प्राचीन काल में हिन्दू राजाओं की राजसभाओं में राजगुरु होते थे। वे धर्मशास्त्र, न्यायशास्त्र, अर्थशास्त्र, युद्धशास्त्र आदि सभी शास्त्रों में प्रवीण होते थे। वे राजा को राज्य के संदर्भ में सभी विषयों पर उचित सुझाव देते थे। उसके कारण राज्य में कभी भी किसी के साथ अन्याय नहीं होता था !
इसके विपरीत आज के इस निधर्मी लोकतंत्र की न्यायप्रणालि में विद्यमान न्यायाधिशों की शिक्षा ब्रिटीशकालीन न्यायशिक्षा के अनुसार हुई है; इसलिए उन्हें प्राचीन काल के राजगुरुओं की भांति सभी क्षेत्र का ज्ञान नहीं होता ! इसके कारण ही सर्वोच्च न्यायालय ने केरल के सबरीमला देवस्थान में सभी आयुवर्ग की महिलाओं को अय्यप्पा स्वामी के दर्शन की अनुमति प्रदान की ! सर्वोच्च न्यायालय का यह निर्णय इस देवस्थान की सैकडों वर्षों से चली आ रही धार्मिक परंपराओं पर आघात करनेवाला और उसके कारण करोडों हिन्दुओं की धार्मिक भावनाएं आहत करनेवाला है !
इसका कारण यह है कि आज की ब्रिटीशकालीन न्यायप्रणालि ही दोषयुक्त है ! उसमें परिवर्तन लाकर प्राचीन काल से चली आ रही हिन्दुओं की न्यायप्रणालि को स्थापित करना, यही देश के सर्वांगीण हित के लिए आवश्यक है ! इसके लिए हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के बिना अन्य कोई विकल्प नहीं है, इसे जानकर हिन्दू राष्ट्र स्थापना हेतु हम सभी संगठित होकर प्रयास करेंगे !
– पू. श्री. संदीप आळशी (१०.१.२०१९)
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात