कुंभमेला प्रयागराज २०१९ : फेसबुक से कार्यक्रम का सीधा प्रसारण
प्रयागराज (कुंभनगरी) : कुंभ में आकर विकारों का त्याग करने पर ही हम समाज का कल्याण कर सकते हैं । वेश-भूषा से कोई साधु नहीं होता । चरस और गांजा पीने से कोई साधना नहीं होती । मन व्यसनमुक्त तथा निर्मल होने पर ही साधना होती है । व्यसन से भगवान की प्राप्ति नहीं होगी । किसी से कोई अपेक्षा न रखकर साधना, सेवा करनेवाले खरे साधु होते हैं । यहां व्यवसाय के रूप में कुछ पैसे कमा कर, पश्चात उसका उपयोग व्यसनपूर्ति के लिए करनेवालों को कोई साधु नहीं कहता । हम गृहस्थाश्रम में रहकर भी साधना कर सकते हैं, यह मार्गदर्शन वृंदावन के श्री श्री १००८ महामंडलेश्वर रामभूषणदास महाराज ने यहां किया । हिन्दू जनजागृति समिति उत्तरप्रदेश की ओर से कुंभनगरी में सनातन संस्था की ग्रंथप्रदर्शनी के स्थान पर आयोजित ‘फेसबुक लाइव’ कार्यक्रम में वे बोल रहे थे । इस कार्यक्रम का विषय था, ‘पाखंडी और ढोंगी साधु-संतों को कैसे पहचानें ।’ कार्यक्रम का संचालन हिन्दू जनजागृति समिति के उत्तरप्रदेश और बिहार राज्यों के संयोजक श्री. विश्वनाथ कुलकर्णी ने किया ।
पाखंड का खंडन करना अर्थात, धर्म की रक्षा करना ! – सद्गुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगळे
हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगळे ने कहा, खरा साधु मान-अपमान की सीमा में नहीं रहते । आजकल कुछ साधु महिलाआें से अश्लील व्यवहार करते हैं, कुछ साधु राजनीतिक नेताआें की चाटुकारिता करने में लगे हैं; तो कुछ सर्वधर्मसमभाव पर प्रवचन करते हैं । परंतु, इन्हें अन्य संप्रदाय अपने नहीं लगते । भक्तों को धर्मशिक्षा देने पर ही खरे-खोटे साधु पहचाने जा सकेंगे । पाखंड का खंडन करना, अर्थात धर्म की रक्षा करना है ।’’
खरा साधु पहचानने के लिए हम प्रबोधन के माध्यम से कार्य करते हैं ! – अभय वर्तक
सनातन संस्था के धर्मप्रचारक श्री. अभय वर्तक ने कहा कि खरे साधुआें को पहचानने के लिए हम प्रबोधन के माध्यम से कार्य कर रहे हैं । कुंभमेला में संतों को पाखंडी साधुआें के विरुद्ध जनजागृति करनी चाहिए । इसके अतिरिक्त, अनाचारी साधुआें के विरुद्ध अखाडा परिषद में परिवाद करनी चाहिए । अखाडा परिषद ने भी ऐसा करने के लिए सबका आवाहन किया है । यहां कुंभ में पाखंडी साधुआें ने अनेक श्रद्धालुआें को फंसाकर लूटा है । भक्तों में जागृति हो, इसके लिए हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से ‘पाखंडी साधु, संत तथा महाराज’ नामक ग्रंथ छपवाकर, कुंभमेला में बांटे गए हैं ।’’
१४ सहस्त्र लोगों ने ‘फेसबुक’पर यह कार्यक्रम देखा !
इस कार्यक्रम का सीधा प्रसारण ‘फेसबुक’ से किया गया, जिसे १४ सहस्त्र लोगों ने देखा तथा २५० से अधिक लोगों ने दूसरों को उसकी लिंक भेजी !