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हरियाणा : विश्वविद्यालयों में आर्यभट्ट, वाल्मीकि और हिंदू दर्शन पर होगी रिसर्च

हरियाण राज्य उच्च शिक्षा परिषद की बैठक

चंडीगढ : हरियाणा के विश्वविद्यालयों में अब प्राचीन दर्शन, ग्रंथ, संत-महात्मा और ऋषि-मुनि पर शोध करने का निर्णय लिया गया है। हरियाण राज्य उच्च शिक्षा परिषद ने राज्य सरकार के निर्देश पर तय किया है कि अब विश्वविद्यालय शोध के काम में तेजी लाएंगे ताकि इंटरनैशनल लेवल पर रैंकिंग अच्छी हो सके ! परिषद के आग्रह पर अब तक ११ सरकारी विश्वविद्यालयों व १७ निजी विश्वविद्यालयों ने अपने शोध विषय का चयन कर लिया है। परिषद के प्रवक्ता के अनुसार पिछले दिनों सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की बैठक राज्यपाल की अध्यक्षता में हुई थी जिसमें निर्णय लिया गया था कि हर एक विश्वविद्यालय किसी प्राचीन दर्शन, ग्रन्थ, संत-महात्मा और ऋषि-मुनि पर शोध प्रकाशित करेंगे।

हिसार के गुरु जम्भेश्वर विश्वविद्यालय में महर्षि वाल्मीकि पर शोध पुस्तक का प्रकाशन किया जाएगा, जबकि गुरुग्राम के स्टारेक्स विश्वविद्यालय के शोध का विषय आर्यभट्ट रहेगा। महर्षि मारकण्डेश्वर विश्वविद्यालय वैदिक गणित पर, अल-फलह विश्वविद्यालय, फरीदाबाद सूफी सिद्धांतों और सोनीपत के एसआरएम विश्वविद्यालय में आयुर्वेद में वर्णित औषधीय पौधों पर शोध किया जाएगा।

गुरुग्राम के एमिटी विश्वविद्यालय की ओर ‘मनुष्य के शरीर में कौशिका स्तर लिपिड्स’ के विषय पर, हरियाणा विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय ने ‘पारम्परिक भारतीय भोजन बनाने के प्रौद्योगिकी विज्ञान’ विषय पर,जे.सी बोस विश्वविद्यालय फरीदाबाद में ‘कम्प्यूटर में प्रयोग होने वाली प्राकृतिक भाषाओं’ और चौधरी बंसीलाल विश्वविद्यालय भिवानी में ‘भारत और चीन में पारंपरिक तौर से प्रयोग होनेवाली औषधियों’ पर शोध किया जाएगा।

प्रो. बृजकिशोर कुठियाला

परिषद के अध्यक्ष प्रो. बृजकिशोर कुठियाला ने बताया कि विश्वविद्यालयों का मुख्य काम पढ़ाई कराने के साथ-साथ नए ज्ञान का सृजन भी है। परिषद विश्वविद्यालयों में मानवीय व सामाजिक समस्याओं के समाधान ढूंढने के प्रयास पर केन्द्रित रहेगा। उन्होंने कहा कि जिन विश्वविद्यालयों ने शोध विषय का चयन नहीं किया है, उनसे भी आग्रह किया गया है कि वे शीघ्र ही इस विषय में प्राध्यापक वर्ग से परामर्श करके निर्णय लें। उन्होंने बताया कि परिषद ने प्रांत के सभी विश्वविद्यालयों से आग्रह किया है कि वे आधुनिक प्रासंगिकतावाले कम से कम एक विषय पर ग्रन्थ प्रकाशित करें। उन्होंने बताया कि २४ विश्वविद्यालयों ने अपने-अपने शोध करने बारे जानकारी दी है। बाकी की ओर से भी शीघ्र ही विषय का चयन कर लिया जाएगा।

स्त्रोत : नवभारत टाईम्स

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