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महाराष्ट्र सरकार सनबर्न फेस्टिवल के कारण महाराष्ट्र को होनेवाले लाभ बताएं ! – श्री. दीप्तेश पाटिल, हिन्दू गोवंश रक्षा समिति

विरार (पालघर) में ‘राष्ट्रीय हिन्दू आंदोलन’ !

आंदोलन में सम्मिलित धर्माभिमानी हिन्दू

विरार (पालघर) : गोवा सरकारद्वारा बाहर निकाले गए, युवकों का जीवन ध्वस्त करनेवाले, २ युवकों का प्राणहरण करनेवाले, मदिरा और मादक पदार्थों के सेवन के लिए प्रोत्साहित करनेवाले, साथ ही सरकार के कर को डुबोनेवाले ‘सनबर्न’ के कारण महाराष्ट्र को क्या लाभ होंगे ?, यह सरकार बताएं। विरार पूर्व के मनवेल पाडा में आयोजित राष्ट्रीय हिन्दू आंदोलन में गोवंश रक्षा समिति के श्री. दीप्तेश पाटिल ने स्पष्ट रूप से यह प्रश्‍न उपस्थित किया। सनातन संस्था एवं हिन्दू जनजागृति समिति पर प्रतिबंध लगाने की हो रही मांग, शबरीमला प्रकरण में बंदी बनाए गए भक्तों को छोडा जाए, संस्कृति विरोधी सनबर्न फेस्टिवल बंद किया जाए एवं २५ से ३१ दिसंबर की कालावधि में पटाखों पर प्रतिबंध लगाया जाए, इन मांगों को लेकर सनातन संस्था एवं हिन्दू जनजागृति समितिसहित अन्य समविचारी संगठनों ने यह आंदोलन किया।

इस आंदोलन में सरकार को उपर्युक्त मांगों का जो ज्ञापन दिया गया, उस ज्ञापन पर अनेक हिन्दुओं ने उत्स्फूर्तता से हस्ताक्षर कर आंदोलन को अपना समर्थन व्यक्त किया। इस आंदोलन में सनातन संस्था, हिन्दू जनजागृति समिति, हिन्दू गोवंश रक्षा समिति, राष्ट्रीय बजरंग दल एवं परशुराम सेना के कार्यकर्ताओं ने सहभाग लिया।

श्री. दीप्तेश पाटिल ने आगे कहा कि, शबरीमला प्रकरण में सर्वोच्च न्यायाल ने लाखों भक्तों की धार्मिक भावनाओं का पक्ष न लेकर जो भक्त नहीं हैं, ऐसे अन्य धर्मीय याचिकाकर्ता का पक्ष लिया, क्या यह न्याय है ? नालासोपारा में कथित रूप से विस्फोटक मिलने के प्रकरण में सनातन संस्था एवं हिन्दू जनजागृति समिति पर प्रतिबंध लगाने की मांग की जाना, एक षड्यंत्र है ! संवैधानिक मार्ग से न्याय की मांग करनेवाले हिन्दुओं की कोई सुनता ही नहीं; परंतु जिनके कारण न्याय एवं व्यवस्था का प्रश्‍न उत्पन्न होता है, उन्हें पहले सुना जाता है ! इस स्थिति में परिवर्तन लाने के लिए हिन्दू राष्ट्र ही चाहिए।

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‘सनबर्न फेस्टिवल’ : कुछ अनुत्तरित प्रश्‍न !

शबरीमला प्रकरण का निर्णय भक्तों के साथ अन्यायपूर्ण ! – श्री. कुमार पिल्लई, हिन्दुत्वनिष्ठ

केरल की वामपंथी सरकार नास्तिकतावादी विचारधारावाली सरकार है; इसीलिए सर्वोच्च न्यायालय ने शबरीमला परंपरा के संदर्भ में बिना कोई अध्ययन कर एवं स्वामी अय्यप्पाजी के भक्तों की भावनाओं का विचार न कर भक्तों के विरोध में निर्णय दिया। इस निर्णय का वैधानिक पद्धति से विरोध करनेवाले भक्तों को सरकार ने कारागृह में बंद किया। यह अन्यायपूर्ण है ! हिन्दुओं को यदि ऐसा लगता हो कि उनकी समस्याओं का संज्ञान लिया जाए, तो अब हिन्दुओं ने संगठित होना चाहिए, जिससे की सरकार को हिन्दुओं की मांगों का संज्ञान लेना ही पडेगा !

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सबरीमाला प्रकरण में सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय दुर्भाग्यपूर्ण – श्री. रमेश शिंदे, हिन्दू जनजागृति समिति

केवल छत्रपति शिवाजी महाराज के पुतले खडे करनेवाले क्या उनके विचारों पर भी अमल करेंगे ? – डॉ. सुजीत यादव, प्रखर हिन्दुत्वनिष्ठ

आज के जनप्रतिनिधि सत्ता के लिए जनता को भाषा, प्रांत एवं जातियों के आधार पर आपस में बांट लेते हैं ! छत्रपति शिवाजी महाराज का केवल नाम लेकर और केवल उनके पुतले खड़े कर वे सत्ता पाने का प्रयास कर रहे हैं; परंतु वे महाराज को अपेक्षित हिन्दवी स्वराज्य के लिए प्रयास नहीं कर रहें हैं ! इसे ध्यान में लेकर अब हिन्दुओं को ही शिवाजी महाराज को अपेक्षित ऐसे हिन्दवी स्वराज्य निर्माण के लिए संगठित होना चाहिए !

सनातन संस्था एवं हिन्दू जनजागृति समिति पर प्रतिबंध लगाने की मांग के पीछे कुटील षड्यंत्र ! – श्री. पंडित चव्हाण, हिन्दू जनजागृति समिति

सनातन संस्थाद्वारा विगत अनेक वर्षों से किए जा रहे अध्यात्मप्रसार के कारण समाज के अनेक लोगों को लाभ पहुंचा है। धर्म एवं देवताओं के विरोध में विषवमन करनेवालों को सरकार ने कभी नहीं रोका; परंतु उनका वैचारिक प्रतिवाद करनेवाली सनातन संस्था को उनकी हत्याओं के आरोप में फंसाया जा रहा है। अभीतक अन्वेषण विभागों ने कई बार हथियारों के नाम, दिनांक और जांच के अनेक सूत्रों में बदलाव किए हैं। इससे इन अन्वेषण विभागों की कार्यपद्धति ही संदेह के घेरे में आ गई है !

क्षणिकाएं

१. आंंदोलनकर्ताओं के साथ आंदोलन देखनेवालोंद्वारा भी स्वयंस्फूर्ति से घोषणाएं की जा रही थीं !

२. स्थानीय नागरिक श्री. बबन झा ने प्रतिसाद देते हुए कहा कि, ‘आपका कार्य बहुत अच्छा है !’

३. मार्ग से आने-जानेवाले लोग रूक-रुक कर आंदोलन का विषय सुन रहे थे !

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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