इस देश को स्वयंस्फूर्ति से पूर्णता की ओर ले जानेवाला नेतृत्व मिलना चाहिए, ऐसी देशवासियों की ‘मन की बात’ है !
हिन्दू बहुसंख्यक भारत को स्वातंत्र्य की प्राप्ति होकर ७ दशक बीत गए; परंतु राममंदिर का निर्माण का सपना, तो अभीतक सपना ही बना हुआ है ! केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में तो उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में भाजपा की सरकारें बडे बहुमति से चुनकर आने पर राममंदिर का निर्माण बिना विलंब होगा, ऐसी अपेक्षा थी; परंतु यह प्रश्न प्रतिदिन और ही अधिक जटिल बनता जा रहा है !
हमारे देश में याकुब मेमन के अभियोग के लिए मध्यरात्रि में भी न्यायालय के द्वार खुल सकते हैं; परंतु करोडों हिन्दुआें का आस्था का केंद्र बने राम मंदिर के अभियोग को प्रधानता नहीं दी जाती, इससे बडा दुर्भाग्य और क्या हो सकता है ? अब तो भाजपा की मातृसंस्था राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने भी खुलेपन से राम मंदिर के निर्माण की दृष्टि से संकेत दे दिए हैं। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरेजी के नेतृत्व में सहस्रों शिवसैनिकों ने ‘चलो अयोध्या’ का नारा देकर अपना अयोध्या अभियान सफल बनाया। संक्षेप में कहा जाए, तो रामजन्मभूमि पर भव्य राममंदिर बने, यह अधिकांश भारतीयों की इच्छा है !
‘बहुमत’ को प्रधानता देनेवाले लोकतंत्र में यदि बहुसंख्यक हिन्दुआें की धार्मिक भावनाआें का सम्मान न होता हो, तो इस लोकतंत्र में ‘राम’ ही नहीं रह गए, ऐसा कहा गया, तो उसमें अयोग्य क्या है ? इस देश को देश के राष्ट्रीय सपनों को किसी दबाव के चलते नहीं, अपितु स्वयंस्फूर्ति से पूर्णता की ओर ले जानेवाला नेतृत्व मिलना चाहिए, ऐसी देशवासियों की ‘मन की बात’ है ! उसे यदि जानकर नहीं लिया गया, तो ‘जो राम का नहीं, वह किसी के काम का नहीं’, ऐसा लगने में कितना समय लगेगा ?
– श्री. रमेश शिंदे, राष्ट्रीय प्रवक्ता, हिन्दू जनजागृति समिति (१ दिसंबर २०१८)
‘हिन्दुआें ने यदि संगठितता दिखार्इ, तो रामराज्य की भांति हिन्दू राष्ट्र की स्थापना करना कठिन नहीं है ! देश के युवक प्रभु श्रीराम के आदर्श पर चलते रहें, तो हम केवल अयोध्या में ही नहीं, अपितु पाकिस्तान में भी प्रभु श्रीराम के मंदिरों का निर्माण करेंगे !’ – श्री. रमेश शिंदे (वर्ष २०१३)
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात