शिरडी के साई संस्थान द्वारा नासिक कुंभपर्व हेतु खरीदे गए वस्तुआें के घोटाले का प्रकरण
मंदिर सरकारीकरण के दुष्परिणाम ! देवस्थानों में हो रहे भ्रष्टाचार के विरुद्ध हिन्दू जनजागृति समिति को याचिका प्रविष्ट करने की स्थिति आना, राज्य की भाजपा सरकार के लिए लज्जाप्रद !
संभाजीनगर (महाराष्ट्र) : शिरडी के साई संस्थान न्यास द्वारा वर्ष २०१५ में नासिक एवं त्र्यंबकेश्वर के कुंभपर्व के लिए महंगी वस्तुआें की खरीद की गई थी; किंतु उसके लिए शासन से अनुमति नहीं ली गई थी । उनमें से कुछ वस्तुआें को कुंभपर्व की समाप्ति के पश्चात संबंधित स्थानोंपर पहुंचाया गया था । कुछ वस्तुएं दुगने मूल्यों में खरीदी गई हैं । इस घोटाले के विषय में हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा अधिवक्ता सुरेश कुलकर्णी तथा अधिवक्ता उमेश भडगावकर के माध्यम से मुंबई उच्च न्यायालय की संभाजीनगर खंडपीठ में याचिका प्रविष्ट की गई है । न्यायालय ने इस याचिकापर २५ फरवरी को सुनवाई करना सुनिश्चित किया है ।
इस शिरडी घोटाले की संक्षेप में जानकारी !
साई संस्थान को ५० सहस्र रुपए से अधिक खरीदारी करनी हो, तो उसके लिए राज्य शासन से अनुमति लेनी पडती है; किंतु कुंभपर्व के नामपर की गई सभी खरीद राज्यशासन से अनुमति लिए बिना की गई । यह कुल खरीद १ कोटि ४५ लाख ६० सहस्र ५४७ रुपए की थी । इन सभी वस्तुआें को खरीद के पश्चात शिरडी पुलिस थाने के नियंत्रण में सौंपा गया । ये वस्तुएं आज भी उनके पास ही हैं । उनमें से तिरपाल, रस्सी जैसी वस्तुआें का कोई ठिकाना नहीं है । साई संस्थान द्वारा पुलिस प्रशासन से ऐसी विविध वस्तुआें का किस स्थानपर और किसके लिए उपयोग किया गया, इसका ब्यौरा नहीं लिया गया है । इनमें से कुछ वस्तुएं कुंभपर्व के पश्चात संबंधित स्थानोंपर पहुंचाई गई थी । इसके पश्चात संस्थान ने इस विषय में कुछ न पूछते हुए उनके पैसों का भुगतान किया है । इसलिए यह लेनदेन संदेह के घेरे में आ गया है । तिरपाल, रेनकोट आदि सामग्री वर्षाकाल के पश्चात मिला है । इसके साथ ही बैरिकेट्ससहित अनेक वस्तुआें का व्यय किस अधिकार के अंतर्गत किया गया है ?, ऐसे अनेक प्रश्न अनुत्तरित हैं ।
संदर्भ : दैनिक सनातन प्रभात