उत्तर प्रदेश के वाराणसी में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के लिए चल रहे निर्माण कार्य के दौरान निकले सैंकडों शिवलिंग को नाले किनारे फेंकने का मामला सामने आया है ! कथित तौर पर खुदाई के बाद इन शिवलिंगों को नाले किनारे फेंक दिया गया था। बुधवार की सुबह जैसे ही नाले किनारे शिवलिंग फेंकने की खबर मिली, स्थानीय लोग वहां एकजुट हो गए। वहां मौजूद लोगों ने इसका वीडियाे बना सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया, जिसके बाद सपा, बसपा, कांग्रेस सहित कई पार्टियों के अलावा धार्मिक कार्यकर्ताओं ने भाजपा सरकार पर निशाना साधना शुरू कर दिया। महिलाओं ने भी सरकार के प्रति रोष व्यक्त किया।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, बुधवार को बनारस में असि नाले किनारे के प्लॉट को शिवलिंगों से भरा जा रहा था। इसकी सूचना मिलते ही स्थानीय लोग जुट गए और शिवलिंग को अपने घर ले जाने लगे। जानकारी मिलते ही सिटी एडीएम विनय सिंह और सिटी एसपी दिनेश सिंह पुलिस टीम के साथ मौके पर पहुंचे। जल्दी-जल्दी में शिवलिंगों को हटाया गया। मौके की नजाकत को देखते हुए भारी संख्या में पुलिस बल तैनात कर दिए गए।
मंदिर बचाओ अभियान के संचालक स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा, “यह सरकार विश्वनाथ कॉरिडोर के लिए प्राचीन मंदिरों को तोड़ने का काम कर रही है। पहले मुझे इस बात की आशंका थी, जो अब सही साबित होती दिख रही है। यह धार्मिक मामला है। मंदिरों को तोड़ना और विग्रहों को नष्ट करना जघन्य अपराध है। इसके लिए किसी को माफ नहीं किया जा सकता !” वहीं, सपा नेता मामले को दबाने के लिए पुलिस पर शिवलिंग हटाने का आरोप लगाया।
दरअसल, बनारस में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के निमार्ण के लिए पुरानी काशी के १७५ मकानों को ध्वस्त किया जा रहा है। कहीं-कहीं छोटे मंदिर भी हैं, जिन्हें भी हटाया जा रहा है। इस पूरे काम में हजारों मजदूर लगे हैं। इस काॅरिडोर के निर्माण के लिए ४१३ करोड़ का बजट रखा गया है। प्रतिदिन रात में काम में काम होता है। मंदिर व मकानों के मलबे को रात में ही हटाया जाता है। इसी क्रम में मंगलवार की रात एक खाली प्लाॅट में मलबा गिराया गया था जिसमें शिवलिंग, नंदी के विग्रह और कुछ अन्य देवी देवताओं के विग्रह देखे गए। बुधवार की सुबह जब लोगों ने इसे देखा तो हंगामा करना शुरू कर दिया।
स्त्रोत : जनसत्ता