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केरल के कोच्चि विश्वविद्यालय की सेक्युलर सोच – कैंपस में सरस्वती पूजा को नहीं दी अनुमती

नई देहली – इस देश में बार बार हिंदुओं की सहिष्णुता का नाजायज फायदा उठाना एक पेशा बन चुका है। सडक और मंदिर से अब यह मामला शिक्षण संस्थानों में भी पहुंच चुका है। पिछले दिनों चेन्नई के लोयोला कॉलेज में हिंदू देवी-देवताओं के आपत्तिजनक चित्र बनाकर प्रदर्शनी लगाई गई थी। ताजा मामला केरल का है।

कुट्टनाड के कोच्चि विश्वविद्यालय काॅलेज ऑफ इंजीनियरिंग कैंपस में उत्तर भारत के एक छात्र की सरस्वती पूजा की मांग खारिज कर दी गई है। कोच्चि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के संयुक्त रजिस्ट्रार ने लिखे एक पत्र में यह कहते हुए मांग खारिज की है कि, यह एक धर्मनिरेपेक्ष कैंपस है, यहां किसी खास धर्म के कार्यक्रम की अनुमती नहीं दी जा सकती। बता दें कि, यहां क्रिसमस तथा अन्य त्यौहारों का आयोजन होता आया है । साथ ही पिछले वर्ष इसी विश्वविद्यालय में हिन्दू छात्रों को बीफ कटलेट परोसा गया था ।

इससे पहले लखनऊ के बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय में भी पिछले साल अक्टूबर में सरस्वती प्रतिमा स्थापित करने को लेकर हंगामा शुरू हो गया था, जिसके बाद आयोजन को रद्द करना पड़ा था। वहीं अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय में भी छात्रों ने सरस्वती की प्रतिमा स्थापित करने और नियमित पूजा करने की मांग की थी, जिसको लेकर काफी विरोध हुआ था। छात्रों ने इसके लिए कुलपति को पत्र लिखा था। छात्रों के समर्थन में कई संत भी उतर आए । प्रशासन को मामले में हस्तक्षेप करना पडा था।

गौरतलब है कि बसंत पंचमी पर सरस्वती पूजा का आयोजन होता है। इस बार इसका आयोजन ९ फरवरी को है। हिन्दुओं के माता सरस्वती विद्या की देवता है । उनकी पूजा-अर्चना कर ज्ञान की कामना करते हैं। यह आयोजन लगभग पूरे देश में किया जाता है।

स्त्रोत : वन इण्डिया

 

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