  आरिफ ने बताया कि उसे तीन गोलियां लगी थीं, लेकिन अब वह ठीक है। बता दें कि आरिफ कल्याण के ही रहने वाले अमन टंडेल, फहाद शेख और शाहीन टंकी के साथ मई में इराक गया था। वहां जाने के लिए ये चारों एक तीर्थयात्रियों के दल में शामिल हुए थे। बाद में इराक पहुंचकर ये चारों गायब हो गए। बाद में परिवारवालों को फोन करके बताया कि उन्होंने इस्लामिक स्टेट के लिए हथियार उठा लिए हैं। अगस्त महीने में आरिफ की मौत की खबर आई थी। लेकिन पिछले सप्ताह ही उसके जिंदा होने की खबर ने सभी को चौंका दिया। सूत्रों की मानें तो इराक-सीरिया में फहाद शेख, अमन टंडेल, शाहीन टंकी अब भी ISIS के लिए लड़ रहे हैं।

अब आगे क्या 

आरिफ को शनिवार को एनआईए कोर्ट में पेश किया गया। उसे 8 दिसंबर तक के लिए एनआईए कस्टडी में भेज दिया गया है। एजेंसियों को शक है कि आरिफ आईएसआईएस के लिए हिंसक जंग में शामिल हो चुका है। ऐसे में एनआईए उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज कर सकती है। उस पर Unlawful Activities (Prevention) Act, 1964 के तहत कार्रवाई हो सकती है। अधिकारी यह भी मानते हैं कि आरिफ के साथ नरमी बरती जा सकती है। आरिफ के परिवारवाले भी चाहते हैं कि उसके साथ नरम रुख अपनाया जाए। उनका मानना है कि कट्‌टरपंथियों के प्रभाव में आने की वजह से आरिफ से गलती हुई है, इसलिए उसे आम जिंदगी जीने का एक मौका मिलना चाहिए।  बता दें कि गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने भी आईएसआईएस की ओर आकर्षित होने वाले भारतीय युवाओं को लेकर चिंता जाहिर की है।

स्त्रोत : दैनिक भास्कर


आरिफ ने ५५ लोगों को मारा, भुगतान नहीं मिला तो लौटा

मुंबई (मिड डे) – इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया (आईएसआईएस) में शामिल होने गए कल्याण के चार युवाओं में से एक आरिफ माजिद शुक्रवार को भारत लौट आया। शनिवार को विशेष अदालत ने उसे राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की हिरासत में भेज दिया है।

जांच एजेंसी के सूत्रों के मुताबिक आरिफ ने आतंकी संगठन से जुड़ने के बाद 55 लोगों को मौत के घाट उतारा। जानकारी के अनुसार आरिफ भारत इसलिए लौट आया क्योंकि आईएसआईएस से उसे भुगतान नहीं मिला। पुलिस के अनुसार अत्यधिक कट्टरपंथी विचारधारा के आरिफ के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो सकती है।

मई में जब से आरिफ लापता हुआ तब से उसके घरवाले और दोस्तों पर खुफिया एजेंसियां नजर रखे हुए हैं। सूत्रों के अनुसार आईएसआईएस में शामिल होने के बाद उसकी गतिविधियों से आरिफ खुश नहीं था।

आईबी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि आईएसआईएस के साथ देने के दौरान आरिफ पर तकरीबन 55 लोगों के मारे जाने का संदेह है। वह वापस लौट आया, क्योंकि आईएसआईएस की ओर से उसे भुगतान करना बंद कर दिया गया था।

परिवारों में उम्मीद जगी

आरिफ की गिरफ्तारी के बाद उसके पिता डॉ। एजाज माजिद ने कहा, ‘मुझे बताया गया है कि मेरा बेटा शहर में लाया गया है। मैं एनआईए के दफ्तर जाने वाला हूं।” आरिफ के लौटने से उसके साथ गए दूसरे युवाओं के परिवारों में भी उनके लौटने की उम्मीद जगी है। अमन टंडेल के पिता नहीम ने कहा कि आरिफ के वापस आने की खबर मेरे लिए अच्छी है।

स्त्रोत : दैनिक जागरण


भारतीयों को जंग के लायक नहीं मानता ISIS: आरिफ से धुलवाते थे टॉयलेट, फेंकवाते थे कूड़ा

नई दिल्ली – इराक में आतंकवादी संगठन आईएसआईएस के लिए काम करने के बाद भारत लाए गए 22 साल के आरिफ ने बताया है कि उसे आतंकी संगठन के आकाओं ने युद्ध नहीं लड़ने दिया बल्कि उससे टॉयलेट साफ करवाने, कूड़ा फेंकने और महिलाओं की सुरक्षा करने जैसे कम अहमियत वाले काम करवाए। आरिफ ने बताया है कि आईएसआईएस भारतीयों को जंग लड़ने के लायक नहीं मानता। मुंबई का कल्याण का रहने वाला आरिफ माजिद छह महीने में जीवन के चार अहम संस्कारों से गुजर गया। भारत की जमीन छोड़ने और आईएसआईएस के लिए काम करने के बीच बीते छह महीने में आरिफ के चार ‘संस्कार’ हो गए। इस दौरान उसका नया नाम रखा गया, उसकी शादी, ‘मौत’ और अंतिम संस्कार तक हो गए।

नेशनल इन्वेस्टीगेशन एजेंसी (एनआईए) आरिफ से पूछताछ कर रही है। एजेंसी के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘आरिफ एक साथ कई विरोधाभासी बातें कर रहा है। उसके शरीर पर गोली से जख्म के दो और बम फटने की वजह से बने जख्म का एक निशान है। हमने उसे नहीं बचाया बल्कि उसने अपने परिवार से संपर्क किया और तुर्की से बचाए जाने की बात कही। हम यह नहीं जानते कि वह तुर्की कैसे पहुंचा। हमारी नजर में वह अपराधी नहीं है, बल्कि एक भटका हुआ नौजवान है। इसलिए हम उसके साथ सज्जनता के साथ पेश आ रहे हैं।’

लेकिन अधिकारी ने बताया, ‘आरिफ के अचानक हुए हृदय परिवर्तन को लेकर हमें सावधान रहना होगा। उसे अपने किए पर कोई पछतावा नहीं है। उसने सिर्फ इतना बताया है कि वह आईएसआईएस के लिए उपयोगी साबित नहीं हुआ।’ एनआईए सूत्रों के मुताबिक, ‘आरिफ ने बताया कि आईएसआईएस के आतंकवादी भारतीयों को अपने साथ लेना चाहते हैं, लेकिन उन्हें लगता है कि भारतीय जंग के मैदान के लिए नाकाबिल हैं और वे दूसरे कामों के लिए बेहतर हैं। आरिफ ने यह भी कहा कि आईएसआईएस के आतंकी उसे टॉयलेट साफ करने, कूड़ा उठवाने और उन महिलाओं की सुरक्षा करने के लिए तैनात किया गया था जो उसके आकाओं को खुश करने के लिए लाई गई थीं।’

आरिफ को है जंग न लड़ने देने का मलाल

एनआईए के साथ काम कर रहे मुंबई एंटी टेररिज्म स्क्वैड के अफसरों के मुताबिक, ‘आरिफ को इस बात का मलाल है कि आतंकवादी संगठन के आकाओं ने उसे जंग नहीं लड़ने दिया। हम यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या वह इसलिए लौटा है ताकि वह ऐसे किसी मिशन को अंजाम दे सके जो उसे आईएसआईएस में सम्मान दिला सके या उसका मन पूरी तरह से बदल चुका है। एनआईए के अफसर के मुताबिक, आईएसआईएस जब किसी की भर्ती करता है तो वह आसानी से किसी को जाने नहीं देता। इसकी वजह यह है कि वह अपने संगठन की गुप्त बातें बाहर नहीं जाने देना चाहता साथ ही ऐसे किसी आतंकवादी को छोड़ना एक शख्स के जाया हो जाने जैसा होता है, जिसे कट्टरपंथी बनाने के लिए मेहनत की गई है।’

स्त्रोत : दैनिक भास्कर


कल्याण से भागकर ISIS ज्वाइन करने वाला युवक लौटा, NIA ने हिरासत में लिया

फाइल फोटोः अारिफ मजीद

मुंबई – कल्याण से भाग कर ISIS ज्वाइन करने वाले 4 लड़कों में से एक अारिफ मजीद शुक्रवार तड़के टर्की से वापस पहुंचा। मुंबई एयरपोर्ट पर ही एनआईए ने उसे हिरासत में ले लिया।

आरिफ ने हाल ही में ISIS के ठिकाने पर हुए एक हवाई हमले से बचने के बाद अपने पिता डॉ। एजाज मजीद को फोन कर वापस लौटने की इच्छा जताई थी। उसने टर्की से वापस लौटने में उनसे मदद भी मांगी। इसके बाद 25 नवंबर को डॉ मजीद ने एनआईए को सूचना दी कि 20 नवंबर को अारिफ का फोन आया था और उसने बताया कि वह बीते 3 महीने से ISIS के लिए काम कर रहा था। इसके बाद वह टर्की आ गया। डॉ मजीद ने एनआईए से अपने बेटे को भारत वापस लाने में मदद भी मांगी थी। हालांकि अभी तक यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि अारिफ इराक से बचकर टर्की कैसे पहुंचा?

जानकारी के मुताबिक, अारिफ शुक्रवार तड़के 5।15 बजे मुंबई एयरपोर्ट पर उतरा, जहां तुरंत उसे एनआईए ने हिरासत में ले लिया। वहीं डॉ। मजीद ने कहा, मैं उससे मिलना चाहता हूं। नमाज अता करने के बाद मैं अपने बेटे से मिलने की कोशिश करूंगा।

बता दें कि थाने जिले के कल्याण से चार लड़कें ISIS ज्वाइन करने के लिए भागे थे। इन्होंने मई के आखिरी हफ्ते में ISIS ज्वाइन किया था। अारिफ के अलावा भागने वाले लड़कों में अमन टंडेल, फहद शेख और शमीम टंकी थे। दावा किया गया था सभी लड़के धार्मिक यात्रा पर इराक गए थे। दूसरे दिन आरिफ के पिता को एक पर्ची मिली जिसमें उनके पुत्र ने लिखा था, ‘इराक में चल रहे जिहाद में शामिल होने के लिए इराक जा रहा हूं, लिखा था।’ वहीं दूसरे लड़के फहाद को इराक जाने से दो दिन पूर्व उसे नौकरी का प्रस्ताव मिला था। वह इंजीनियर था। फहाद ने अपने परिवार वालों से कहा था कि ‘इराक काम करने के लिए जा रहा है लेकिन वहां से कभी भी वापस नहीं आएगा।’

हैदराबाद व जयपुर के स्टूडेंट्स हो चुके हैं गिरफ्तार 

गौरतलब है कि हैदराबाद में रहने वाले इंजीनियरिंग के चार स्टूडेंट्स को आईएसआईएस में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। इन सभी की उम्र 20 साल के करीब थी और इन्हें पश्चिम बंगाल से गिरफ्तार किया गया था।

जयपुर में भी मोहम्मद महरुफ (21), मोहम्मद वकर अजहर (21) और शाकिब अंसारी (25) को आतंकी संगठन से जुड़े होने के कारण गिरफ्तार किया गया था। महरुफ व अजहर इंजीनियरिंग के स्टूडेंट थे और शाकिब डीटीपी ऑपरेटर था।

स्त्रोत : दैनिक भास्कर

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