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‘गंगा नदी में दूषित पानी न मिले; इसके लिए सरकार को उपाय करने आवश्यक ! ’

बाईं ओर से सनातन संस्था के श्री. विश्‍वनाथ कुलकर्णी, गंगा आवाहन आंदोलन के प्रणेता श्री. हेमंत ध्यानी, गंगारक्षा का कार्य करनेवाले श्री. पुण्यानंदजी तथा सनातन संस्था के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. चेतन राजहंस

प्रयागराज (कुंभनगरी, उत्तर प्रदेश) : गंगा नदी में दूषित पानी न मिले; इसके लिए प्रयास करना ही वास्तविक रूप से गंगारक्षा है । दुर्भाग्यवश ‘नमामि गंगे’ परियोजना के अंतर्गत सरकार से इस दिशा में अपेक्षित प्रयास नहीं हुए हैं । ‘गंगा आवाहन आंदोलन’ के प्रणेता श्री. हेमंत ध्यानी ने कुंभनगरी में इसपर खेद व्यक्त किया ।

धर्मप्रसार के अंतर्गत ‘फेसबुक लाईव’ के माध्यम से ‘गंगारक्षा’ विषयपर वे ऐसा बोल रहे थे । इस अवसरपर गंगारक्षा का कार्य करनेवाले श्री. पुण्यानंदजी, साथ ही सनातन संस्था के प्रवक्ता श्री. चेतन राजहंस उपस्थित थे । श्री. हेमंत ध्यानी ने आगे कहा, ‘‘गंगाजल इतना पवित्र है कि वह कभी भी प्रदूषित नहीं होता । गंगा नदीपर बांधनिर्माण से हिमालय से उद्गमित गंगा की पवित्रता अल्प हो गई है । अब तो गंगा के शेष पानी में नगरों का प्रदूषित धोवनजल छोडकर उसे अधिक दूषित किया जा रहा है । पहले गंगा नदी को प्रदूषित कर उसके पश्‍चात उसे स्वच्छ करने की अपेक्षा इस नदी में प्रदूषित पानी जाएगा ही नहीं; इसके लिए सरकार को उपाय करने चाहिएं । इस संदर्भ में शीघ्र ही कुछ नहीं किया गया, तो इस नदी को प्रदूषित नदियों में गिना जाएगा ।’’

श्री. पुण्यानंदजी गंगा रक्षण हेतु अक्टूबर २०१८ से धरना प्रदर्शन कर रहे हैं । उन्होंने गंगारक्षा के लिए अनेक सूचनाएं की हैं । उन्होंने कहा कि जबतक उनकी सूचनाआें को माना नहीं जाएगा, तबतक उनका यह आंदोलन चलता ही रहेगा ।

इस अवसरपर श्री. चेतन राजहंस ने कहा कि जनता में गंगारक्षा के प्रति जागृति हो; इस उद्देश्य से सनातन संस्था की ओर से कुंभपर्व में ‘गंगारक्षा’ विषयपर प्रदर्शनी लगाई गई है । उसी प्रकार से सभी समविचारी संगठनों को एकत्रित कर कुंभपर्व में गंगारक्षा के लिए प्रस्ताव पारित करेंगे । सनातन संस्था द्वारा ‘देवनदी गंगा की रक्षा करें’ विषयपर ग्रंथ भी प्रकाशित किया है ।

इस ‘गंगा रक्षा फेसबुक लाईव’ को ७ सहस्र १०० लोगों ने देखा, ११२ लोगों ने उसपर अपनी प्रतिक्रियाएं दीं और २० लोगों ने उसे शेयर किया ।

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