चिपळूण एवं रत्नागिरी (महाराष्ट्र) में हिन्दू विधिज्ञ परिषद की ओर से अधिवक्ताआें की बैठक

हिन्दू राष्ट्र स्थापना हेतु अधिवक्ताआें का संगठित होना समय की मांग ! – अधिवक्ता नीलेश सांगोलकर, हिन्दू विधिज्ञ परिषद

चिपळूण की बैठक में उपस्थित अधिवक्ता

चिपळूण : भ्रष्टाचार कर सरकार का कोष खाली हो जाने से अब हिन्दुआें के मंदिरों को अपने नियंत्रण में लेकर उनकी संपत्ति का उपयोग करने का षड्यंत्र चल रहा है । हिन्दुत्वनिष्ठों को झूठे आरोपों में फंसाकर उनका उत्पीडन किया जा रहा है । इसके साथ ही शिक्षा, स्वास्थ्य, पुलिस प्रशासन आदि विभागों की कार्यपद्धति को देखा जाए, तो उससे लोकतंत्र की असफलता दिखाई देती है । आजकल शिक्षाक्षेत्र में ‘पहले डोनेशन और उसके पश्‍चात एडमिशन’ की स्थिति है । चिकित्सा क्षेत्र में प्राकृतिक प्रसव की प्रतीक्षा किए बिना सिजेरियन किया जाता है, साथ ही देश के संविधा में भले ही बहुमत का महत्त्व हो; किंतु बहुसंख्य हिन्दुआें को कनिष्ठ स्थान है । अल्पसंख्यकों ने चाहे कितने भी दंगें किए, गोहत्याएं कीं, तब भी उससे पीडित हिन्दुआें के विरुद्ध ही कार्यवाही कर तथाकथित धर्मनिरपेक्षता का पालन किया जाता है । इसलिए अधिवक्ताआें को इन अपप्रवृत्तियों को नष्ट करने हेतु हिन्दुआें की आवश्यक सहायता करने के लिए आगे आना चाहिए । हिन्दू राष्ट्र स्थापना में अपना योगदान देने के लिए अधिवक्ताआें का संगठित होना, अब समय की मांग है । हिन्दू विधिज्ञ परिषद के अधिवक्ता नीलेश सांगोलकर ने ऐसा प्रतिपादित किया ।

चिपळूण में शनिवार, २६ जनवरी को चतुरंग प्रतिष्ठान के सभागार में दोपहर ३.३० से सायंकाल ६.३० बजेतक की गई अधिवक्ताआें की बैठक में वे ऐसा बोल रहे थे । इस बैठक में अधिवक्तागण मिलिंद तांबे, शाम नार्वेकर, विजय चिमणे, श्रीमती वासंती दाभोळे, श्रीमती पल्लवी भावे, स्नेहल पाटिल तथा प्रभुदेसाई उपस्थित थे ।

इस अवसरपर हिन्दू विधिज्ञ परिषद की अधिवक्तागण श्रीमती अपर्णा कुलकर्णी, श्रीमती मेघना नलावडे, श्रीमती श्रेया कदम, श्रीमती अस्मिता सोवनी तथा पंढरपुर के अभय कुलकर्णी उपस्थित थे । हिन्दू जनजागृति समिति के डॉ. हेमंत चाळके ने उपस्थित अधिवक्ताआें को समिति के कार्य से अवगत कराया । श्री. विनायक जगताप ने बैठक का सूत्रसंचालन किया । इस बैठक में हिन्दू विधिज्ञ परिषद के कार्य की जानकारी देनेवाली ध्वनिचित्रचक्रिका दिखाई गई और कार्यक्रम कें अंतिम सत्र में समूहचर्चा ली गई ।

१. अधिवक्ता मिलिंद तांबे, चिपळूण : वास्तव में तो भगवान श्रीकृष्ण ही पहले अधिवक्ता हैं । उन्हों ने हस्तिनापुर की कौरवसभा में पांडवों का न्यायिक पक्ष रखा । मुझे सूचना क्षेत्र में कार्य करने में रूचि है । अब ‘सिटीजनशिप एक्ट’ विधि के माध्यम से पाकिस्तानी हिन्दुआें को भारत में शरण मिलने हेतु यह एक महत्त्वपूर्ण विधि है और राज्यकर्ता इस विषय में जनता का बुद्धिभ्रम कर रहे हैं । इसके लिए हमें जनता का उद्बोधन करना पडेगा ।

२. अधिवक्ता विजय चिमणे : न्यायतंत्र में विद्यमान दुष्प्रवृत्तियों के विरुद्ध संगठित होकर संघर्ष करना चाहिए । आज प्रत्येक क्षेत्र में स्वयं को ‘हम दूसरों से कुछ बडे हैं’, ऐसी समझ रखनेवालेे लोगों के कारण दुष्प्रवृत्तियां बढ रही हैं । हमें संघर्ष में निरंतरता रखनी चाहिए । इसमें मेरा सहयोग रहेगा ।

३. अधिवक्ता (श्रीमती) स्नेहल पाटिल : संगठित होना समय की मांग है । आज यहां जो मार्गदर्शन हुआ, वह स्वीकार्य है । अब इसके आगे क्रियान्वयन के स्तरतक पहुंचकर कब एकत्रित होना है, यह सुनिश्‍चित करेंगे ।

४. अधिवक्ता श्याम नार्वेकर : हिन्दू विधिज्ञ परिषद के कार्य में सहभागी होना मन से अच्छा लगेगा ।

५. अधिवक्ता (श्रीमती) पल्लवी भावे : आज न्यायिक क्षेत्र की स्थिति गंभीर है । इसमें सुधार होना आवश्यक है और उसके लिए संगठित प्रयासों की आवश्यकता है ।

रत्नागिरी

रत्नागिरी की बैठक में उपस्थित अधिवक्तागण

रत्नागिरी के शिवाजीनगर में श्री. संजय मुळ्ये के निवासपर अधिवक्ताआें से बैठक की गई । इस बैठक में अधिवक्ता नीलेश सांगोलकर ने वर्तमान न्यायिक तंत्र के विषय में बताकर इस दिशा में अधिवक्ता किस प्रकार से धर्मकार्य कर सकते हैं, इस विषय में बताया । उसके पश्‍चात उपस्थित अधिवक्ताआं ने न्यायालयीन सहायता की आवश्यकता पडनेपर उसकी सिद्धता दर्शाई । इस अवसरपर अधिवक्तागण मोहन आठवले, श्रीमती कल्पलता भिडे, सुनील मेस्त्री, अमित काटे, सिंधुदुर्ग की श्रीमती कावेरी राणे, स्मिता देसाई, श्रीमती अपर्णा कुलकर्णी तथा पंढरपुर के अभय कुलकर्णी उपस्थित थे । इस बैठक में हिन्दू जनजागृति समिति के श्री. प्रसाद म्हैसकर ने उपस्थित अधिवक्ताआें को समिति के कार्य की जानकारी दी ।

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