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कुंभनगरी में शास्त्र धर्म प्रचार सभा की ओर से ‘वर्णाश्रम’ विषय पर आयोजित विचारगोष्ठी में सद्गुुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगळेजी का मार्गदर्शन

कुंभपर्व प्रयागराज २०१९

बाईं ओर से डॉ. शिवनारायण सेन, प.पू. श्रीनिवास प्रपन्नाचार्य तथा मार्गदर्शन करते हुए सद्गुुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगळेजी

प्रयागराज (कुंभनगरी, उत्तर प्रदेश) : बंगाल का हिन्दुत्वनिष्ठ संगठन शास्त्र धर्म प्रचार सभा की ओर से २ फरवरी को कुंभनगरी में ‘वर्णाश्रम’ विषयपर विचारगोष्ठी का आयोजन किया गया था । सभा के सदस्य श्रोवन सेन ने विचारगोष्ठी की प्रस्तावना की । उसके पश्‍चात हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगळेजी ने अपने मार्गदर्शन में कहा कि चारों वर्ण विराट पुरुष के शरीर के ४ भाग हैं । सनातन धर्म में मनुष्य को ईश्‍वरप्राप्ति हेतु विविध वर्ण एवं आश्रमों की व्यवस्था की गई है । मनुष्य ईश्‍वर के साथ एकरूप हो, यही इस व्यवस्था का उद्देश्य है । अध्यात्म में उन्नति के पश्‍चात मनुष्य वर्णातीत बन जाता है । सत्ययुग में केवल हंसवर्ण ही था अर्थात तब सभी लोग ‘मैं ही ईश्‍वर हूं’, इस सोहम्भाव में थे । मनुष्य के अधःपात के पश्‍चात वर्णव्यवस्था का उदय हुआ । अध्यात्म का अंगीकार करनेवालों को साधना कर पुनः वर्णातीत बनने का लक्ष्य पूर्ण करना चाहिए । इस अवसरपर शास्त्र धर्म प्रचार सभा के महासचिव डॉ. शिवनारायण सेन तथा प.पू. श्रीनिवास प्रपन्नाचार्य का भी मार्गदर्शन हुआ ।

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