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‘सनातन धर्म में विद्यमान सभी पंथों ने भेदभाव छोडकर कार्य किया, तो निश्‍चितरूप से सफलता मिलेगी ! ’

बाईं ओर से महामंडलेश्‍वर स्वामी गिरिधरगिरी महाराज एवं महामंडलेश्‍वर श्री स्वामी श्याम चैतन्यपुरी महाराज को ग्रंथप्रदर्शनी की जानकारी देते हुए १. श्री. सुनील घनवट

प्रयागराज (कुंभनगरी, उत्तर प्रदेश) : मैं गुरुदेव एवं छत्रपति शिवाजी महाराज का एक छोटासा सेवक हूं । इस प्रदर्शनी के अवलोकन के पश्‍चात ऐसा लगता है कि इस कार्य को केवल प्रदर्शनीतक ही सीमित न रखें । धर्म एक ही हैं; परंतु सनातन धर्म में जितने भी पंथ (संप्रदाय) हैं, वहां हम भेदभाव छोडकर प्रवेश करेंगे और हम इन बातों को उनतक पहुंचाएंगे, तब इस कार्य को पूर्ण होने में अधिक समय नहीं लगेगा । उसमें निश्‍चितरूप से सफलता मिलती है । कार्य करनेवाले हम सभी समान अधिकारवाले हैं, यहां कोई छोटा-बडा नहीं है । हरिद्वार के श्रीकृष्ण निवास तथा पूर्णानंद आश्रम के महामंडलेश्‍वर श्री स्वामी गिरिधरगिरी महाराज (छोटे महाराज) ने ३१ जनवरी को ऐसा प्रतिपादित किया ।

महामंडलेश्‍वर श्री स्वामी गिरिधरगिरी महाराज, महामंडलेश्‍वर श्री स्वामी श्याम चैतन्यपुरी महाराज (इंदौर, मध्य प्रदेश) एवं महंत स्वामी अद्वैतानंद सरस्वती महाराज ने सनातन संस्था एवं हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से लगाई गईं ग्रंथप्रदर्शनी एवं फलक प्रदर्शनी का अवलोकन किया, तब वे ऐसा बोल रहे थे । हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगळेजी ने इन तीनों महानुभावों को माल्यार्पण कर सम्मानित किया, साथ ही उन्हें हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा प्रकाशित ‘देवनंदी गंगा की रक्षा करें’ ग्रंथ भेंट किया ।

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