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कुंभपर्व की तिसरी गंगा ‘सरस्वती नदी’ सनातन की ग्रंथप्रदर्शनी के रूप में बह रही है ! – श्री प्रभु नारायण करपात्री

ईशान्य भारत में हिन्दुआें के धर्मांतरण के विरुद्ध जनजागृति का कार्य करनेवाले काशी के संत श्री प्रभु नारायण करपात्रीजी द्वारा सनातन की ग्रंथप्रदर्शनी का अवलोकन

श्री प्रभु नारायण करपात्री

प्रयागराज (कुंभनगरी, उत्तर प्रदेश) : कुंभपर्व में आनेवाले ९८ प्रतिशत साधु केवल शिविर और अखाडों में स्वयं का पेट भरने और स्नान करने के लिए ही आते हैं । धर्म से उन्हें कोई लेना-देना नहीं है । कुंभपर्व में अनेक संप्रदायों के विविध अखाडें लगे हैं । इन अखाडों के संतों को संगठित होकर हिन्दुआें का धर्मांतरण रोकने के प्रयास करने चाहिएं । सनातन संस्था एवं हिन्दू जनजागृति समिति ग्रंथ एवं फलक प्रदर्शनी के माध्यम से धर्मज्ञान देकर अध्यात्म का वास्तविक प्रसार कर रहे हैं । सनातन की ग्रंथप्रदर्शनी, तो ज्ञान का भण्डार है । इस प्रकार का भव्य और ज्ञान प्रदान करनेवाली प्रदर्शनी इस संपूर्ण कुंभपर्व में नहीं है ।

काशी के संत श्री प्रभुनारायण करपात्री ने सनातन प्रभात के प्रतिनिधि से बात करते हुए आशीर्वचन व्यक्त किया कि, ”कुंभपर्व की तिसरी गंगा अर्थात सरस्वती नदी सनातन की ग्रंथप्रदर्शनी के माध्यम से बह रही है ।”

संत श्री. प्रभु नारायण करपात्री ने कहा,

१. ईशान्य भारत के मिजोरम, मेघालय, असम, त्रिपुरा और मणिपुर में लाखों हिन्दुआें ने धर्मांतरण कर ईसाई पंथ को अपनाया है । वहां हिन्दुआें को पैसों के लालच देकर धर्मांतरित किया गया है । मिजोरम में स्थित मिजोफंड नामक उग्रवादी संगठन हिन्दुआें का बलपूर्वक धर्मांतरण कर रहा है । वहां ईसाई मिशनरी और चर्च की संख्या अधिक है ।

२. ईशान्य भारत में हिन्दुआें की स्थिति अत्यंत दयनीय है । वहां के हिन्दू मजदूरों को केवल ५० रुपए मजदूरी देकर उनके काम लिया जा रहा है । हिन्दुआें को दुर्गा एवं गणेशपूजन का विस्मरण हो गया है ।

३. ईशान्य भारत में रा.स्व. संघ एवं विश्‍व हिन्दू परिषद के कार्यकर्ता हैं; किंतु उनपर दबाव होने से वे कुछ नहीं कर सकते ।

४. मणिपुर में ८० प्रतिशत लोग ईसाई बन चुके हैं, तो त्रिपुरा में ६० प्रतिशत मुसलमान हैं । रोहिंग्या मुसलमान बडी संख्या में त्रिपुरा आ रहे हैं ।

५. मैं वहां, हिन्दू के रूप में जीवन कैसे व्यतीत करना चाहिए ?, पूजा-अर्चना कैसी करनी चाहिए ?, इसके साथ ही वहां के लोगों को हिन्दू धर्म के अनुसार साधना सिखाता हूं ।

६. कुंभपर्व में अखाडों को करोडों रुपए का व्यय करने की अपेक्षा प्रत्येक अखाडे को एक-एक गांव गोद लेकर वहां के हिन्दुआें को धर्मशिक्षा देनी चाहिए और हिन्दुआें को धर्मज्ञान देकर धर्मांतरण से उनकी रक्षा करनी चाहिए ।

७. राममंदिर के निर्माण हेतु संपूर्ण देश से जो पैसा इकट्ठा किया गया था, वह कहां गया ? वह पैसा उद्योगपतियों को दिया गया है । राममंदिर के लिए आनेवाले पत्थर निःशुल्क मिले हैं ।

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