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धर्म को हानि पहुंचानेवाली कृतीयों का विरोध करना ही हमारी समष्टि साधना है ! – डॉ. (श्रीमती) ममता देसाई, हिन्दू जनजागृति समिति

डॉ. (श्रीमती) ममता देसाई

ऐरोली (नई मुंबई) : ऐरोली, सेक्टर १ के श्री विठ्ठल-रखुमाई वारकरी भजन मंडल तथा एज्युकेशनल ट्रस्ट द्वारा आयोजित हरिनाम सप्ताह के उपलक्ष्य में ‘मकरसंक्रांति तथा जीवन में धर्माचरण का महत्त्व’ इस विषय पर हिन्दू जनजागृति समिति की डॉ. (श्रीमती) ममता देसाई ने व्याख्यान किया । उस समय उन्होंने यह प्रतिपादित किया कि, ‘‘वर्तमान में अभिभावक ही दूरचित्रवाणी के कार्यक्रम देखने में व्यस्त रहते हैं । प्रसारमाध्यम अनुचित कार्यक्रम प्रसारित करते हैं । किंतु ऐसे कार्यक्रम हम क्यों देखें ? अभिनेता तथा अभिनेत्री, युवक-युवतियों के आदर्श हो रहे हैं । उनका आदर्श सामने रखकर हिन्दु युवतियां किसी खान के साथ भाग जाती हैं तथा लव जिहाद का शिकार होती हैं । अभिभावक अपने बच्चों पर धर्माचरण के संस्कार नहीं करते, साथ ही वे स्वयं भी धर्माचरण नहीं करते । हिन्दुओं में धर्मशिक्षण का अभाव होने के कारण वे देवताओं के छायाचित्र तथा चिह्नवाले कपडे परिधान करते हैं । किंतु इससे देवताओं का अनादर होता है । इन सभी बातों का विरोध करना ही हमारी समष्टि साधना है ।’’

उन्होंने आगे यह भी बताया कि, ‘उल्हासनगर शहर में डेढ लक्ष हिन्दुओं ने धर्मपरिवर्तन किया है । इस बात का हमें गंभीरता से विचार करना चाहिए । आपत्ति के पश्चात् पुलिस तथा शासन हम तक पहुंचते हैं । आपत्ति में हमें केवल धर्म का अर्थात् ईश्वर का ही आधार है । यह बात ध्यान में रखते हुए प्रत्येक व्यक्ति को साधना करना अनिवार्य है ।’

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