प्रयागराज – विहिंप आयोजित धर्मसंसद ने रामजन्मभूमि पर प्रभु श्रीराम के भव्य मंदिर निर्माण का संकल्प न कर, चुनाव को देखते हुए संपूर्ण राममंदिर आंदोलन को स्थगित किया । यह दुर्भाग्यपूर्ण तथा हिन्दू समाज की आकांक्षाओं का अपमान करनेवाला निर्णय है । आज राममंदिर निर्माण के लिए समस्त भारतवर्ष की आशाएं पल्लवित हुई थीं । समस्त हिन्दू समाज धर्मसंसद में एकजुट हुए संतों से निर्णायक आंदोलन का उद्घोष सुनने को आतुर था; परंतु केवल किसी विशिष्ट राजनैतिक दल को पुनः सत्ता प्राप्त करने में बाधा उत्पन्न न हो, इसलिए इस आंदोलन को स्थगित किया गया । ऐसा कर, विहिंप ने स्वयं को एक प्रकार से राजनैतिक दल का समर्थक प्रमाणित किया है । विहिंप के लिए यह सुनहरा अवसर था कि वे किसी राजनैतिक दल का समर्थन न कर, राममंदिर निर्माण का अंतिम लक्ष्य हिन्दू समाज के समक्ष रखते; परंतु स्वयं की अराजनैतिक छवि स्थापित करने में विहिंप असफल रही । वस्तुतः तीन तलाक व जीएसटी के लिए अध्यादेश लानेवाली भाजपा सरकार राममंदिर निर्माण के लिए भी अध्यादेश लाए, ऐसी मांग विहिंप धमसंसद में करेगी ऐसा अपेक्षित था; परंतु इस धर्मसंसद ने समस्त हिन्दू समाज को निराश किया । जो सरकारें विगत ७१ वर्षों में राममंदिर नहीं बना सकी या विगत ५ वर्षों में उस विषय पर कोई अधिकृत वक्तव्य नहीं दे सकी, वे पुनः सत्ता प्राप्त करने पर राममंदिर बनाएंगी, यह विचार हास्यास्पद है । अभी भी समय गंवाए बिना बजट सत्र में बजट प्रस्तुत करनेवाली सरकार से हमें यह मांग करनी चाहिए कि विश्व के १०० करोड से अधिक हिन्दुओं की भावनाओं का आदर करने हेतु सरकार राममंदिर निर्माण की तिथि (तारीख) घोषित करे । यदि यह घोषणा होती है, तो समस्त हिन्दू समाज इस रामकाज में सक्रिय होगा ।
राममंदिर के प्रस्ताव में रखा गया विहिंप का यह विश्वास कि सर्वोच्च न्यायालय यथाशीघ्र इस विषय में प्रक्रिया पूर्ण करेगा, योग्य है; परंतु यदि न्यायालय पर भरोसा था, तो न्यायालय की बात माने बिना वर्ष १९९२ में बाबरी ढहाने का आंदोलन क्यों किया गया ? इस बात का उत्तर भी पूरे विश्व का हिन्दू समाज विहिंप से जानना चाहता है । ‘हम मंदिर वहीं बनाएंगे; परंतु तारीख नहीं बताएंगे ।’ यह दिशाहीनता और कितने दिन चलेगी ? हम आस्थावान हिन्दू समाज के प्रतिनिधि के रूप में अपनी भावनाएं विश्व के सबसे बडे हिन्दू संगठन के समक्ष इस प्रसिद्धिपत्रक के द्वारा प्रस्तुत कर रहे हैं, यह ध्यान में लें ।
श्री. रमेश शिंदे, राष्ट्रीय प्रवक्ता, हिन्दू जनजागृति समिति