गाय को ‘राष्ट्रमाता’ घोषित करवाने के लिए हिमाचल प्रदेश विधानसभा ने गुरुवार को एक प्रस्ताव पास किया। विधानसभा अब इस प्रस्ताव को केंद्र सरकार को भेजेगी। बता दें कि भजपा शासित उत्तराखंड इस साल सितंबर में देश का पहला राज्य था जिसने गाय को ‘राष्ट्रमाता’ घोषित किए जाने की मांग उठाई। गुरुवार को इस संदर्भ में एक प्रस्ताव कांग्रेस विधायक अनिरुद्ध सिंह ने रखा, जिसका सत्ताधारी भाजपा विधायकों ने समर्थन किया।
सिंह ने कहा कि गाय कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं है। उन्होंने कहा, ‘गाय जब दूध देना छोड देती है तो लोग उसे छोड देते हैं। गाय किसी जाति, समुदाय या धर्म से जुडी चीज नहीं। इसका मानवता को महान योगदान है।’ सिंह ने ऐसा कानून लाए जाने की भी मांग की, जिससे गोरक्षा के नाम पर हो रही हिंसा और मॉब लिंचिंग की घटनाओं को रोका जा सके। बता दें कि हिमाचल में गोरक्षा के नाम पर हुई हिंसा का एक बडा मामला अक्टूबर २०५ का है, जब यहां के सिरमौर जिले में उत्तर प्रदेश के एक शख्स की पीटकर हत्या कर दी गई थी।
वहीं, सूबे के पशुपालन मंत्री वीरेंद्र कंवर ने कहा कि प्रदेश सरकार राज्य में कई गो-अभयारण्यों का निर्माण करवा रही है। उन्होंने बताया कि सिरमौर जिले में इनके निर्माण के लिए १ करोड ५२ लाख रुपये दिए गए हैं। इसके अलावा, सोलन और कांगडा में भी इनके निर्माण का प्रस्ताव है। विधायक ने यह भी मांग की कि राजस्थान की तर्ज पर हिमाचल प्रदेश में भी अलग से गो मंत्रालय की स्थापना की जाए। बता दें कि २०१५ में राजस्थान ऐसा करने वाला पहला राज्य था। वहीं, भाजपा विधायक किशोरी लाल ने बताया कि गोवंश की भलाई के लिए मंदिरों में दान से मिले १७ करोड रुपये और काउ सेस के तौर पर वसूले गए ८ करोड रुपये का उपयोग किया जा रहा है।
स्त्रोत : जनसत्ता