हिन्दुआें, धर्मशिक्षा लेकर धर्माचरण करने में ही मनुष्य जीवन की सफलता ! – श्रीमती नयना भगत, प्रवक्ता, सनातन संस्था
चुनाभट्टी (मुंबई) : हिन्दू धर्म का श्रेष्ठत्व गुरु-शिष्य परंपरा में ही है। जब-जब हमारे धर्म को अथवा राष्ट्र को ग्लानी आ गई, तब-तब गुुरु-शिष्य परंपरा ही सनातन धर्मपरंपरा को बचाने हेतु आगे आई है ! हमारे सामने भगवान श्रीकृष्ण-अर्जुन, आर्य चाणक्य-चंद्रगुप्त मौर्य, रामकृष्ण परमंहस-स्वामी विवेकानंद, समर्थ रामदासस्वामी-छत्रपति शिवाजी महाराज ऐसे ये कुछ प्रसिद्ध उदाहरण हैं ! आज भी हिन्दू संस्कृति पर आक्रमण किए जा रहे हैं और उससे हिन्दू धर्म संकट में पड गया है। संतों के विरोध में झूठे आरोप लगाकर उन्हें अपकीर्त किया जा रहा है। अतः हिन्दू धर्म की शिक्षा लेकर उसके अनुरूप आचरण करने से ही मनुष्य जीवन सफल होगा ! सनातन संस्था की प्रवक्ता श्रीमती नयना भगत ने ऐसा प्रतिपादित किया। चुनाभट्टी के साईबाबा मित्रमंडल के प्रांगण में आयोजित हिन्दू राष्ट्रजागृति सभा में वो बोल रही थीं।
शंखनाद के पश्चात दीपप्रज्वलन किया गया। उसके पश्चात पुरोहित वेदमूर्ति श्री. प्रज्ज्वल टेंबेकर एवं श्री. अनिकेत लेले ने वेदमंत्रपठन किया। समिति के श्री. संदीप शिंगाडे ने उन्हें सम्मानित किया। हिन्दू जनजागृति समिति की श्रीमती ममता देसाई ने सभा का सूत्रसंचालन किया।
श्रीमती भगत ने आगे कहा, ‘‘सायंकाल में हमारे हाथ में दीपज्योति के स्थान पर दूरचित्रवाणी का रिमोट होता है। इस दूरचित्रवाहिनी के कारण राष्ट्र, धर्म, समाज, परिवार एवं व्यक्तिगत रूप से भी किसी का भला नहीं होता; परंतु हम इसके द्वारा जिहाद का शिकार बन रहे हैं ! आज १४ प्रकार के जिहाद, मंदिरों की संपत्ति में भी भ्रष्टाचार करनेवाले राजनेता, पाखंडी पुरोगामी लोग एवं झूठी स्री-पुरुष समानता के द्वारा हिन्दू धर्म को बिना किसी कारण अपकीर्त करनेवाले नास्तिकतावादियों को प्रत्युत्तर करने का समय अब आ गया है ! इसलिए अब हिन्दुआें ने नींद का ढोंग छोड कर जागना चाहिए, तब ही सभी का कल्याण होगा !’’
धर्म की विजय होती है एवं अधर्म पराजित होता है, यही शाश्वत नीति ! – श्री. नरेंद्र सुर्वे, प्रवक्ता, हिन्दू जनजागृति समिति
जब से संविधान में ‘धर्मनिरपेक्षता एवं समाजवाद’ जैसे शब्द घुसेड दिए गए, तब से ही हिन्दुआें की दुस्थिति आरंभ हुई ! संविधान में ‘धर्मनिरपेक्षता’ की ठीक से व्याख्या भी नहीं दी गई है; परंतु इससे सबसे अधिक हानि हिन्दुआें को ही झेलनी पडी है ! ‘कानून हिन्दुआें के लिए और लाभ अन्य धर्मियों को’ ऐसी स्थिति बन गई है। मुसलमानों की हज यात्रा पर ८२६ कोटि रुपए खर्च किए जाते हैं और हिन्दुआें को काशी एवं प्रयाग कुंभ के लिए अतिरिक्त कर देना पडता है ! ‘अच्छे दिन’वाली सरकार ने हज का लाड-प्यार बंद तो किया; परंतु तुरंत ही ‘शादीशगुन योजना’ लेकर केवल मुसलमान युवती को १८ सहस्र रुपए देने का निर्णय क्यों लिया ? क्या हिन्दुआें की लडकियां नहीं होती ? हिन्दुआें के १० दिनों के त्योहार में रात १० बजे के पश्चात ध्वनिवर्धक की अनुमति नहीं; परंतु वर्ष के ३६५ दिन मस्जिदों पर लगाए हुए भोंपु प्रातः ५ बजे से पांच पांच बार बजाए जाते हैं ! पुलिस प्रशासन न्यायालय का आदेश नहीं मानता और केवल हिन्दुआें को ही दादागिरी दिखाता है ! ‘पहले डोनेशन, उसके पश्चात एडमिशन और अंत में थोडासा एज्युकेशन’, यह ईसाई लोगों का कॉन्वेंट स्कूलों का गणित ‘मातृदेवोभव-पितृदेवोभव’ की शिक्षा नहीं दे सकता ! कॉन्वेंट विद्यालय केवल ‘नौकर’ ही बनाते हैं। स्वामी बनाने की पात्रता तो केवल हिन्दुआें की गुरुकुल पद्धति में ही थी, इसे ध्यान में लेना होगा ! पूज्यपाद संतश्री आसारामबापूजी को बलात्कार के एक झूठे प्रकरण में वर्षों का कारावास; परंतु ननपर अत्याचार करनेवाला केरल के बिशप केवल २ ही दिनों में प्रतिभूति पर बाहर आता है ! राममंदिर के प्रकरण की सुनवाई के लिए न्यायालय के पास समय नहीं है, यह हिन्दुआें का दुर्भाग्य है ! ‘तारीख पे तारीख’ की यह व्यवस्था हमारे साथ न्याय कब करेगी ?
संतों की भविष्यवाणी के अनुसार वर्ष २०२३ को हिन्दू राष्ट्र आने ही वाला है; इसलिए हम इसमें साधना के रूप में तन-मन-धन से समर्पित होंगे। केवल इसीसे ही हमारा उद्धार होगा !
मान्यवरों की उपस्थिति !
इस कार्यक्रम में शिवसेना के वरिष्ठ नेता श्री. लीलाधर डाके, शिवसेना के श्री. विजय तांडेल शिवसेना पार्षद श्रीमती सान्वी तांडेल, भाजपा विधानसभा सचिव श्रीमती भारती कडू उपस्थित थीं।
क्षणिका : मार्ग पर लगाए गए राष्ट्र-धर्म इस विषय के फलकों को देख कर अनेक लोग सभा में आ गए !
विशेष : श्री. बळवंत पाठक ने उपस्थित धर्मप्रेमियों से हिन्दू राष्ट्र की प्रतिज्ञा करवा ली। इस सभा में कुल ८० धर्मप्रेमियों की उपस्थिति थी।
हिन्दू जनजागृति समिति की इस सभा पर पुलिस की दृष्टि !
१. एक महिला हवलदार सामान्य वेशभूषा में आकर उसने पहले अपना परिचय दिया और उसके पश्चात वह वक्ताआें के भाषण लिखकर लेने लगी।
२. सभा के फलक देख कर २ पुलिसकर्मी सभा में आ गए। उन्होंने कहा, ‘‘ऐसे कार्यक्रम होने चाहिएं। हम आज सेवा में नहीं हैं; परंतु केवल उत्सुकता है; इसलिए आए हैं। यह कार्यक्रम बहुत अच्छा था !
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात