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हिन्दू ग्रंथों से मिलती है मानसिक शांति – ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता मिसी फ्रेंकलिन

हिन्दू धर्म की महानता भले ही भारतीय या हिन्दू न समझे परंतु एेसे कर्इ विदेशी लोग है, जिन्होने हिन्दू धर्म की महानता को न केवल समझा अपितु अनुभव भी किया है। लंदन ओलंपिक में पांच स्वर्ण पदक जीतने वालीं करिश्माई तैराक मिसी फ्रेंकलिन को हिन्दू ग्रंथों को पढने से मानसिक शांति मिलती है। अमेरिका की २३ वर्षीय तैराक ने पिछले वर्ष दिसंबर में संन्यास की घोषणा कर सबको चौंका दिया था। कंधे के दर्द से परेशान इस तैराक ने संन्यास के बाद मनोरंजन के लिए योग करना शुरू किया।

हिन्दू धर्म के बारे में जानने के बाद उनका झुकाव आध्यात्म की आेर हुआ। वह जार्जिया विश्वविद्यालय में धर्म में पढाई कर रही हैं। फ्रेंकलिन ने लॉरेस विश्व खेल पुरस्कार से इतर कहा कि मैं पिछले एक साल से धर्म की पढाई कर रही हूं। यह काफी आकर्षक और आंखें खोलने वाला है। मुझे विभिन्न संस्कृतियों, लोगों और उनकी धार्मिक मान्यताओं के बारे में पढना पसंद है। मेरा अपना धर्म ईसाई है लेकिन मेरी दिलचस्पी हिन्दू और इस्लाम धर्म में ज्यादा है।

ये दोनों ऐसे धर्म हैं जिनके बारे में मुझे ज्यादा नहीं पता था लेकिन उनके बारे में पढ़ने के बाद लगा की ये शानदार हैं। तैराकी में सफल फ्रेंकलिन पढाई में भी काफी अच्छी हैं। वह हिन्दू धर्म के बारे में काफी कुछ जानती हैं। वह रामायण और महाभारत की ओर आकर्षित हैं और अपरिचित नामों के बाद भी दोनों महाग्रंथों को पढ रही हैं।

उन्होंने कहा कि मुझे उसके मिथक और कहानियां अविश्वसनीय लगती हैं। उनके भगवान के बारे में जानना भी शानदार है। महाभारत और रामायण पढ़ने का अनुभव कमाल का है। महाभारत में परिवारों के नाम से मैं भ्रमित हो जाती हूं लेकिन रामायण में राम और सीता के बारे में पढ़ना मुझे याद है।

स्त्रोत : अमर उजाला

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