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एक और मंदिर जहां १५० साल से महिलाओं के वर्जित प्रवेश की परंपरा का महिला करती है पालन !

केरल के सबरीमाला मंदिर में आज भी महिलाओं के प्रवेश को लेकर विवाद हो रहा है। सबरीमला मंदिर परिसर में प्रवेश करने वाली महिलाओं पर सदियों से प्रतिबंध लगाया जा रहा है, क्योंकि भक्त मंदिर के प्रमुख देवता अयप्पा को ब्रह्मचारी हैं। वहीं छत्तीसगढ के कवर्धा में ऐसी ही एक देवी मंदिर हैं जहां पर महिलाओं का प्रवेश वर्जित है।

जिला मुख्यालय कवर्धा से २२ किमी दूर ग्राम सूरजपुरा में मां राजोदाई मंदिर स्थित है। यहां पर महिलाओं का प्रवेश वर्जित है, जबकि यह देवी मंदिर है। यह मान्यता करीब १५० साल से चली आ रही है। इस मंदिर में केवल पुरुष ही प्रवेश कर पूजा पाठ करते हैं। महिलाएं मंदिर के बाहर से ही प्रार्थना कर सकती हैं, गर्भगृह में प्रवेश नहीं कर सकती।

देवी पिंड रूप में विराजमान

गांववालों ने बताया कि देवी गांव के एक बुजुर्ग के सपने में आए कि फोंक नदी के बीच धार में देवी का पिंड बह रहा है। बुजुर्ग ने ग्रामीणों को बताया। ग्रामीण नदी पहुंचे वहां पर देवी का पिंड मिला, जिसे वहीं स्थापित कर दिया गया। फिर नदी से किनारे झोपड़ी में विराजित किया गया। इसके बाद कुछ वर्ष पूर्व मंदिर में स्थापित किया गया।

कुंवारी देवी इसलिए मना किया

ग्रामीणों के अनुसार मान्यता ऐसी है कि यहां विराजमान राजोदाई देवी वह कुंवारी है। इसलिए यहां पर महिलाओं के प्रवेश को लेकर प्रतिबंध लगाया गया है। यह आस्था लंबे समय से चली आ रही है जिसका ग्रामीण पालन कर रहे हैं। इसमें किसी ने भी कोई बदलाव नहीं किया। ग्रामीणों का कहना है कि इस देवी मंदिर मेंं आज तक किसी भी युवती या महिला ने प्रवेश नहीं किया है।

स्त्रोत : पत्रिका

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