हिन्दुओ, इस सफलताके लिए श्री विट्ठलके चरणोंमें कृतज्ञता व्यक्त करें !
हिन्दू जनजागृति समितिद्वारा भ्रष्टाचारके विषयमें प्रविष्ट जनहित याचिकाका परिणाम
पूर्णकालीन मुख्याधिकारीकी भी नियुक्ति
हिन्दुओ, अब इसपर समाधान न मानते हुए सरकारद्वारा नियन्त्रित भूमि धर्मकार्यके लिए प्रयुक्त करने तथा उसकी रक्षा करने हेतु सक्रिय हों !
पंढरपुर (महाराष्ट्र) – श्री विट्ठल-रुक्मिणी मन्दिर समितिको १२१.६ हेक्टर भूमि नियन्त्रणमें लेनी पडी एवं समितिपर पूर्णकालीन मुख्याधिकारीकी नियुक्ति भी की गई है । मन्दिर समितिके भ्रष्टाचारके विरुद्ध हिन्दू जनजागृति समितिद्वारा प्रविष्ट जनहित याचिकाका ही यह परिणाम है । (हिन्दुओंके मन्दिरके भ्रष्टाचारके विषयमें हिन्दुनिष्ठोंको न्यायालयमें जाना पडता है, निश्चय ही यह दुर्भाग्यपूर्ण है । जनहो, मन्दिरोंके सरकारीकरणके ये दुष्परिणाम जानें एवं अपने सभी मन्दिर शासनके नियन्त्रणसे लेकर भक्तोंको देनेपर विवश करें ! – सम्पादक, दैनिक सनातन प्रभात)
१. यह सर्वज्ञात है कि पिछले ३० वर्षोंसे पंढरपुरकी प्रसिद्ध विट्ठल-रुक्मिणी देवस्थान समिति सरकारके नियन्त्रणमें रही है । हिन्दू जनजागृति समितिने १५ जून २०१३ को पत्रकार परिषद आयोजित कर देवस्थान समितिके भ्रष्टाचार एवं निष्क्रियताको उजागर किया था । गोवंशका विक्रय करना तथा अर्पणमें आई राशि बैंकमें न भरकर २ माहतक बोरेमें भरकर रखनेसमान अनेक बातोंको उजागर कर इस विषयमें आन्दोलन आरम्भ किया था ।
२. इस आन्दोलनको तत्कालीन सरकारद्वारा प्रतिसाद न मिलनेसे निरुपाय होकर शासन एवं मन्दिर समितिके विरुद्ध हिन्दू जनजागृति समितिको मुंबई उच्च न्यायालयमें जनहित याचिका प्रविष्ट करनी पडी थी । इस याचिकामें देवस्थानके स्वामित्वकी १ सहस्र २०० एकडसे अधिक भूमि होते हुए भी इसपर नियन्त्रण तथा देवस्थानको एक रुपएकी भी आय न होनेका सूत्र था ।
३. इस प्रकरणमें हिन्दू जनजागृति समितिको धर्मप्रेमी अधिवक्ताओं, हिन्दू संगठन एवं ‘हिन्दू विधिज्ञ परिषद’की भी सहायता मिली । निश्चित रूपसे इसमें नई सरकारका भी सहयोग है ।
४. अन्तमें मुंबई उच्च न्यायालयद्वारा इस प्रकरणमें दिए गए आदेशसे देवस्थान समिति एवं सरकारको कार्यवाही करनी पडी है । इस प्रकरणमें न्यायालयमें प्रविष्ट सत्यप्रतिज्ञापत्रके अनुसार पिछले २ माहमें देवस्थान समितिको १२१.६ हेक्टेयर भूमि नियन्त्रणमें लेनी पडी है । देवस्थान समितिपर मुख्याधिकारीके रूपमें शासकीय अधिकारियोंकी नियुक्ति होती है । अबतक मुख्याधिकारी पूर्णकालीन नहीं थे । मुंबई उच्च न्यायालयके आदेशके अनुसार अब पूर्णकालीन मुख्याधिकारीकी नियुक्ति हो गई है ।
शासनके प्रतिज्ञापत्रके अनुसार न्यायालयके आदेशका पालन करनेकी प्रक्रिया
१. न्यायालयने ४ अक्तूबरतक पूर्णकालीन मुख्याधिकारीकी नियुक्ति करने हेतु सरकारको आदेश दिए थे । ७ नवम्बरको सरकारने शिवाजी त्र्यम्बक कादबानेको (उपजनपधिकारी, सातारा) देवस्थान समितिके पूर्णकालीन मुख्याधिकारीके रूपमें नियुक्त किया ।
२. अनेक स्थानके जनपदाधिकारी एवं तहसीलदारोंको न्यायालयका आदेश सूचित कर त्वरित कदम उठाने हेतु कहा गया ।
३. न्यायालयके निर्देशके अनुसार सोलापुर जनपदाधिकारी कार्यालयद्वारा भूमि अभिलेख कार्यालय एवं पुलिसने देवस्थान समितिको १ प्रान्त अधिकारी, २ अच्छे मुंशी, ४ पटवारी, १ पुलिस, १ सर्वेयर उपलब्ध करवाकर दिया ।
४. कुल मिलाकर इस भूमिको नियन्त्रणमें लेनेकीr कार्यवाही ३ चरणोंमें आरम्भ की गई । इसमें जिस भूमिपर पूर्वसे ही मुख्य कार्यकारी अधिकारी, विट्ठल-रुक्मिणी देवस्थानका नाम लगाया गया था, वह भूमि प्राधान्य रूपसे नियन्त्रणमें ली गई है । इसमें सोलापुर जनपदके वाखरी, अनावली, तुंगत, शावटे, पण्ढरपुर, पापरी, वडाळा; तथा कारंजा, ता. परांडा, जि. धाराशिव; कुतासा, ता. अकोट जि. अकोला; देवदारी, ता. बार्शी-टाकली, जि. अकोला; काबरीगुड एवं कंजारा, ता. नान्दगाव मध्यमेश्वर जि. अमरावती, एवं कोठळी, ता. शिरोळ, जि. कोल्हापुर आदि जनपदकी भूमिका समावेश है ।
५. इसके लिए अनेक गुट बनाए गए हैं । एक गुटको सातारा, सांगली एवं कोल्हापुर आदि जनपदकी ३६.५१ हेक्टेयर भूमि, दूसरे गुटको सोलापुर एवं सांगली जनपदकी १०९.२४ हेक्टेयर भूमि, तीसरे गुटको धाराशिव एवं अकोला जनपदकी १९.१८ हेक्टेयर भूमि एवं चौथे गुटको सोलापुर, अमरावती एवं यवतमाल आदि जनपदकी ११.६ हेक्टेयर भूमि नियन्त्रणमें लेनेका दायित्व दिया गया है ।
६. जिस भूमिको अबतक मुख्याधिकारी, विट्ठल-रुक्मिणी देवस्थान समितिका नाम नहीं लगाया गया अथवा उसमें परिवर्तन हुआ है, उसके सन्दर्भमें कार्यवाही चालू है तथा इस प्रक्रियामें अत्यधिक समय लगेगा । इसलिए देवस्थान समितिद्वारा मुख्याधिकारी कादबानेने मुंबई उच्च न्यायालयसे १ वर्षकी कालावधि देनेकी मांग की है ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात