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भविष्य में सनातन का कार्य प्रखर सूर्य की भांति प्रकाशमान होगा ! – महामंडलेश्‍वर १००८ श्री स्वामी स्वरूपानंद गिरी महाराज

कुंभपर्व प्रयागराज २०१९

श्री स्वामी शांति स्वरूपानंद गिरी महाराज (दाहिनी ओर) को ग्रंथप्रदर्शनी की जानकारी देते हुए श्री. सुनील घनवट

प्रयागराज (कुंभनगरी, उत्तर प्रदेश) : सनातन संस्था की ओर से समाज में जागृति लाने का कार्य चालू है और भविष्य मे यह कार्य प्रखर सूर्य की भांति प्रकाशमान होगा । मध्य प्रदेश के उज्जैन के पंचायती अखाडा श्री निरंजनी पीठाधीश्‍वर तथा श्री चारधाम मंदिर के महामंडलेश्‍वर १००८ श्री स्वामी शांती स्वरूपानंद गिरी महाराज ने ऐसा प्रतिपादित किया । उन्होंने ३० जनवरी को सनातन के प्रयागराज में लगाई गई धर्मशिक्षा प्रदर्शनी का अवलोकन किया । उस समय वे ऐसा बोल रहे थे । हिन्दू जनजागृति समिति के महाराष्ट्र एवं छत्तीसगढ राज्यों के संगठक श्री. सुनील घनवट ने उन्हें ग्रंथप्रदर्शनी की जानकारी दी । इस अवसर पर हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगळेजी ने महामंडलेश्‍वर १००८ श्री स्वामी शांती स्वरूपानंद गिरी महाराज को हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा प्रकाशित ‘श्री गंगाजी की महिमा’ ग्रंथ भेंट कर उन्हें सम्मानित किया ।

इस अवसर पर श्री स्वामी शांती स्वरूपानंद गिरी महाराज ने कहा कि ऐसी प्रदर्शनियों के माध्यम से युवकों में जागृति लाने की आवश्यकता है । आज की युवा पीढी पाश्‍चात्त्य संस्कृति के प्रभाव में जा रही है । पाश्‍चात्त्य संस्कृति में किसी प्रकार का सुख अथवा शांति नहीं है । वहां केवल भोग ही हैं । लोगों को सनातन संस्था के माध्यम से प्राचीन भारतीय संस्कृति को समझकर लेना चाहिए । पूजा-अर्चना, ध्यान, योग आदि भारतीय संस्कृति के आचरण से समाज को शांति मिलेगी । इस विषय में सनातन संस्था जनजागृति का कार्य कर रही है । आज इस जागृति का सूर्योदय हुआ है । आगे जाकर यही जागृति प्रखर सूर्य की भांति प्रचंड प्रकाशमान होकर समाज का मार्गदर्शन करेगी, यह हमारी शुभकामना है ।

श्री स्वामी शांती स्वरूपानंद गिरी महाराज द्वारा सद्गुुरु (डॉ.) पिंगळेजी के प्रति व्यक्त किए हुए गौरवोद्गार !

श्री स्वामी शांती स्वरूपानंद गिरी महाराज ने सद्गुुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगळेजी के प्रति गौरवोद्गार व्यक्त करते हुए कहा कि सद् से मिलने पर हमें उनमें विद्यमान विनम्रता एवं सादगी का अनुभव होता है । समाज के प्रति उनके मन में विद्यमान राष्ट्रभक्ति तथा भारत की प्राचीन सनातन संस्कृति को जागृति करने के उनके प्रयास (साधुवाद) प्रशंसनीय हैं ।

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