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छत्तीसगढमें गोहत्या प्रतिबंधक कानून लागू करवानेवाले संत पू.श्री बालकदासजी महाराज !

फाल्गुन शुक्ल ३, कलियुग वर्ष ५११४

गोमाता हेतु लडनेवाले एवं छत्तीसगढ राज्यमें गोहत्या प्रतिबंधक कानून लागू करवानेवाले संत पू.श्री बालयोगेश्वर श्रीराम बालकदासजी महाराज !

राजिम (छत्तीसगढ) – यहांका कुंभमेला गत ८ वर्षोंसे आयोजित किया जा रहा है । वह राजिम कुंभ नामसे ही विख्यात है । उसका आयोजन पूर्णतः छत्तीसगढ सरकारके संस्कृति, धर्मस्व तथा पर्यटन मंत्रालयद्वारा किया जाता है; परंतु उसका नेतृत्व, सक्रिय सहभाग लेनेवाले पू. संत श्री बालयोगेश्वर श्रीराम बालकदासजी महाराज करते हैं । महाराजके नेतृत्वके कारण छत्तीसगढमें गोहत्या प्रतिबंधक कानून लागू हुआ है । संत समाज एवं प्रशासनके मध्यकी कडी संत पू.श्री बालकदासजी महाराज हैं ! प्रत्येक मंचसे प्रस्तुत किए गए पू. महाराजके विचार तत्त्वसे संबंधित, निर्भीक एवं स्पष्ट होते हैं । राजिम कुंभके अवसरपर ३ मार्चसे कुंभनगरीमें दिनमें २ बार विराट संत समागमका आयोजन किया गया था । उसमें प्रतिदिन विभिन्न विषयोंपर संत अपने विचार प्रस्तुत करते थे । सर्व संत एक ही मंचपर आए, इसलिए पू. महाराज प्रयासरत रहते हैं तथा उनके विचार भी व्यक्त करते हैं ।

गोरक्षा एवं गोसेवाके विषयमें कहते हुए उन्होंने कहा कि

१. राजिम कुंभ संतोंका मंच है; राजनीतिके लिए कोई भी उसका उपयोग न करे ।

२. सरकार २ रुपए प्रतिकिलोके भावसे गेंहूं-चावलका वितरण करती है । मेरी सरकारसे यह मांग है कि, इसी भावसे गोमाताके लिए चारा तथा चारेके लिए स्थान भी उपलब्ध करवाए ।

३. संतोंको आवाहन करते हुए उन्होंने कहा कि गोसंवर्धनके लिए हम सबने क्या किया है अथवा करेंगे, इस विषयपर भी चर्चा करते हैं; क्योंकि इस विषयमें चर्चा बहुत हो चुकी है, अब प्रत्यक्ष कृतिके विषयमें भी बताएंगे ।

४. पू. महाराजने मंचपर ही सर्व संतोंको आवाहन किया कि, संत कुंभमेलेमें अपने निवासस्थानपर ही न बैठें, अपितु तो अन्य संतोंसे मिलें, विचारोंका आदान-प्रदान करें, तो ही इस राजिम कुंभमेलेका उद्देश्य सफल होगा ।

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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