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‘संतों को सनातन की प्रदर्शनी में रखे गए विषयों का चिंतन कर सनातन धर्म को सबसे शीर्ष स्थान तक पहुंचाने का कार्य करना चाहिए !’

स्वामी वैराग्यानंदगिरीजी महाराज को माल्यार्पण कर तथा ग्रंथ भेंट कर सम्मानित करते हुए और दाहिनी ओर श्री ललितानंदगिरीजी महाराज

प्रयागराज (कुंभनगरी, उत्तर प्रदेश) : भारतीय संस्कृति एवं परंपरा की रक्षा हेतु कुंभपर्व चिंतन के लिए महत्त्वपूर्ण स्थान है । सनातन की प्रदर्शनी में आने के पश्‍चात मुझे ऐसा लगा कि हमारी भारतीय संस्कृति बचनी चाहिए । देश-विदेश में हिन्दुत्व की ध्वजा फहराई जानी चाहिए । वर्तमान स्थिति में हिन्दू, गोमाता, यज्ञ, होम एवं राष्ट्रमाता के लिए वास्तववादी कार्य करनेवाली सनातन संस्था के संदर्भ में मैं पंचायती निरंजनी अखाडे के महामंडलेश्‍वर के रूप से यह बताना चाहता हूं कि समस्त भारतवर्ष में विद्यमान त्यागी, तपस्वी, श्री महंत, आचार्य एवं महामंडलेश्‍वरों को इस प्रदर्शनी में रखे गए विषयों पर अधिकाधिक चिंतन कर सनातन धर्म को सबसे शीर्ष स्थानतक पहुंचाने का कार्य करना चाहिए । कर्णावती (अहमदाबाद) के श्री पंचायती निरंजनी अखाडे के श्री श्री १००८ महामंडलेश्‍वर स्वामी वैराग्यानंदगिरीजी महाराज ने यह आशीर्वचन व्यक्त किया ।

स्वामी वैराग्यानंदगिरीजी महाराज तथा हरिद्वार के भारतमाता मंदिर के श्री ललितानंदगिरीजी महाराज ने सनातन संस्था एवं हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से यहां आयोजित ग्रंथ एवं धर्मशिक्षा फलक प्रदर्शनी का अवलोकन किया । तब वे ऐसा बोल रहे थे । इस अवसरपर हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु (डॉ) चारुदत्त पिंगळेजी ने इन दोनों संतों को माल्यार्पण कर तथा हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा प्रकाशित ‘देवनदी गंगा की रक्षा करें !’ ग्रंथ भेंट कर सम्मानित किया ।

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