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तेलंगना और आंध्र प्रदेश राज्यों में हिन्दू मंदिरों को सरकारीकरण से मुक्त करने हेतु हिन्दू संगठनों का ‘मंदिर स्वराज्य संघर्ष !’

संविधान और सरकार धर्मनिरपेक्ष, तो केवल हिन्दू मंदिरों का ही सरकारीकरण क्यों ?- हिन्दू संगठनों ने उठाया प्रश्‍न

बार्इं आेर से श्री. ललितकुमार, अम्मा कोंडेवेट्टी ज्योतिर्मयी, श्री. चेतन गाडी, श्री. राकेश तथा श्री. रवींद्र रेड्डी

भाग्यनगर (तेलंगना) : स्वतंत्रता के २९ वर्ष पश्‍चात भारत को धर्मनिरपेक्ष (सेक्युलर) राष्ट्र घोषित किया गया । इस धर्मनिरपेक्ष भारत के भ्रष्ट राजनेता और प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा की गई लूट के कारण आज भारत कर्ज में डूबा हुआ है । ऐसी स्थिति में इन आधुनिक गजनीयों की कुदृष्टि हिन्दू मंदिरों के धन पर पड गई और उन्होंने मंदिरों का धन और भूमियों को अपने नियंत्रण में करने हेतु मंदिरों का सरकारीकरण आरंभ किया । पहले राजा-महाराजा मंदिरों का निर्माण कर उसके लिए धन का भी दान देते थे; किंतु आज की निधर्मी सरकार मंदिरों को एक रुपया भी नहीं देती, उल्टे मंदिरों के धन की लूट करती है । देश के सबसे धनवान मंदिर, उदा. श्री तिरुपति बालाजी देवस्थान, शिरडी का साईबाबा मंदिर, कोल्लुर का मुकांबिका देवालय, पुरी का जगन्नाथ मंदिर इत्यादि मंदिर आज सरकार के नियंत्रण में हैं; परंतु यही निधर्मी सरकार सभी से समान न्याय लागू कर एक भी मस्जिद अथवा चर्च को अपने नियंत्रण में नहीं लेती । अब सरकार द्वारा नियंत्रित मंदिरों में भ्रष्टाचार आरंभ हुआ है । श्री तिरुपति देवस्थान में श्री बालाजी के आभूषणों में ४५ सहस्र कोटि रुपए का भ्रष्टाचार हुआ है । उसके जांच का ब्यौरा जनता को न देना, प्रसाद के लड्डू बनाने के ठेके में भ्रष्टाचार करना, हिन्दू देवस्थानों में ईसाई कर्मचारियों की नियुक्ति करना, प्राचीन परंपराआें में हस्तक्षेप कर धर्मशास्त्रीय विधि बंद करना, पारंपरिक पुजारियों को हटाकर वेतन देकर पुजारी नियुक्त करना, देवस्थान की संपत्ति का उपयोग वेदपाठशालाआें के लिए अथवा हिन्दू धर्म की शिक्षा लिए न कर उसे सरकारी योजनाआें के लिए करना आदि अनेक अयोग्य बातें हो रही हैं । स्वयं को निधर्मी कहलानेवाली सरकारें भक्तों द्वारा देवताआें को समर्पित धन अन्य धर्मियों में बांट रही हैं । देश का संविधान धर्मनिरपेक्ष है, सरकार भी धर्मनिरपेक्ष है; तो केवल हिन्दू मंदिरों का ही सरकारीकरण क्यों ? अम्मा कोंडवेट्टी ज्योतिर्मयी ने स्पष्टतापूर्वक यह प्रश्‍न उठाया । यहां आयोजित पत्रकार परिषद में वे ऐसा बोल रही थीं ।

इस दृष्टि से संपूर्ण देश में सरकार के चंगुल से मंदिरों को मुक्त करने हेतु हिन्दू संगठन, साथ ही धार्मिक क्षेत्रों के मान्यवरों ने एकत्रित होकर ‘मंदिर स्वराज्य संघर्ष’ चलाने की योजना बनाई है । संपूर्ण देश में सरकारीकरण किए गए सभी मंदिरों को सरकार के नियंत्रण से मुक्त कर उन्हें शंकराचार्य अथवा धर्माचार्यों के मार्गदर्शन में हिन्दुआें का व्यवस्थापन मंडल बनाकर उनके नियंत्रण में सौंपने के लिए संघर्ष करने की योजना बनाई गई है । इस अवसरपर हिन्दू जनजागृति समिति के तेलंगना एवं आंध्र प्रदेश समन्वयक श्री. चेतन गाडी, हिन्दू जनशक्ति संगठन के राज्य प्रमुख ललितकुमार तथा अखंड भारत सेना के प्रमुख श्री. राकेश तथा हिन्दू देवालय परिरक्षा समिति के राज्यप्रमुख श्री. रवींद्र रेड्डी भी उपस्थित थे ।

गहिन्दू मंदिरों की मुक्तता के प्रयास चालू ! – चेतन गाडी, हिन्दू जनजागृति समिति

इस अवसरपर श्री. चेतन गाडी ने कहा कि डॉ. सुब्रह्मण्यम् स्वामी द्वारा प्रविष्ट ‘श्री नटराज मंदिर विरुद्ध स्टेट ऑफ तमिलनाडू’ की याचिकापर निर्णय देते हुए न्यायालय ने तमिलनाडू सरकार का इस मंदिर को अपने नियंत्रण में लेने का निर्णय रद्द किया और कहा कि सरकार केवल कुव्यवस्थापन के आधारपर मंदिरों को नियंत्रण में लेकर उनका परिचालन नहीं कर सकती । ऐसा होते हुए भी राज्य का कार्यभार ठीक से चलाने में असफल राज्यकर्ता मंदिरों के परिचालन का दावा कैसे कर सकते हैं ? एक ओर देश का संविधान सभी को समान अधिकार का समर्थन करती है, तो दूसरी ओर सरकारीकरण किए गए मंदिरों में सर्वसामान्य भक्त दर्शन करने के लिए कई घंटोंतक पंक्तियों में खडे रहते हैं और इन मंदिरों का सरकारी व्यवस्थापन वी.आई.पी. दर्शन के नामपर ३०० रुपए का टिकट लेनेवालों को कैसे तुरंत दर्शन करवाती है । केवल आंध्र प्रदेश में ही मंदिरों की ७० सहस्र एकड भूमिपर सरकार ने नियंत्रण स्थापित किया है । तेलंगना के श्रीशैलम् देवस्थान की १ सहस्र ६०० एकड भूमि ईसाई मिशनरियों को दिए जाने का आरोप लग रहा है । इसलिए अब तेलंगना और आंध्र प्रदेश राज्यों को हिन्दू संगठनों ने एकत्रित होकर सरकार के नियंत्रण से हिन्दू मंदिरों को मुक्त करने का प्रयास आरंभ किया है ।

अब सभी हिन्दुआें को भी जागृत होकर मंदिरों की स्वतंत्रता हेतु इस आंदोलन में सहभागी होना आवश्यक है । इस दृष्टि से रविवार, ३ फरवरी को भाग्यनगर के इंदिरा पार्क के धरणा चौकपर आंदोलन चलाया जाएगा । उसमें अधिकाधिक हिन्दुआें को सहभागी होने का आवाहन किया गया है ।

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