कितने अफसोस की बात है कि, धर्मनिरपेक्ष भारत में कश्मीरी पंडितों को पहले अपनी मातृभूमि से धर्म के आधार पर पाकिस्तान समर्थित जिहादी और अलगाववादी शक्तियों ने बेदखल किया, उनके शैक्षणिक, धार्मिक और सांस्कृतिक संस्थानों को हथियाने का षडयंत्र बनाया। उनके धार्मिक स्थलों के नाम बदले। कश्मीर की इस हालात को हम सालों से नजर अंदाज करते आए है, परंतु अभी भी समय है देश के सभी हिन्दुअों ने संगठित होकर कश्मीरी पंडीतों के लिए तथा वहां के अपने प्राचीन धरोहर के लिए आवाज उठाना चाहिए। नहीं तों वो दिन ज्यादा दूर नहीं हम हमारी आने वाली पीढी को केवल किताबों में ही कश्मीर की हिन्दू संस्कृति का दर्शन कर पाएंगे। हिन्दुआें जाग जाओ उस कश्मीर के लिए जो भारत का स्वर्ग माना जाता है। उस कश्मीर के लिए जिससे हिन्दुआें का गौरवशाली इतिहास जुडा हुआ है।
इन दिनों पूरी दुनिया की नजर भारत के कश्मीर पर है। कुछ ही दिनों पहले जैश ए मोहम्मद नाम की आतंकी संस्था ने भारतीय CRPF की एक ट्रक को नष्ट कर दिया था। इसमें ४२ CRPF के सैनिक हुतात्मा हुए। वैसे कश्मीर हमेशा से देश में चर्चा का विषय रहा है। इस सुन्दर से प्रदेश में आतंकवाद और अलगाववाद की आग ने सहिष्णुता को तबाह कर दिया। जम्मू का माता वैष्णव देवी मंदिर और कश्मीर स्थित अमरनाथ धाम ही ऐसे मंदिर बचे हैं जहां अभी भी दर्शनार्थी जाते हैं। परंतु कश्मीर में ऐसे बहुत से मंदिर हैं जहां पहले बहुत रौनक रहती थी, परंतु आतंक ने उन्हें तबाह कर दिया।
खीर भवानी मंदिर
यह मंदिर कश्मीर की राजधानी श्रीनगर से २७ किलोमीटर दूर है। कश्मीर के तुल्ला मुल्ला गांव के यह मंदिर रंगन्या देवी का है जो कश्मीरी पंडितों के लिए बहुत आराध्य हैं। पहले यहां हर साल खीर भवानी महोत्सव भी होता था। परंतु जब से घाटी में आतंकवाद बढा, मंदिर बंद पडा है।
ज्वालामुखी देवी मंदिर
यह मंदिर पुलवामा से १७ किलोमीटर दूर है। दो साल पहले आतंकियों ने इस मंदिर को आग लगा दी थी, जिससे ये जलकर खाक हो गया। अब यहां केवल इसका खंडहर है।
यह भी पढें :
पाक के कब्जे में कश्मीरी पंडितों की कुलदेवी, कब खत्म होगा ७० साल का ‘वनवास’?
मार्तंड सूर्य मंदिर
यह सूर्य मंदिर लगभग १४०० साल पुराना है। यह भारत का सबसे पुराना सूर्य मंदिर है। इस मंदिर से पीरपंजाल के पूरे पर्वत दिखते हैं और पूरा शहर यहां से देखा जा सकता है। ऐसा माना जाता है कि जब सूरज ली पहली किरण इस मंदिर को छूती थी, तब यहां के राजा अपने पूजा-पाठ की शुरुआत करते थे। अब यह मंदिर केवल एक खंडहर के रूप में ही बचा है।
भवानी मंदिर
यह मंदिर कश्मीर के अनंतनाग के लकडीपोरा गांव में है। देवी के इस मंदिर की देखरेख अब मुसलमान करते हैं। १९९० में जब हिन्दु इस गांव से चले गए तो काफी समय तक यह मंदिर सूना पडा रहा। हालांकि हिन्दू जनसँख्या कम होने के कारण से यहां बहुत लोग नहीं आते।
त्रिपुरसुंदरी मंदिर
यह मंदिर दक्षिण कश्मीर में बसा हुआ था। परंतु देवसर इलाके के इस मंदिर को धर्मांधों ने तोड दिया था। अब यह मदिर भी केवल खंडहर की शक्ल में ही बचा हुआ है।
शंकराचार्य मंदिर
हिन्दू धर्म के पहले संस्थापक आदि शंकराचार्य ने देशभर में घूम-घूमकर मंदिर बनवाये थे। श्रीनगर का यह मंदिर ऐसे ही सबसे पुराने मंदिरों में से एक है। इसे शंकराचार्य मंदिर कहा जाता है। परंतु अब इसे तख्त-ए-सुलेमान कहा जाने लगा है। यह मंदिर भगवान शिव का मंदिर है। अभी भी लोग यहां आते हैं, परंतु उनकी संख्या बहुत कम है।
यह भी पढें :