श्री महालक्ष्मी मंदिर, कोल्हापुर
कोल्हापुर में स्थित महालक्ष्मी मंदिर न केवल महाराष्ट बल्कि देश का सबसे प्रसिद्ध लक्ष्मी मंदिर माना जाता है ! इतिहास में दर्ज तथ्यों के अनुसार इस मंदिर का निर्माण सातवीं सदी चालुक्य वंश के शासक कर्णदेव ने करवाया था। प्रचलित जनश्रुति के अनुसार यहां की लक्ष्मी प्रतिमा लगभग ७,००० साल पुरानी है !
इस मंदिर की विशेषता यह है कि यहां सूर्य भगवान अपनी किरणों से स्वयं देवी लक्ष्मी का पद-अभिषेक करते हैं। जनवरी और फरवरी के महीने में सूर्य की किरणें देवी की पैरों का वंदन करती हुई मध्य भाग से गुजरते हुए फिर देवी का मुखमंडल को रोशनी करती हैं, जो कि एक अतभुत दृश्य प्रस्तुत करता है !
नवरात्रि महोत्सव
मंदिर में नवरात्रि का पर्व बहुत ही हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है। यह पर्व देवी दुर्गा के सभी नौ अवतारों को समर्पित है। इन नौ दिनों में मंदिर के दैनिक कार्यक्रमों में कुछ ही बदलाव होता है। सुबह ८:३० बजे से ११ बजे तक माता का अभिषेक किया जाता है। इस पूजा में माता को स्वर्णाभूषण व सुंदर वस्त्रों से सुसज्जित किया जाता है।
तत्पश्चात उन्हें महानैवेद्य चढ़ाया जाता है और आरती की जाती है। इस दौरान, मंदिर ट्रस्ट कई तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करती है। नवरात्रि का त्यौहार बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। मंदिर में ललिता पंचमी, अष्टमी और नवमी के समय भक्तों की भारी भीड उमडती है !
किरणोत्सव
किरणोत्सव अथवा सूर्य की किरणों का उत्सव, महालक्ष्मी मंदिर में बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस उत्सव की महालक्ष्मी मंदिर में बहुत ही मान्यता है। जब प्रातःकाल सूर्य की किरणें देवी महालक्ष्मी की मूर्ति पर पडती है, न केवल उसकी सुंदरता अपूर्व हो जाती है वरन यह एक शुभ काल के शुरू होने का भी संकेत माना जाता है !
३१ जनवरी और ९ नवंबर को सूर्य की किरणें माता के चरणों पर पडती है। १ फ़रवरी और १० नवम्बर को सूर्य की रश्मि मूर्ति के मध्य भाग पर गिरती है। २ फ़रवरी और ११ नवम्बर को सूर्य की किरणें पूरी मूर्ति को अपनी रोशनी से नहला देती हैं। माता महालक्ष्मी के भक्त इस अद्भुत उत्सव को बहुत ही हर्ष और उल्लास के साथ मनाते हैं !
रथोत्सव
अप्रैल माह में मंदिर में रथोत्सव का आयोजन किया जाता है। इस उत्सव के समय माता का रथ बहुत ही सुरुचिपूर्ण तरीके से सजाया जाता है। इस रथ को मंदिर के आस-पास घुमाया जाता है और भक्तजनों को दर्शन का लाभ मिलता है। यह रथ सायंकाल ७:३० बजे से ९:३० बजे तक मंदिर के चारों ओर घुमाया जाता है। माता महालक्ष्मी के इस सुसज्जित रथ को व उनकी दिव्य मूर्ति को देखकर भक्तों में धार्मिक भावनाओं का संचार होता है और उनमें हर्ष की लहर दौड जाती है !
काकड आरती
काकड आरती प्रातःकाल ४:३० बजे से ६ बजे तक की जाती है। इस समय महालक्ष्मी जी के साथ ही भगवान मातरूलिंगा, गणपति, महाकाली और महासरस्वती जी की भी आरती की जाती है।
प्रातःकाल महापूजा
सुबह ८ बजे महापूजा की जाती है। इस समय महालक्ष्मी जी की मूर्ति का अभिषेक किया जाता है और पुष्प चढ़ाए जाते हैं !
नैवैद्य
सुबह ९:३० बजे अभिषेक के पश्चात् माता को भोग चढ़ाया जाता है। इसे नैवैद्य भी कहा जाता है !
दोपहर महापूजा
दोपहर ११:३० बजे भी महापूजा पूजा की जाती है। देवी माँ को महानैवेद्य (दाल, चावल, सब्जियाँ, चटनी और पूरन पोली आदि) का भोग लगाया जाता है।
अलंकार पूजा
माध्यान्ह १:३० बजे अलंकार पूजा होती है। इस समय माता को स्वर्ण आभूषणों से सुसज्जित किया जाता है !
धूप आरती
सायं ८ बजे धूप आरती की जाती है, जिसके दौरान धूप अगरबत्ती जला कर और शंख व घंटियों के मधुर स्वरों के बीच माता की आरती होती है।
शेज आरती
रात्रि १० बजे शेज आरती की जाती है।
महालक्ष्मी मंदिर, कोल्हापुर : पता, एंट्री फी, टाइमिंग
पता : १८७ बी वार्ड, महादवार रोड, शिवाजीपेट, कोल्हापुर, महाराष्ट्र
एंट्री फी : आप यहां मुफ्त प्रवेश कर सकते है
टाइमिंग : सुबह ५:३० पर खुल जाता है
स्त्रोत : इंडिया दर्शन