वर्धा (महाराष्ट्र) : आज हमारे बच्चों को विद्यालय-महाविद्यालयों में धर्म की शिक्षा नहीं दी जाती। अब माताएं भी अपने बच्चों को शिवाजी महाराज तथा जिजामाता का पाढ पढाना भूल गई हैं। धर्माचरण के अभाव के कारण हिन्दू युवक शारिरीक, मानसिक आैर आध्यात्मिक दृष्टि से दुर्बल आैर लक्ष्यहीन बन गए हैं। नए-नए जिहाद, धर्मांतरण, मंदिरों का सरकारीकरण आदि आघातों के कारण धर्म संकट में है इसलिए अब हिन्दुआें को स्वयं धर्माचरण कर राष्ट्र आैर धर्म की रक्षा हेतु बडा संगठन खडा करना चाहिए। जिस प्रकार से भगवान श्रीकृष्णजी द्वारा केवल उंगली के बलपर गोवर्धन पर्वत उठाए जानेपर गोप-गोपियों ने अपनी सेवा के रूप में गोवर्धन पर्वत को अपनी लाठियां लगाकर धर्मकार्य में अपना योगदान दिया, उसी प्रकार से आज धर्म संकट में होनेपर हमें भी धर्म के पक्ष में खडे होना चाहिए। हिन्दू जनजागृति समिति के श्री. श्रीकांत पिसोळकर ने एेसा प्रतिपादित किया। हिन्दू जनजागृति समिति की आेर से १४ फरवरी को सेलसरा (जनपद वर्धा) के श्री हनुमान मंदिर में आयोजित हिन्दूराष्ट्र-जागृति सभा में वे बोल रहे थे।
हिन्दू जनजागृति समिति की श्रीमती भक्ति चौधरी ने कहा, ‘‘नित्य जीवन में आनंदित रहने हेतु हमें दिनभर में किस प्रकार से आचरण करना चाहिए, यह हमारे धर्म में बताया गया है; किंतु हम इस धर्माचरण से दूर जा रहे हैं। धर्माचरण के अभाव में समाज आैर परिवार की सात्त्विकता गिर रही है। इसके फलस्वरूप आज जीवन में दुख, निराशा, असुरक्षितता आैर अस्थिरता बढती जा रही है। अतः अब प्रत्येक व्यक्ति को धर्माचरण आैर साधना कर स्वयं की सात्त्विकता बढानी चाहिए, तभी समाज में सात्त्विकता बढकर स्थिरता आ सकती है।’’
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात