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हम धर्मनिरपेक्ष नहीं, अपितु धर्मसापेक्ष हैं ! – वैद्य उदय धुरी

डोंबिवली में योग वेदांत समिति एवं हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से हिन्दू राष्ट्र-जागृति सभा संपन्न !

डोंबिवली (मुंबई) : अन्य धर्मों में मनुष्य को स्वर्ग प्राप्ति होने की बात बताई जाती है; परंतु हिन्दू धर्म में मनुष्य को मोक्ष तक अर्थात जन्म-मृत्यु के भी उस पार ले जाया जाता है ! वर्ष १९७६ में तात्कालीन कांग्रेस की सरकार ने संविधान में ‘सेक्युलर’ शब्द घुसेड़ कर केवल हिन्दुओं को ही धर्मनिरपेक्ष बनाया और धर्मनिरपेक्षता के नाम पर अल्पसंख्य कों को सुविधाएं उपलब्ध कराईं गईं ! देश का एक भी ईसाई अथवा मुसलमान स्वयं को धर्मनिरपेक्ष नहीं मानता; परंतु हिन्दू स्वयं को धर्मनिरपेक्ष मानकर धर्माचरण से वंचित रहता है। इसलिए अब हिन्दुओं ने भी ‘हम धर्मनिरपेक्ष नहीं, अपितु धर्मसापेक्ष हैं’, ऐसा कहना चाहिए ! सेक्युलॅरिजम का अर्थ धर्मनिरपेक्षता नहीं, अपितु पंथनिरपेक्षता है। शबरीमला मंदिर के आंदोलन से हिन्दुओं ने यह दिखा दिया है कि हिन्दू यदि जागृत और संगठित होंगे, तो वह शासन को भी झुका सकते हैं ! हिन्दू जनजागृति समिति के वैद्य उदय धुरी ने ऐसा प्रतिपादित किया।

९ दिसंबर को योग वेदांत समिति एवं हिन्दू जनजागृति समिति के संयुक्त तत्वावधान में डोंबिवली के संत श्री आसाराम बापू सत्संग भवन में आयोजित हिन्दू राष्ट्र जागृति सभा में वे बोल रहे थे। इस सभा में योग वेदांत समिति के साधक एवं सनातन प्रभात के पाठकोंसहित १०० से भी अधिक धर्माभिमानी उपस्थित थे। योग वेदांत समिति के साधकों ने सभा की संपूर्ण सिद्धता की।

वैशिष्ट्यपूर्ण !

१. उपस्थित सभी को हिन्दुओं को ‘हिन्दू राष्ट्र’ विषय बहुत अच्छा लगा और धर्मप्रेमियों ने कहा कि हम हिन्दू राष्ट्र की संकल्पना का प्रसार करने के लिए प्रयास करेंगे !

२. सभा के पश्‍चात हुई बैठक में सभी ने नियमितरूप से संगठित होकर एक उपक्रम चलाना सुनिश्‍चित किया।

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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